आगामी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले रामनगरी एक बार फिर से राजनीति का केंद्र बिंदु बन चुकी है। अपने चुनावी अभियान की शुरुआतके लिए हर पार्टी अयोध्या पहुंच रही है। इस बीच अब आम आदमी पार्टी ने भी अयोध्या में अपनी दस्तक दी है। इससे पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘जय बजरंगबली और जय हनुमान’ के साथ आम आदमी पार्टी ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को अपना सबसे बड़ा सियासी हथियार बनाया था। ऐसा लगता है कि अब इसी हथियार के बूते ‘आप ‘उत्तर प्रदेश की सियासी जंग लड़ना चाहती है।

अयोध्या में तिरंगा यात्रा में शामिल हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया व राज्यसभा सांसद संजय सिंह
पार्टी आज 14 सितंबर को रामनगरी अयोध्या से तिरंगा यात्रा निकाल रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता व दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कल 13 सितंबर को अयोध्या पहुंचकर बाकायदा रामलला के दरबार में हाजिरी लगाई और संतों से आशीर्वाद भी लिया। इस दौरान उन्होंने तिरंगा यात्रा के लिए अयोध्या को कहा कि राम सबके हैं, अयोध्या सबको आना चाहिए। डिप्टी सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के नेतृत्व में आप सरकार दिल्ली में जो भी काम कर रही है वह श्रीराम की कृपा और संतों के आशीर्वाद से कर रही है।
संतों का आशीर्वाद है तो हमारे विचार पवित्र रहते हैं, मनोबल बढ़ता है। भगवान श्रीराम ने रामराज्य की स्थापना की थी। आज भी इससे बढ़िया शासन का उदाहरण नहीं मिलता। दुनिया आज भी रामराज्य से प्रेरणा लेती है।
माता सीता के आशीर्वाद को अमोघ बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां आकर मां जानकी का आशीर्वाद भी मिला। यह सुखद अनुभव है कि पार्टी अयोध्या से तिरंगा यात्रा निकलेगी। यही नहीं बल्कि हनुमानगढ़ी व रामलला का दर्शन कर उनसे इजाजत मांगी है। हमने रामलला से प्रार्थना की है कि अब कोरोना जैसी बीमारी न फैले। सभी खुशहाल हों। सबको रोजगार मिले।
आप के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि जानकीघाट में डिप्टी सीएम ने महंत रामप्रकाश दास, महंत विवेक आचारी, महंत पवन दास शास्त्री, महंत दिलीप दास, नागा रामलखन दास, महंत सीताराम दास, महंत रामटहल शरण वेदांती, महंत उमेश दास, आचार्य नारायण मिश्र सहित अन्य संत-धर्माचार्यों से भी आशीर्वाद लिया। प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने दावा किया है कि अयोध्या में 14 सिंतबर को होने जा रही तिरंगा यात्रा ऐतिहासिक होगी। यह यात्रा आप का सच्चा राष्ट्रवाद दिखाकर भाजपा के नकली राष्ट्रवाद को बेनकाब करने का काम करेगी। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव मैदान में पहली बार किस्मत आजमाने उत्तरी आम आदमी पार्टी भले ही दिल्ली मॉडल को आगे कर रही हो , लेकिन योगी आदित्यनाथ से दो – दो करने के लिए हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को आम आदमी पार्टी अपना सबसे बड़ा हथियार बनाने की कवायद में है।
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दरअसल , 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में आप की रणनीति भाजपा को उसी के मुद्दों पर घेरने की है। भाजपा के लगभग सभी नेता अपने बयानों में राष्ट्रवाद और राष्ट्रविरोधी ताकतों का जिक्र करते हैं। इस तरह वो विपक्षी पार्टियों पर सीधे तौर पर सवाल उठाते है , लेकिन अब तिरंगा यात्रा के जरिए आम आदमी पार्टी राष्ट्रवाद की परिभाषा को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी लागू करने की तैयारी में है। तिरंगा यात्रा के दौरान महंगाई , बेरोजगारी , किसान की फसल का उचित मूल्य , महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को लोगों के सामने लाएंगे।
इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल का दिल्ली मॉडल काफी लोकप्रिय है। फ्री बिजली-पानी और उच्च स्तर के सरकारी स्कूलों के सहारे दिल्ली में केजरीवाल सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद भाजपा के लिए परिस्थितियां काफी हद तक बदल गई हैं। रही-सही कसर किसान आंदोलन ने भी निकाल दी है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर जैसे महानगरों में आम आदमी पार्टी के नेताओं के पोस्टरों पर फ्री बिजली-पानी और बेहतर शिक्षा व्यवस्था के वादों की झड़ी लगी हुई है। भाजपा से नाराज वोटर एक ठिकाना खोज रहा है और आम आदमी पार्टी के रूप में उसे वो मिल भी सकताहै। बशर्ते सपा के साथ उसका गठबंधन फाइनल हो। फिलहाल जैसी नजदीकियां अखिलेश यादव और संजय सिंह के बीच नजर आ रही हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले लोगों को चौंकाया जा सकता है।
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने अपनी विचारधारा को पॉलिटिकली करेक्ट करने की भरपूर कोशिश की थी। भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे को धड़ाम करने के लिए खुद को हनुमान भक्त के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया था। हनुमान मंदिर में दर्शन से इतर उनकी चुनावी रैलियों की शुरूआत भी ‘जय बजरंगबली’ और ‘जय हनुमान’ से होने लगी। केजरीवाल ने साफ कर दिया था कि वो भगवान राम के भी भक्त हैं, लेकिन उनके राम और भाजपा के राम में अंतर है। राम मंदिर पर आए फैसले का उन्होंने स्वागत भी किया था। कुल मिलाकर अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को कट्टर हिंदुत्व की पार्टी घोषित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। वहीं सर्जिकल स्ट्राइक पर केंद्र की मोदी सरकार से सबूत मांगने वाले केजरीवाल ने भाजपा के राष्ट्रवाद के एजेंडे को कमजोर करने के लिए दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम की शुरुआत भी की।
अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के अन्य नेता हमेशा से ही ये घोषित करते आ रहे हैं कि हिंदू धर्म और राष्ट्रवाद पर भाजपा के विचार कट्टर हैं। मनीष सिसोदिया ने तिरंगा यात्रा को हिंदू पहचान, धर्म और राष्ट्रवाद को भाजपा के तरीके से पूरी तरह अलग बताया। अरविंद केजरीवाल के सॉफ्ट हिंदुत्व का मॉडल दिल्ली में तो सफल नजर आ चुका है। अगर उत्तर प्रदेश में वो अपने सॉफ्ट हिंदुत्व को कैश करने में कामयाब हो जाते हैं, तो भाजपा के लिए मुश्किलें दोगुनी हो जाएंगी। हालांकि इन तमाम संभावनाओं में सपा के साथ गठबंधन की शर्त जुड़ी हुई है, क्योंकि आम आदमी पार्टी ने अभी प्रदेश में पहला कदम रखा है।
रामनगरी के संतों ने आम आदमी पार्टी की तिरंगा यात्रा पर सवाल खड़ा किया है। जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने कहा कि मनीष सिसौदिया व संजय सिंह गिरगिट जैसा रंग बदलते हैं। दिल्ली के जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े-टुकड़े होंगे के समर्थन में आप नेता खड़े थे। कहा कि जनता को मूर्ख बनाकर वोट बैंक की राजनीति आम आदमी पार्टी कर रही है। तिरंगा यात्रा चुनावी स्टंट है। यूपी में सीएम योगी ने जो लक्ष्मण रेखा बनाई है उसको कोई पार नहीं कर सकता। हनुमानगढ़ी के पुजारी राजूदास ने भी जब मंदिर निर्माण के लिए इनकी जरूरत थी तब ये टोपी पहनकर बाबरी के पक्षधर थे। आज हर पार्टियां रामलला के दर्शन करने आ रही हैं। उनको अपने आपको हिंदू सिद्ध करना पड़ रहा है। आम जनता से अपील है कि ऐसे कालनेमियों से सतर्क रहें।