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बैकफुट पर अडानी और रिलायंस बोले हम किसानों के साथ

 नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन पिछले 40 दिनों से जारी है । केंद्र सरकार के प्रस्ताव  को खारिज करते हुए किसान संगठनों ने एक बड़ी घोषणा की। किसान संगठनों ने कहा कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस नहीं करती, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे। किसानों ने कार्पोरेट  के बहिष्कार  की घोषणा करते हुए रिलायंस और अडाणी ग्रुप का नाम लिया। किसान नेताओं के मुताबिक, आंदोलनरत किसान रिलायंस जियो के सिम नहीं इस्तेमाल करेंगे। अगर किसी के पास जियो का सिम है तो उसे दूसरे सर्विस प्रोवाइडर में पोर्ट कराया जाएगा। रिलायंस और अडाणी ग्रुप के हर स्टोर , मॉल व सेवा का  किसान विरोध कर रहे हैं ।

 

देश के सबसे बड़े कारोबारी समूहों में शामिल, रिलायंस और अडाणी ग्रुप आंदोलनरत किसानों के निशाने पर हैं। इस बीच अडानी के बाद अब अंबानी ने भी बयान जारी कर कहा है कि रिलायंस किसानों के समर्थन में है और पूर्वानुमान के आधार पर फसल उत्पाद की अच्छी कीमत तय करने के पक्ष में है। उन्होंने आगे कहा कि कंपनी भविष्य में भी उसका कांट्रैक्ट फार्मिंग नहीं करेगी और न ही इसके लिए जमीन ली है।

रिलायंस ने  यह भी कहा कि इसकी सब्सीडरी कंपनी जियो इंफोकॉम ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका देकर इसके टावरों की हो रही तोड़फोड़ को रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा कि न तो रिलायंस न किसी अन्य साथी कंपनी ने किसानों की जमीन खरीद की है। कंपनी का कांट्रैक्ट फार्मिंग का कोई प्लान नहीं है। भविष्य में भी हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहते।

किसान आंदोलन के शुरुआत में ही अमृतसर में प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के पुतले फूंके थे। नवंबर के महीने में किसानों ने जियो सिम कार्ड भी जलाए थे। सोशल मीडिया पर भी जियो के खिलाफ कैंपेन चला। कुछ पंजाबी गायकों के सिम जलाने के वीडियो भी वायरल हुए थे। किसान संगठनों ने रिलांयस के पेट्रोल पंपों से तेल न भराने की भी अपील की थी।

दरअसल  साल 2017 में अंबानी ने इस क्षेत्र में निवेश की इच्छा  जताई थी। जियो प्‍लेटफॉर्म की फेसबुक के साथ पार्टनरशिप हुई है। जियो कृषि नाम का एक ऐप भी है जो खेत से प्‍लेट तक सप्‍लाई चेन तैयार करेगी। कंपनी का कहना है कि वह अपने 77 प्रतिशत फल सीधे किसानों से खरीदती है। विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि नए कानून इस तरह से बनाए गए हैं कि उससे ऐसे बड़े कारोबारियों को फायदा होगा। हालिया आंदोलन के दौरान खुलकर रिलायंस और अडाणी समूह का नाम लेकर किसानों ने विरोध दर्ज कराया है।

कुछ किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि अडाणी ग्रुप ऐसी फैसिलिटीज तैयार कर रहा है जहां अनाज स्‍टोर करके रखा जाएगा और बाद में उन्‍हें ऊंची कीमत पर बेचा जाएगा। वहीं, कंपनी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि ‘वर्तमान मुद्दों के सहारे जिम्‍मेदार कॉर्पोरेट पर कीचड़ उछालने की कोशिश की जा रही है।’

किसान कहते हैं, अंबानी-अडानी को मिलेगा फायदा

किसान आंदोलन के दौरान बार-बार इस तरह के आरोप सामने आते रहे हैं कि किसान कानूनों से दो खास ग्रुपों को फायदा पहुंचेगा किसान नेताओं ने भी बार-बार कहा है कि अंबानी और अडानी जैसे बड़े कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने की कोशिश हो रही है।  उनका ये भी दावा है कि इस कानून से फायदा उठाने के लिए मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस और अडानी की कंपनी ने पंजाब और हरियाणा में भारी संख्या में जमीनें खरीदी हैं ।

इस पर मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस ने अपनी सफाई कोर्ट में पेश की है।  कंपनी ने कहा है कि न तो रिलायंस और न ही उसकी किसी सहयोगी कंपनी ने भारत में या पंजाब और हरियाणा में सीधे या दूसरे तरीकों से एग्रीकल्चर लैंड खरीदी है। कॉर्पोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कोई भी जमीन नहीं खरीदी गई है। हमारा ऐसा करने का कोई प्लान भी नहीं है। हम किसानों के साथ लंबे वक्त में खरीद के ऐसे कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं करने जा रहे हैं, जिससे किसानों को नुकसान पहुंचे।

कंपनी ने आगे कहा रिलायंस हमेशा भारतीय किसानों को उनकी फसल की सही और फायदेमंद कीमत मिलने का समर्थन करती रही है।  हमने अपने सप्लायर को भी निर्देश दिया है कि वह मिनिमम सपोर्ट प्राइस या ऐसे किसी भी फायदा पहुंचाने वाले मैकेनिज्म का सख्ती से पालन करें, जिसे सरकार ने सुनिश्चित किया है।

बोला- तोड़फोड़ के पीछे दूसरी कंपनियां

पंजाब में जियो के टावरों में तोड़फोड़ के मसले पर भी रिलायंस ने कोर्ट में अपनी बात रखी।  भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियों की तरफ इशारा करते हुए जियो ने कहा कि हमारा मानना है कि इस तोड़फोड़ के पीछे दूसरी कंपनियां जिम्मेदार हैं। बिजनेस में प्रतिस्पर्धा रखने वाली कंपनियों के इशारे पर ये तोड़फोड़ कराई जा रही है।  इस बारे में हमने टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी TRAI को एक चिट्ठी भी लिखी है।  जियो का कहना है कि तोड़फोड़ की इन घटनाओं की वजह से हमारे हजारों कर्मचारियों को जिंदगी को खतरा है।  कम्यूनिकेशन का मूलभूत ढांचा और कंपनी के साथ कारोबार से जुड़े दोनों प्रदेश के लोगों का भी भारी नुकसान हो रहा है। जियो के इन दावों को आरोपी कंपनियों ने आधारहीन बताया है। भारती एयरटेल ने अपनी एक चिट्ठी में कहा है कि ये सब बातें हास्यास्पद हैं।अगर कस्टमर्स को प्रभावित करने की इतनी ही क्षमता होती तो हम उसे 3 साल पहले ही इस्तेमाल करते, जब जियो तेजी से कस्टमर बटोर रही थी।

पिछले हफ्ते हुई थी टावरों से तोड़फोड़

पंजाब में किसान कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच पिछले हफ्ते पंजाब से करीब 1500 टेलीकॉम टॉवरों को नुकसान पहुंचाने की खबरें आई थीं।  इसकी वजह से राज्य के कई इलाकों में मोबाइल सर्विस पर असर भी पड़ा। पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने इसे लेकर कड़ी चेतावनी जारी दी थी।  अमरिंदर ने अपील की थी कि दूरसंचार के बुनियादी ढांचे को नुकसान न पहुंचाएं।  इसके बावजूद पिछले हफ्ते पंजाब में कई सिग्नल साइटों और 1500 से अधिक टेलिकॉम टावरों की बिजली बाधित की गई।  जियो फाइबर की लाइन काटने की घटनाएं भी दर्ज की गई थी।

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