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बंगाल में एडिनोवायरस का कहर

पश्चिम बंगाल में कोरोना के बाद एडिनोवायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। इस वायरस के चलते लोगों में भय की स्थिति उतपन्न हो गई है । कोलकाता के अलावा दक्षिण बंगाल जिले में बुखार, सर्दी और खांसी से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इस वायरस से राज्य में अब तक 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं तीन हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। कठिन परिस्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा आपात बैठक बुलाई गई थी। बैठक में ममता बनर्जी द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए। जिसके कुछ घंटो के भीतर ही राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों और मेडिकल स्टाफ के लिए एडवाइजरी जारी कर दी। सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में युद्धकालीन संचालन के लिए कोरोना अलर्ट के तहत स्पेशल यूनिट खोलने का आदेश दिया गया। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को मरीजों के लिए हर जरूरी चिकित्सा उपाय करने के निर्देश दिए हैं।

 

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किए गए एडवाइजरी के मुताबिक सभी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल सहित ब्लॉक स्तर पर अस्पताल के बाल विभाग 24 घंटे खुले रहेंगे। वहीं आउटडोर विभाग पर दबाव घटाने के लिए अलग पेडिएट्रिक एआरआई क्लीनिक खोले जाएंगे। दिशा निर्देश के अनुसार कोई भी पेडिएट्रिक मामला बिना सुप्रीटेंडेंट की अनुमति के रेफर नहीं किया जाएगा। सभी अस्पतालों को वेंटिलेटर्स तैयार रखने का आदेश दिया गया है। पीजीटी और आरएस की मदद लेने के लिए कहा गया है। हेल्पलाइन नंबर भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी की गयी है। यह वायरस बच्चों में ज्यादा फैलने का अंदेशा है जिससे बच्चों को भीड़ और सार्वजनिक स्थानों से दूर रखने की सलाह दी गई है। बढ़ते वायरस से निपटने के लिए सभी स्टॉफ को ट्रेनिंग दी जाएगी। प्राइवेट अस्पतालों में भी सैनिटाइजेशन पर जोर दिया जाएगा।

 

यह वायरस धीरे धीरे महामारी का रूप ले रहा है। जिन बच्चों की उम्र दो साल से कम है उनको इस वायरस से ज्यादा खतरा है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से इससे पहले ही अस्पतालों को बच्चों को भीड़ भाड़ वाले स्थानों से दूर रखने की सलाह दी गई थी। यह गाइड लाइन 21 फरवरी को भेजी गई थी। जितने भी बच्चे बुखार, सर्दी-खांसी के साथ अस्पताल में भर्ती होते हैं, उनका एक बार कोरोना आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होगा। प्रभावित बच्चों और परिवारों को कोविड नियमों का पालन करना चाहिए। एडिनोवायरस से बच्चों के फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता हैं। उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। जिसके बाद बच्चों की तबीयत खराब और बिगड़ने लगती है। स्वास्थ्य विभाग की माने तो दिसंबर के अंत से लेकर रविवार तक राज्य के अस्पतालों में जिन बच्चों की मौत हुई उनमें से ज्यादातर दो साल से कम उम्र के थे। सभी को फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत के साथ भर्ती कराया गया था। मामलों को देखते हुए तृणमूल के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह चिंता की बात है, मुख्यमंत्री देख रही हैं,सरकार भी देख रही है, नई बीमारियों को समझने में समय लगता है,इसके इलाज के लिए सब कुछ किया जा रहा है।

 

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