मध्य प्रदेश के बाद अब छत्तीसगढ़ राज्य में भी कांग्रेस पार्टी में मतभेद सामने आने लगे हैं। कांग्रेस पार्टी की यहां सरकार है। छत्तीसगढ़ में भी मध्य प्रदेश की तरह महाराज को लेकर चर्चा हो रही है। यहां बात ज्योतिरादित्य सिंधिया की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की बात हो रही है। वे सरगुजा के मानद राजा भी हैं। छत्तीसगढ़ में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में तब राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष रहे वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा सिंहदेव ने भी ख़ासी मेहनत की थी। चुनाव जीतने के बाद उनका नाम सीएम पद की रेस में शामिल था।
दरअसल, कोरोना वायरस की खतरे के चलते अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी एक मीटिंग की गई। राज्य के मुख्यमंत्री ने इसकी अध्यक्षता की। लेकिन इस मीटिंग में उस मंत्री को ही नहीं बुलाया गया तो इस विभाग का मंत्री है। स्वास्थ्य अधिकारी तक इस बैठक में मौजूद रहे। बस स्वास्थय मंत्री इस बैठक से नदारद रहे। जिसके बाद सिंहदेव ने भी इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री कार्यालय को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि बैठक में उनकी मौजूदगी मुख्यमंत्री कार्यालय को सुनिश्चित करनी चाहिए थी।
टीएस सिंहदेव ने इसे लेकर कहा, “मुख्यमंत्री कार्यालय को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए थी। शायद बैठक जल्दबाजी में बुलाई गई थी, लेकिन मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री कार्यालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि स्वास्थ्य मंत्री इसमें शामिल हों।”
हालांकि, इससे पहले कई बार देव साफ कर चुके हैं कि वह कभी भी भाजपा में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि 100 जीवन मिलने के बाद भी वे उस विचारधारा से कभी नहीं जुड़ेंगे। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जल्द ही यहां भी मध्य प्रदेश जैसी स्थिति देखने को मिलेगी। अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान में भी कांग्रेस का यही हाल है। अग्रवाल ये दावा करने से नहीं चूके कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ में भी कोई ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया’ देखने को मिल सकते हैं।