वर्ष 1984 में डालडा घी में मवेशियों की चर्बी का मामला देश भर में भारी बवाल का कारण बना था। दशकों बाद अब तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले घी में बीफ, फिश ऑयल और अन्य जानवरों की चर्बी पाए जाने से देश की राजनीति भी गर्मा गई है। इसकी आंच अन्य प्रदेशों तक भी पहुंच गई है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर समेत उत्तर प्रदेश के तमाम मंदिरों में प्रसाद की जांच कराने की मांग की जा रही है। देश की सियासत को सुलगाने वाला यह घोटाला ऐसे समय में सामने आया है जब जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं
देश में इन दिनों एक ओर जहां जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ दशकों पहले डालडा घोटाले के बाद अब आंध्र प्रदेश के तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले घी में मवेशियों के ‘बाहरी वसा’ की मिलावट के आरोप चलते सियासत सुलग गई है। यहां तक कि अब इसकी आंच अन्य राज्यों के मंदिरों तक पहुंच गई है।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर समेत उत्तर प्रदेश के तमाम मंदिरों के प्रसाद की जांच करवाए जाने की सरकार से मांग की जा रही है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर के सेवक जगन्नाथ स्वैन महापात्रा ने दावा किया कि पहले मंदिर परिसर में दीये जलाने के लिए मिलावटी घी का इस्तेमाल किया जाता था, हालांकि अब इसे रोक दिया गया है। हम मंदिर के मुख्य प्रशासक से यहां इस्तेमाल किए जाने वाले घी की पूरी जांच करने का अनुरोध करेंगे, भक्तों की आस्था बहुत महत्वपूर्ण है। जिसके बाद जिला कलेक्टर ने मिलावट की किसी भी आशंका को दूर करने के लिए उड़ीसा राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (ओमफेड) की ओर से आपूर्ति किए जा रहे घी के मानक की जांच करने का निर्णय लिया है। वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव द्वारा भी बांके बिहारी मंदिर में भोग के तौर पर चढ़ने वाले पेड़े में मिलावट का आरोप लगाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने जांच के लिए मथुरा के प्रमुख मंदिरों से ‘प्रसाद’ के 13 नमूने एकत्र किए हैं। जिसकी रिपोर्ट 15 दिन बाद आनी है। आंध्र प्रदेश से लेकर यूपी के वृंदावन तक प्रसाद पर मचे घमासान का नतीजा ये हुआ कि लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर के गर्भगृह में बाहर से लाए गए प्रसाद को चढ़ाने पर रोक लगा दी गई है।
गौरतलब है कि ताजा मामला आंध्र प्रदेश के तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का है। तिरूपति के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों के ‘बाहरी वसा’ की मिलावट के आरोप बेहद गंभीर हैं। यह आरोप तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को अपने पूर्ववर्ती और विपक्ष के नेता युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ लगाए हैं। जो कि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया है कि जगन मोहन रेड्डी के शासन के दौरान तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में परोसे जाने वाले लड्डुओं में घटिया सामग्री और पशु वसा की मिलावट पाई गई है। गुजरात की एक लैब रिपोर्ट का हवाला देते हुए, नायडू ने घी में ‘बीफ टैलो’, ‘लार्ड’ (सूअर की चर्बी से सम्बंधित) और मछली के तेल की मौजूदगी का दावा किया। हालांकि जगन मोहन रेड्डी ने आरोप का खंडन करते हुए कहा कि उनकी सरकार के दौरान कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तिरुपति के लड्डुओं में मिलावट के आरोपों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने उन पांच कंपनियों के घी सैंपल मंगवाए। जो तिरूमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी की आपूर्ति कराते थे। इनमें से तमिलनाडु में स्थित एक कंपनी एआर डेयरी फूड्स का घी क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गया। जिसके