उत्तर प्रदेश में होली की अनोखी परंपराएं हैं। ये अनोखी परंपराओं को निभाने में सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं, ताकि कहीं कोई अनावश्यक विवाद न खड़ा हो जाए। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली से पहले प्रशासन मसजिदों को ढक रहा है। कारण असामाजिक तत्व उन पर रंग फेंक सकते हैं। इससे स्थिति खराब हो सकती है। असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई करने से आसान तरीका मसजिदों को ढँकना है?
शाहजहांपुर प्रशासन अभी तक कई मसजिदों को प्लास्टिक से ढंका जा चुका है और दूसरी मस्जिद को ढंकने का काम किया जा रहा है। यह उस शहर में किया जा रहा है जहां उत्तर प्रदेश के मथुरा और बरसाने की तरह ही खघस तरह से होली मनाई जाती है। यहां एक खास यानी जूता मार होली मनाने का भी चलन है। इसमें लाट साहबश् का जूलुस निकाला जाता है। भैंसा गाड़ी पर निकलने वाले इस जुलूस में लोग जूते फेंकते है।
क्या हैं जूता मार होली:
अंग्रेजों के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करने के लिए यहां एक व्यक्ति को अंग्रेजों का प्रतीक लाॅट साहब बनाकर उसे भैंसा गाड़ी पर बिठाया जाता है। फिर उसे जूते और झाड़ू मार कर पूरे शहर में घुमाया जाता है। इस दौरान आम लोग लाॅट साहब को जूते भी फेंक कर मारते हैं। यह परम्परा 18वी सदी से चली आ रही हैं। अब इस वर्ष जिस रूट से यह श्लाट साहबश् का जुलूस निकलेगा उस मार्ग पर प्रशासन ने विशेष तैयारी की है। डीएम और एसपी सहित भारी तादाद में पुलिस बल इस रूट पर मौजूद रहेगा। ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, शाहजहांपुर शहर के पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने कहा है कि जुलूस मार्ग पर मस्जिदों को ऊपर से नीचे तक प्लास्टिक की चादरों से ढंका जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लोग संरचनाओं पर रंग या कोई आपत्तिजनक वस्तु न फेंकें और सांप्रदायिक एकता को भंग न करें।
उन्होंने कहा कि होलिका दहन से पहले मसजिदों को ढंक दिया जाएगा। पुलिस अधीक्षक का कहना है कि होली से एक दिन पहले ही इन सड़कों को बंद कर दिया जाएगा ताकि कोई असामाजिक तत्व जुलूस में व्यवधान न डाल पाए। शहर में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी संख्या में पैरा मिलिट्री फोर्सें, पीएसी और कई जिलों की पुलिस फोर्स बुलाई गई है जो मस्जिदों और पूरे शहर की सुरक्षा करेगी साथ ही ड्रोन के जरिए भी जुलूस पर नजर रखी जाएगी।