मध्यप्रदेश के इतिहास में पहला मौका है जब किसी नेता ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार रात 9 बजे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 20 मार्च को कमलनाथ के इस्तीफे के बाद सीएम पद की दौड़ में शिवराज सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। अब मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज के सामने दो चुनौतियां होंगी। पहले विधानसभा में मंगलवार को विश्वास मत साबित करना होगा, जिसे वे फिलहाल आसानी से पार कर लेंगे। इसके बाद 6 महीने के भीतर 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप-चुनाव में उनके लिए ज्यादा सीटें जीतने की चुनौती होगी। इन 24 सीटों में से शिवराज को अपनी सत्ता कायम रखने के लिए कम से कम 9 सीटें जीतनी होंगी।
मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सदन में विश्वास मत साबित करेंगे, जिसे वे आसानी से पार कर लेंगे। वर्तमान में सदन में विधायकों की संख्या 205 हैं। बहुमत साबित करने के लिए भाजपा के 103 वोटों की जरूरत है, जबकि भाजपा के पास 107 विधायक हैं। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने देर रात विधानसभा की कार्यसूची जारी की।
भाजपा के पास 106 विधायक हैं। 4 निर्दलीय उसके समर्थन में आए तो भाजपा की संख्या 110 हो जाती है। 24 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए 7 और सीटों की जरूरत होगी। अगर निर्दलीयों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को कम से कम 9 सीटें जीतनी होंगी।
विधानसभा में 230 सीटें हैं। 2 विधायकों के निधन के बाद 2 सीटें पहले से खाली हैं। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। स्पीकर एनपी प्रजापति इन सभी के इस्तीफे मंजूर कर चुके हैं। इस तरह कुल 24 सीटें अब खाली हैं। इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं। खबर थी कि शिवराज को केंद्र में भेजा जा सकता है, लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश में ही रहने की इच्छा जताई। शिवराज हार के बाद भी प्रदेश में सक्रिय रहे। शिवराज ने इसी साल जनवरी में सिंधिया से मुलाकात भी की थी। हालांकि, इसे उन्होंने शिष्टाचार भेंट बताया था। मध्यप्रदेश में हाल ही में 17 दिन तक चले सियासी ड्रामे से सबसे ज्यादा फायदे में शिवराज रहे।
पिछले साल महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधायकों के समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद भी उन्हें विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा, जिसमें वे जीत गए। कर्नाटक में भी 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा बनी। राज्यपाल ने सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाया और येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने। 6 दिन बाद ही येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया। इसी तरह शिवराज को भी फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा।