[gtranslate]
Country

वृद्ध को होम क्वॉरेंटाइन करने के बाद किसी ने न ली सुध, मौत के बाद शव में लगे कीड़े

वृद्ध को होम क्वॉरेंटाइन करने के बाद किसी ने न ली सुध, मौत के बाद शव में लगे कीड़े

कोरोना संक्रमण से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। ये कहना गलत नहीं होगा कि इतनी सतर्कता के बावजूद कोरोना संक्रमण बेकाबू होता दिख रहा है। संक्रमण से ज्यादा गहरी चोट मजदूरों को हुई है। उसकी नौकरी छुटी, घर, शहर छुटा। वो तो इसी आस में निकले थे कि अपने गांव जाएंगे तो किराया नहीं देना पड़ेगा। रूखा-सुखा जो होगा खा लिया जाएगा। पर ऐसा मुमकिन न हो सका। बीच रास्ते में ही उन्हें रोक लिया गया। कोरोना का संक्रमण के बचाव के लिए अन्य राज्यों में लोगों को क्वॉरेंटाइन किया जाने लगा। जोकि सुरक्षा के मापदंड से सही है। लेकिन बाराबंकी की होम क्वारंटाइन से ऐसी खबर सामने आई है, जिसको सुन कर किसी का भी दिल दहल जाएगा। होम क्वॉरेंटाइन में एक 82 साल के वृद्ध की मौत हो गई। मौत होना दिल दहला देने वाला नहीं है बल्कि मृत वृद्ध के शरीर में कीड़े लगे हुए हैं ये चौका देने वाली खबर है।

यह खबर बाराबंकी जनपद के थाना मोहम्मदपुर खाला इलाके के गांव बढ़नापुर की है। यहां शनिवार को एक वृद्ध की मौत हो गई। बताया जाता है कि वृद्ध कुछ सप्ताह पूर्व गुजरात से बाराबंकी आए थे। वृद्ध अकेले घर में रहते थे। प्रशासन ने एहतियात के लिए उन्‍हें 22 मार्च को होम क्वॉरेंटाइन किया था। शनिवार को उनके घर से तेज दुर्गन्ध आ रही थी। आस-पास के लोगों ने इस बात की जानकारी पुलिस को दी।

शव में लगे कीड़े

मृतक के पड़ोसियों का कहना है कि दुर्गन्ध इतनी तेज थी कि लोगों का खड़ा होना मुश्किल हो रहा था। जब किसी तरह से मृत शरीर के पास पहुंचे तो शव में कीड़े रेंग रहे थे। शरीर पर कीड़े इस कदर थे कि वह दीवारों पर भी रेंगने लगे थे। इन सबसे यह लगता है कि उनकी मौत काफी दिन पहले हो चुकी थी।

भयवश कोई नहीं मिलने गया

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से प्रशासन ने होम क्वॉरेंटाइन किया था, तब से भयवश लोग उधर जाते नहीं थे। कभी-कभी राशन या कुछ और समान लाते हुए ही उन्हें देखे थे। गांव की ही आशा नाम की युवती ने बताया कि उन्हें जब 22 तारीख को क्वॉरेंटाइन किया गया था, तब वह आई थी। और फिर उसके बाद वह 4 अप्रैल को घर के दरवाजे पर नोटिस चस्पा करने आई थी। इस दौरान उन्हें किसी अनहोनी की भनक नहीं हुई। अपने जिद्दी स्वभाव के कारण वह अपना खाना भी खुद ही बनाते थे।

दमा के पेशेंट

स्थानीय निवासी महेन्द्र वर्मा ने बताया, “मृतक अपने पौत्र के साथ गुजरात से गांव आए थे, क्योंकि उनके प्रपौत्र का मुण्डन था। वो अपना खाना खुद बनाते थे और 1 अप्रैल को उनके यहां से राशन भी लेकर गए थे। दिनांक 4 अप्रैल को बेलहरा के निवासी डॉक्टर बृजेश के यहां से अपनी दवा भी लेकर आए थे। वह दमे के मरीज थे। अब इनकी मृत्यु कब हुई यह बता पाना सम्भव नहीं है।”

खुद की लापरवाही मानते हुए महेन्द्र वर्मा कहते हैं कि वह पिछले कई दिनों से दूसरे कामों में इतने उलझे हुए थे कि उनकी ओर ध्यान नहीं दे पाए। इस मामले में बाराबंकी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमेश चन्द्रा ने बताया कि मृतक गुजरात से आया था और उन्‍हें होम क्वॉरेंटाइन किया गया था।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शरीर में कीड़े पड़ने की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा, “कीड़े पड़ने के लक्षणों के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। उनको कोरोना के लक्षण नहीं थे, परन्तु फिर भी हमने उनका सैम्पल लेकर भेज दिया है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाना सम्भव होगा।” तेज़ दुर्गंध आना, शरीर में कीड़े पड़ जाना इससे तो साफ जाहिर है कि वृद्ध की मौत 5-6 दिन पहले ही हो गई थी। ऐसे में प्रशासन पर सवाल उठना लाजमी है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD