अशांत क्षेत्रों में शांति स्थापित करने वाला अफस्पा कानून लंबे समय से सवालों के घेरे में रहा है। सुर्ख़ियों में अक्सर बने रहने वाले इस कानून को असम से हटाए जाने का सरकार लक्ष्य निर्धारित कर रही है। असम मुख्यमंत्री हिमंत बिसवा सरमा ने 22 मई को घोषणा करते हुए कहा कि इस साल नवंबर तक अफस्पा को हटाया जा सकता है। मौजूदा समय में असम के आठ जिलों में अफस्पा लागू है। मुख्यमंत्री हिमंत के मुताबिक राज्य सुरक्षा बल को प्रशिक्षित करने पूर्व सैन्य कर्मियों की सेवा सहायता ली जाएगी। कहा जा रहा है सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम से असम पुलिस बटालियनों से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) को बदले जाने की सुविधा होगी। हालांकि क़ानून के अनुसार सीएपीएफ की आवश्यक मौजूदगी रहेगी
(अफ्स्पा) यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट का प्रयोग अशांत इलाकों में शांति बनाये रखने के लिए किया जाता है । कानून की धारा 3 के तहत किसी भी क्षेत्र को विभिन्न धार्मिक ,नस्ली , भाषा या क्षेत्रीय समूहों जातियों , समुदायों के सदस्यों के बीच या विवादों के कारण अशांत घोषित किया जा सकता है। किसी भी क्षेत्र को केंद्र सरकार, राज्य के राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल अशांत घोषित कर सकते हैं।
जरूरी नहीं अब अफस्पा
गौरतलब है कि वर्ष 1990 में अफ्स्पा के तहत असम राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था। तब से हर बार 6 महीने के लिए यह कानून अशांत क्षेत्र में बढ़ा दिया जाता रहा है। हिमंत बिस्वा सरमा के अनुसार अब इस क़ानून को इसलिए हटाया जा रहा है , क्योकि पिछले दो सालों में राज्य के कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। सीएम सरमा के मुताबिक इस महीने के आरंभ में ही असम ने अरुणाचल प्रदेश के साथ हुए सीमा विवाद को भी सुलझा लिया है। वहीं मेघालय के साथ 12 विवादित क्षेत्रों में से 6 पर समझौता हो गया है। बाकी इलाकों पर बात चीत अगले महीने शुरु होगी।
अफस्पा का गलत उपयोग
1958 में बनाये गए इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार मिले होतें हैं। जिसके तहत सुरक्षा बलों पर सवाल उठते रहे हैं कि वे इस विशेष अधिकार का दुरूपयोग करते हैं। दरअसल ये कानून सुरक्षा बलों को बिना किसी वारंट के अभियान चलाने व किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता हैं। इसके अलावा यह सुरक्षा बलों की कानूनी हिफाजत भी करता है। अगर सुरक्षा बलों की गोली से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो यह गिरफ्तारी और मुकदमें का सामना करने से उन्हें छूट देता है।
अफस्पा एक्ट मूल रुप से ब्रिटिश राज में लागू किया गया था। जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए सेना को विशेष अधिकार दिए थे। इसी विशेष अधिकार को आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू ने जारी रखने का फैसला लिया। जिसे वर्ष 1958 में एक अध्यादेश के जरिये अफस्पा को लाया गया। जो कानून के रूप में लागू हुआ।
असम ही नहीं इसके अलावा भी अफस्पा कानून पूर्वोत्तर के कई राज्यों मणिपुर ,त्रिपुरा , मेघालय , मिजोरम , अरुणाचलप्रदेश , समेत नागालैंड ,पंजाब , चंडीगढ़ जम्मूकश्मीर समेत देश के कई हिस्सों में लागू किया गया चुका है । लेकिन स्थिति सुधार को देखते हुए कई राज्यों से इसे हटा भी लिया गया। त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय में से अफस्पा को हटा दिया गया है। हालांकि ये कानून जम्मू-कश्मीर के अलावा नगालैंड, असम, मणिपुर (राजधानी इम्फाल के सात विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है।