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कोरोना के बाद अब प्लांट पैनडेमिक !

कोरोना महामारी के बाद ‘महामारी’ शब्द सामान्य हो गया है।  कोरोना एक बार फिर लोगों को संक्रमित कर रहा है। कोरोना के साथ ही अब एक और  भयानक महामारी दुनिया के द्वार पर है। लेकिन इस महामारी का असर इंसानों पर नहीं बल्कि फसलों पर पड़ रहा है। इसे ‘प्लांट पैंडेमिक’ यानी फसलों पर महामारी कहते हैं। हालांकि यह महामारी फसलों को नुकसान पहुंचा रही है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान इंसानों को होगा। लिहाजा अब इस महामारी को गंभीरता से देखा जा रहा है।
प्लांट पैनडेमिक पर एक रिसर्च रिपोर्ट (11 अप्रैल) वेबसाइट पीएलओएस पर प्रकाशित की गई है। प्लोस एक ऐसा संगठन है जो दुनिया भर में चिकित्सा और वैज्ञानिक शोधकर्ताओं को अपनी शोध रिपोर्ट प्रकाशित करने में मदद करता है। प्लोस की शुरुआत 2000 में हेरोल्ड वर्मस, पैट्रिक ब्राउन, माइकल ईसेन ने की थी। प्लॉस ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को एक खुला पत्र लिखा, जिस पर 180 देशों के 34,000 वैज्ञानिकों ने उनके अभियान का समर्थन करते हुए हस्ताक्षर किए।

प्लांट पैनडेमिक क्या है?

नाम से ही हम समझ सकते हैं कि यह फसलों से जुड़ी महामारी है। इस महामारी के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं। कृषि में विभिन्न फफूंद जनित रोगों को फसलों का सबसे बड़ा शत्रु माना जाता है। कोरोना वायरस की तरह फसल रोग वायरस में भी तीव्र गति से म्युटेशन हो रहे हैं। ये सूक्ष्म विषाणु हवा, बारिश और मिट्टी के जरिए तेजी से फैल रहे हैं। इस कवक रोग के बीजाणु प्राकृतिक रूप से फैलते हैं। लेकिन अब वैश्विक व्यापार और जलवायु परिवर्तन बीजाणुओं के तेजी से प्रसार में योगदान दे रहे हैं। शक्तिशाली तूफान और अत्यधिक मौसम की स्थिति रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं को नए क्षेत्रों में ले जा रही है। नए क्षेत्र में पौधों और फसलों ने नई बीमारी के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं की है। अमेरिका के शोधकर्ताओं ने कहा कि कृषि के आधुनिकीकरण के बाद फसल संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
एक नए अध्ययन के अनुसार, दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण गेहूं की फसल कवक रोग व्हीट ब्लास्ट की चपेट में आ रही है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है। इस रोग के कारण फसलें पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। यह रोग पहली बार 1985 में ब्राजील में गेहूं की फसल पर पाया गया था। उसके बाद बोलीविया, पैराग्वे और अर्जेंटीना जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों में भी इस बीमारी का बड़े पैमाने पर प्रकोप देखा गया, जहाँ गेहूँ की बड़ी फसल होती है। जुलाई 2021 में ‘व्हीट ब्लास्ट’ पर एक वैज्ञानिक ब्रोशर प्रकाशित किया गया है।
पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय गेहूं व्यापार के कारण यह बीमारी बांग्लादेश और जाम्बिया तक पहुंच गई है। ‘व्हीट ब्लास्ट’ के वैज्ञानिक मैनुअल में दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘व्हीट ब्लास्ट’ का खतरा दक्षिण एशिया और दक्षिण अफ्रीका के कई देशों में हो सकता है।

कितनी खतरनाक है यह महामारी?

पीएलओएस बायोलॉजी के शोधकर्ताओं ने शोध के आधार पर एक पांच-खंड वाली वैज्ञानिक पत्रिका प्रकाशित की है। इस शोध के अनुसार कीटनाशकों और बीमारी के कारण फसल की उपज पर 20 प्रतिशत प्रतिकूल प्रभाव देखा गया। 2016 में बांग्लादेश में लगभग 15,000 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई थी। इसने बांग्लादेश के कुल खेती वाले क्षेत्र का 16 प्रतिशत प्रभावित किया। जांबिया में 2018 में इस बीमारी का प्रकोप देखा गया था।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हवा और खराब बीजों के कारण इस रोग के जीवाणु तेजी से फैल रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि बांग्लादेश में इस बीमारी के फैलने के बाद पड़ोसी भारत और चीन में इसके फैलने की आशंका जताई जा रही है। भारत और चीन दुनिया में गेहूं के दो सबसे बड़े निर्यातक हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और सेन्सबरी लेबोरेटरी ने संयुक्त रूप से कुछ शोधकर्ताओं को इस कवक रोग का अध्ययन करने के लिए लिया और उन्होंने पाया कि बांग्लादेश और जाम्बिया में पाए जाने वाले फंगस में वही आनुवंशिकी होती है जो दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले कवक में होती है। हालांकि, इस बीमारी की उत्पत्ति का पता नहीं चल पाया है।
एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे तीनों महाद्वीपों में अधिकांश गेहूं का उत्पादन होता है। यहां रोग संचरण में वृद्धि दुनिया के लिए चिंता का विषय हो सकती है। कुछ शोधों से यह तथ्य सामने आया है कि बदलता मौसम बीमारी के प्रसार के लिए अनुकूल है। इससे दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। इन तीनों महाद्वीपों में जलवायु में हो रहे परिवर्तन गेहूं ब्लास्ट के प्रसार का कारण बन रहे हैं। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ बड़े कृषि क्षेत्रों वाले देशों में युद्ध जैसे हालात पैदा होने से दुनिया का खाद्य संकट भी बढ़ सकता है, ऐसा वैज्ञानिकों को डर है। (यूक्रेन में युद्ध की स्थिति से गेहूं का निर्यात प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ।)

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