बाद कथित रूप से घटिया घी की आपूर्ति करने के लिए इस कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। नोटिस में खाद्य नियामक ने ‘ए आर डेरी फूड प्राइवेट लिमिटेड’ से पूछा कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक विनियमन 2011 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए उसका केंद्रीय लाइसेंस निलंबित क्यों न कर दिया जाए। कंपनी को भेजे गए नोटिस में कहा गया ‘विश्लेषण के बाद, आपकी फर्म मेसर्स ए आर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड (एफएसएसएआई केंद्रीय लाइसेंस संख्या 10014042001610) का नमूना मानदंडों को पूरा करने में विफल रही है और आपकी फर्म को टीटीडी द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया है।
गौरतलब है कि तिरुपति मंदिर में हर छह महीने में 1400 टन घी लगता है। कर्नाटक को-ऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) पिछले 50 साल से रियायती दरों पर ट्रस्ट को घी दे रहा था। जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने 5 फर्मों को सप्लाई का काम दिया था। इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है। इसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी।
गुजरात के आनंद में स्थित (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड से संबद्ध) सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड (सीएएलएफ) द्वारा गुणवत्ता जांच के वास्ते लड्डू के नमूने 9 जुलाई को प्राप्त हुए थे और जांच के नतीजे 16 जुलाई को पेश कर दिए गए थे। लेकिन नायडू द्वारा इस मामले को 18 सितंबर को सामने लाया गया। प्रयोगशाला की जांच में जानवरों की बाहरी वसा की विभिन्न श्रेणियों-सोयाबीन, जैतून, सूरजमुखी, रेपसीड और कपास के बीज से लेकर मछली के तेल, पाम तेल और वसा मांस (बीफ टैलो) और सूअर की चर्बी (लार्ड) तक का जिक्र है। लेकिन आपूर्तिकर्ता ए.आर. डेयरी द्वारा भेजे गए घी में मिलावट (बाहरी वसा) की सीमा अस्पष्ट है।
गौरतलब है कि 29 जुलाई को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के एक कार्यकारी अधिकारी ने कहा था कि ए.आर. डेयरी को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा क्योंकि उसके नमूनों में ‘वनस्पति तेल‘ से कहीं ज्यादा मिलावटी तत्व पाए गए हैं।
ईसाई धर्म अपनाने का आरोप
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तिरुपति में प्रसादम के मिलावट का मुद्दा ऐसे समय में उठाया गया है जब देश में चुनावी माहौल है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेकर सवाल उठाया जा रहा है कि जब खाद्य गुणवत्ता जांच की शीर्ष निकाय गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला (एनएफएल) है। तो राज्य सरकार ने अंतिम सत्यापन के लिए नमूने एनएफएल को क्यों नहीं भेजे? इसके बाद से ही प्रसादम पर सियासत गरमा गई। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण द्वारा तिरुपति के प्रसादं को दूषित करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस.जगनमोहन रेड्डी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस विवाद के बीच जगन मोहन रेड्डी पर ईसाई धर्म को अपनाने का भी आरोप लगाया गया। पवन कल्याण के कहने अनुसार वाईवी सुब्बारेड्डी और करुणाकर रेड्डी ने ईसाई धर्म अपनाया है या नहीं इसकी चिंता उन्हें नहीं है लेकिन जगन मोहन रेड्डी के शासन में एक बोर्ड की स्थापना की गई थी और वो इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह हैं। कल्याण ने कहा कि हम रिपोर्ट मिलने के बाद ही ये सवाल उठा रहे हैं।
