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लॉकडाउन में टैक्सी मालिकों पर चालान का अतिरिक्त भार

लॉकडाउन में टैक्सी मालिकों पर चालान का अतिरिक्त भार

‘एक तो करेला, ऊपर से नीम चढ़ा’ ये कहावत आपमें से कइयों ने देखा-सुना और अपने जीवन में कभी न कभी जरूर महसूस किया होगा। ऐसा ही कुछ आजकल महसूस कर रहे हैं दिल्ली के ओला, उबर, टैक्सी मालिक और चालक। पिछले दो महीने से पूरी दुनियाभर में लॉकडाउन है। इसके चलते सभी कामकाज ठप्प पड़े हैं।

देश में लॉकडाउन के चलते कोई कहीं नहीं जा रहा, सभी अपने घरों में कैद है। कुछ तो अपने घर से काम कर रहे हैं। लेकिन टैक्सी चालक को तो बिना घर से निकले काम नहीं मिलेगा जिसकी इजाजत इन्हें बिल्कुल नहीं है। अगर इमरजेंसी में किसी को अस्पताल ले जाना हो या अन्य जरूरी काम के लिए घर से निकल भी जाए तो उसके घर टै्रफिक नियमों का पालन न करने तथा रेड लाइट जम्प के नाम पर हजारों का चालान भेज दिया जाता है या फिर गाड़ी सीज कर दी जाती है।

ऐसे में ये टैक्सी चालक करे तो क्या करे? यही नहीं इस लॉकडाउन के दौरान कइयों के घर उन्हें पिछले तीन से पांच महीने यानी नवंबर 2019 का चालान अप्रैल से भेजा जाने लगा है। किसी को रेड लाइट जम्प करने के लिए तो किसी को ओवर स्पीड के नाम पर। कइयों को ऐसे चालान भी भेजे गए जो कि उनका है ही नहीं तो कइयों को घर में बैठे होने के बावजूद यानी गाड़ी नहीं चली फिर भी चालान आया। कहा जा रहा है कि गाड़ी दूसरे के नाम है और चालान किसी और के घर।

बता दें कि लॉकडाउन के दौरान इतने ज्यादा चालान कमर्शियल वाहन मालिक और चालक के घर आए हैं कि वह कन्फ्यूजन में हैं कि ये मैंने कब, कैसे और कहां गलती की। इससे कहीं ज्यादा कन्फ्यूजन यह कि ओवर स्पीड का है। इन्हें सही में पता ही नहीं है कि कितने स्पीड में गाड़ी चलानी है। हां, इतना जरूर है कि वह हाइवे या रास्ते में कहीं भी कैमरे दिख जाए तो गाड़ी धीमी जरूर कर लेते हैं।

मोटर व्हीकल संशोधन एक्ट 2019 को देखने पर कहीं नहीं लिखा कि गाड़ी की स्पीड कितनी होनी चाहिए। हां, इतना जरूर है कि ओवर स्पीड में गाड़ी चलाने पर पहले 400 रुपये का चालान था अब वह 2000 हो गया है। सीट बेल्ट नहीं लगाने पर पहले 100 रुपये था अब 1000 है और रेड लाइट जम्प करने पर 100 रुपये का। मेरे पास उपलब्ध दिल्ली के दो टैक्सियों के चालान है। टैक्सी के नंबर प्लेट डीएलवनआरटीए 1496 के मालिक को 26 नवंबर से 6 दिसंबर 2019 तक 10 ओवर स्पीड का चालान आया है जिसका निपटारा कोर्ट में होना है।

इसी तरह डीएलवनआरटीए 9232 की है जिसे 15 जनवरी 2020 से 27 फरवरी 2020 तक का 6 चालान है जिसका कोर्ट में निपटारा होगा जबकि 15 मार्च से 21 मार्च तक 10 चालान है जिसका जुर्माना खुद से ऑनलाइन भरा जा सकता है। ये सभी चालान ओवर स्पीड का है। पता चला है कि एक ऐसे टैक्सी मालिक है जिसका 132 चालान कटे हैं। पूरी दिल्ली में न जाने ऐसे कितने मामले हैं।

चालक से बात करने पर उसने बताया कि लॉकडाउन-4 में मेट्रो, बसें, टूरिस्ट परमिट टैक्सी चलेंगी तो फिर ओला, उबर क्यों नहीं? क्या इनसे वायरस नहीं फैलेगी? अगर चलाना है तो सभी चलाओ वरना सब बंद करो। यही नहीं ओवर स्पीड की बात आई तो कहा 50 की स्पीड से कम क्या चलेगी, क्या 30 की स्पीड में अगर चलेगी तो कोई पब्लिक ओला, उबर में क्यों बैठेगी। उसने यह भी कहा कि मैंंने टैक्सी यूनियन से बात की है तो उन्होंने कहा कि मार्च तक का माफ हो जाएगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो 20 मई 2020 को टैक्सी यूनियन, मालिक और चालक धरना करेंगे।

एक चालक ने बताया कि रास्ते में लगे स्पीड साइन बोर्ड में 40 और 70 की प्रति किलोमीटर का बोर्ड लगा है। जबकि अप्रैल 2018 में सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की स्पीड लिमिट को 100 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़ाकर 120 किलोमीटर प्रति घंटा कर दिया है। टैक्सियों के लिए भी स्पीड लिमिट को 80 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़ाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटा कर किया गया है। हाइवे के लिए इसे 90 किलोमीटर प्रति घंटा लिमिटेड रखा गया है। जबकि शहरों में टैक्सियों की अधिकतम स्पीड 70 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है।

यह घोषणा नितिन गडकरी की अगुवाई में की गई। इसमें यह भी साफ किया गया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्पीड लिमिट को रिवाइज करते हुए 100 किलोमीटर प्रति घंटा किया गया है। लेकिन चालान कभी 43 तो कभी 47 के स्पीड का भी आया है। जबकि टैक्सियों में स्पीड कंट्रोलर भी लगा होता है। यह वही स्पीड कंट्रोलर है जो तय स्पीड से ज्यादा गाड़ी नहीं चलेगी, इसे गाड़ियों के इंजन में लगाया जाता है।

दिल्ली परिवहन विभाग ने टैक्सियों और कैब के लिए स्पीड कंट्रोलर लगाना अनिवार्य कर दिया था। यह फैसला केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से जारी अधिसूचना के बाद लिया गया है। इसे लगाने का मकसद टैक्सियों और कैब की स्पीड कंट्रोल कर सड़क हादसों को कम करना था।

-जनार्दन कुमार सिंह

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