आखिर 15 माह बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर केंद्र की मेहर फिरने वाली है । सूत्र बता रहे हैं कि इसी महीने होने वाले केंद्र के कैबिनेट विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया को महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया जा सकता है। फिलहाल, मोदी सिंधिया पर मेहरबान है। सिंधिया को उनके पिता की तरह रेलवे मंत्रालय या मानव संसाधन मंत्रालय दिया जा सकता है।
2 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की दिल्ली में मुलाकात हुई थी। तब कहा गया कि मोदी सरकार 2.0 के मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के लिए यह बैठक की गई। तभी से सिंधिया समर्थकों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि अब सिंधिया का मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनना तय हैं।
15 माह पूर्व ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। तब उनकी बगावत तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को भारी पड़ी थी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ को हटना पड़ा था। सिंधिया के समर्थक विधायकों ने तब भाजपा में विश्वास जताकर नए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को अपना सीएम बनवाया था। शिवराज चौहान सरकार में सिंधिया के कई समर्थक विधायकों को मंत्रालय दिया गया है। तब से सिंधिया केंद्रीय मंत्रालय की वेटिंग लिस्ट में थे ।
सिंधिया पूर्व में भी कांग्रेस के सांसद रहते मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पहले वह दो बार केंद्रीय कैबिनेट में रह चुके हैं। मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें 2007 में पहली बार केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री बनाया गया था। इसके बाद वर्ष 2009 में सिंधिया को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में फिर से कैबिनेट में जगह दी गई थी।
मोदी मंत्रिमंडल में मध्यप्रदेश कोटे से ज्योतिरादित्य सिंधिया को तो केंद्रीय मंत्री बनाया जाना तय है ही इसके अलावा असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, ओडिशा के बैजयंत पांडा और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री से देवेंद्र फडनवीस को भी केन्द्रीय मंत्री बनने का मौका मिल सकता है।
गौरतलब है कि पूर्व में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया को केंद्रीय कैबिनेट में रेल और मानव संसाधन मंत्री बनाया था। माधवराव सिंधिया 1986 से 1989 तक राजीव गांधी की सरकार में रेल मंत्री रहे थे। 1995-96 में वह पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री बनाए गए थे।