यह मुद्दा नायडू के केंद्रीय गठबंधन सहयोगी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं द्वारा ‘स्वतंत्र जांच’ की मांग किए जाने के बाद और विवादित हो गया है। एक ओर जहां आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने आरोपों को निराधार बताते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी वहीं दूसरी तरफ पूर्व भाजपा सांसद और सनातन धर्म के प्रचारक सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की गई है। तिरुपति लड्डू विवाद पर आंध्र प्रदेश साधु परिषद के अध्यक्ष स्वामी श्रीनिवासनंद सरस्वती ने भी कहा कि वाईएसआरसीपी अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ईसाई समुदाय से हैं और उन्होंने कभी भगवान वेंकटेश्वर को महत्व नहीं दिया। उन्होंने कभी हिंदू धर्म में विश्वास नहीं किया। रेड्डी ने हमेशा अध्यक्ष और अन्य पदों पर ईसाइयों को नियुक्त किया। इन कर्मचारियों ने हमेशा भगवान वेंकटेश्वर को व्यापारिक उद्देश्य से देखा है। पांच साल में जगन मोहन रेड्डी ने तिरुमाला मंदिर की पवित्रता को बर्बाद कर दिया। उन्होंने सरकार से प्रसादम के मिलावट में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस.जगनमोहन रेड्डी ने खारिज करते हुए इसे सरसर गलत बताया और मामले को केंद्र तक पहुंचाया। जगनमोहन रेड्डी ने 22 सितंबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया कि चंद्रबाबू नायडू एक आदतन झूठ बोलने वाले ऐसे व्यक्ति हैं जो इतने नीचे गिर गए हैं कि उन्होंने पूरी तरह से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाई है। नायडू को झूठ फैलाने के लिए कड़ी फटकार लगाई जानी चाहिए और मामले की सच्चाई को सामने लाया जाना चाहिए। इससे करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं के मन में पैदा किया गया शक दूर हो जाएगा और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की पारदर्शिता में विश्वास बहाल होगा।
जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि यड टीटीडी की पवित्रता, अखंडता और प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। यह ध्यान रखना जरूरी है कि कथित मिलावटी घी को अस्वीकार कर दिया गया था और टीटीडी के परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। वहीं टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष भुमना करुणाकर रेड्डी ने भी लड्डू प्रसादम के निर्माण में पशु वसा के उपयोग के सम्बंध में एन. चंद्रबाबू नायडू के आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा, ‘नायडू हताशा में ये झूठे दावे कर रहे हैं क्योंकि वे राजनीतिक रूप से सामना नहीं कर सकते। वे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गैरजिम्मेदाराना तरीके से भगवान वेंकटेस्वर का नाम खराब कर रहे हैं। भुमना करुणाकर रेड्डी के मुताबिक टीटीडी में उनके चार साल के अध्यक्षता दौरान ‘नैवेद्यम’ और प्रसादम की तैयारी से सम्बंधित प्रणालियों में बहुत सुधार किए थे, जिन्हें 2014-19 में टीडीपी सरकार द्वारा लागू किया गया था।
क्या था डालडा घोटाला
डालडा वह नाम है जो कभी देश के अधिकांश घरों में सुनने को मिल जाता था। त्योहारों पर डालडा का इस्तेमाल होता ही होता था। कई वर्षों तक डालडा ने बाजार पर एकछत्र राज किया। लेकिन इसके सालों बाद 1984 में डालडा को विवाद का सामना तब करना पड़ा जब कहा गया कि इसमें जानवरों की चर्बी मिली हुई है। यानी जिस डालडा को लोग खाते हैं वो पशुओं के चर्बी से बनी हुई है। इस घटना के बाद देश भर के हिंदुओं में बड़ा रोष पैदा हुआ था। बताया जाता है कि उस समय जैन बन्धुवों की बड़ी डालडा फैक्टरी थी। पूरे देश में यहां से ही डालडा का सप्लाई होता था। जब बाद में वहां खाद्य विभाग ने छापा मारा तो बड़ी मात्रा में चर्बी मिली थी जो पशुओं की चर्बी थी। इन चर्बियों को डालडा में मिलाकर बांटा जाता था। इस विवाद से पहले तब तक डालडा को ‘क्लियर आयल्स’ या रिफाइंड वनस्पति तेलों जैसे मूंगफली (पोस्टमैन), सरसों, कुसुम (सफोला), सूरजमुखी (सनड्राप) और पाम ऑयल (पामोलिन) आदि से प्रतिस्पर्धा मिलने लगी थी। इन्हें वनस्पति घी का एक स्वस्थ विकल्प माना जाता था।