अयोध्या में मंदिर – मस्जिद विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने दो दशक से भी ज्यादा समय में निपटाया था। लेकिन अब वही दूसरी तरफ मंदिर – मस्जिद की यह लड़ाई अयोध्या से निकलकर देश की राजधानी दिल्ली में जा पहुंची है। यहां की कुतुबमीनार परिसर में बनी एक प्राचीन मस्जिद को मंदिरो को तोड़कर बनाने का दावा किया जा रहा है। जिसमे कहा जा रहा है कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद हिंदुओं और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर बनाई गई है।
अब हिंदू और जैन वहां पर अपने देवताओं की मूर्तियों को फिर से स्थापित करना चाहते हैं। इसके लिए भगवान विष्णु और भगवान ऋषभदेव की ओर से केस दर्ज किया गया है। फ़िलहाल यह मामला साकेत कोर्ट के विचाराधीन है। इस मामले में साकेत कोर्ट में एक याचिका दायर करके मंदिरो को तोड़कर मस्जिद खड़ी करने की बात कही गई है।
इस मामले को स्वीकार करने को लेकर दिल्ली के साकेत कोर्ट में सिविल जज नेहा शर्मा की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई। अब इस मामले में 24 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। बता दें कि कुल 5 लोगों की ओर से ये मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसमें पहले याची तीर्थकर भगवान ऋषभदेव हैं, जिनकी तरफ से हरिशंकर जैन ने और दूसरे याचिकाकर्ता भगवान विष्णु हैं, जिनकी ओर से रंजना अग्निहोत्री ने केस दर्ज किया है।
याचिका में लिखा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 में मिले धार्मिक आजादी के अधिकारों के तहत तोड़े गए मंदिरों की पुनर्स्थापना के लिए ये केस दर्ज किया गया है। केस की सुनवाई के दौरान हरिशंकर जैन ने कहा कि उनके दावे की पुष्टि करने के लिए ऐतिहासिक और एएसआइ के साक्ष्य मौजूद हैं।
याचिका में अयोध्या मामले के फैसले का हवाला भी दिया गया है। जिसमें कहा गया था कि पूजा करने वाले अनुयायियों को देवता की संपत्ति संरक्षित करने के लिए केस दर्ज करने का अधिकार है।भारत सरकार और भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को इस केस में प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में लिखा गया है कि कुतुब परिसर में स्थित कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद को हिंदू और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर उनके मलबे से बनाया गया है। दावा किया गया है कि वहां पर आज भी देवी देवताओं की खंडित मूर्तियां मौजूद हैं। कोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दें कि वो एक ट्रस्ट का गठन करे, जो वहां देवताओं की पुनर्स्थापना करके उनकी पूजा-अर्चना का प्रबंधन और प्रशासन देखे।
यही नहीं बल्कि याचिका में महरौली सिटी के बारे में भी तथ्य दिए गए है। जिसमे प्राचीन इतिहास के हवाले से कहा गया है कि महरौली शहर कभी मिहरावली था। जिसको चौथी सदी के शासक चन्द्रगुप्त मौर्य विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक बरहामिहिर के द्वारा बसाया गया था। कालांतर में जिसका नाम महरौली है। कुतुबमीनार महरौली में ही स्थित है। कुतुबमीनार का निर्माण दिल्ली के मुग़ल शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था। कुतुबुद्दीन ऐबक की तरफ से ही 1192 में ही कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनवाई गयी थी।