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फिर हुआ सक्रिय हुआ सक्रिय उग्रवादी संगठन

त्रिपुरा में प्रतिबंधों के बावजूद उग्रवादी संगठन (एनएलएफटी) एक बार फिर हुआ सक्रिय हो गए हैं । इस बार उसने बांग्ला देश से बीएसफ जवानों पर निशाना साधा है और अपने हिंसात्मक कार्यवाही को अंजाम देने की कोशिश की जिसमे वह विफल रहा । दोस्ती की मिसाल भारत -बांग्लादेश के सीमा पर इन दिनों तनाव पूर्ण की स्थिति बनी हुई है। उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर अनुमंडल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर त्रिपुरा में बैन हुए “नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा” (एनएलएफटी) की भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ ) के साथ हाल ही में मुठभेड़ हुई।

जब उग्रवादियों द्वारा गोलीबारी की जा रही थी तब बीएसएफ जवानों ने भी जवाबी कार्यवाही करते हुए गोलियां चलाई। जिससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और विद्रोही घने जंगल की आड़ में भाग भाग निकले। ये उग्रवादी भारी हथियारों से लैस थे। इन्ही उग्रवादियों के एक समूह द्वारा बांग्लादेश के रंगमती पर्वतीय जिले के जुपुई इलाके से बीएसएफ जवानों पर गोलियां चलाईं गयी।

बीएसएफ अधिकारी के अनुसार उग्रवादियों द्वारा चलाई जा रही अंधाधुंध गोलीबारी की चपेट में आ एक बीएसएफ का एक जवान आ गया। सीमा पर हुई मुठभेड़ के दौरान सीमा सुरक्षा बल के उस जवान को चार गोलियां लगीं। जिसके बाद जवान गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसकी पहचान बीएसएफ की 145वीं बटालियन के गिरिजेश कुमार के रूप में हुई। गंभीर रूप से घायल इस जवान को हेलीकॉप्टर से अगरतला इलाज के लिए ले जाया गया जहां उन्हें शहीद घोषित कर दिया गया।बीएसएफ के अधिकारी के अनुसार इस मुठभेड़ के तुरंत बाद भारत-बांग्लादेश की सीमा सुरक्षा बढ़ा दी गई है। आवश्यक कार्रवाई के लिए (बीजीबी) बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश से इस मुद्दे पर बात करेगी।

“नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा” पर प्रतिबंध

गौरतलब है कि “नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा” इस उग्रवादी संगठन ने अपनी शुरूआत 12 मार्च 1989 को त्रिपुरा के एजेंडे के साथ की थी। इस संगठन को 1997 में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और फिर आतंकवाद रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत प्रतिबंधित कर दिया गया था। यह संगठन कई हिंसक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार रहा है। जिसमें 317 विद्रोह की घटनाएं शामिल थीं , 2005-2015 के बीच 28 सुरक्षा बलों और 62 नागरिकों की जान चली गई थी।

राज्य और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार एक गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार प्रतिबंधित उग्रवादियों का यह समूह पड़ोसी बांग्लादेश से अब काम कर रहा है और त्रिपुरा में फिर से अपने आंदोलन को फैलाने की कोशिश में लगा है। पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा , पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ 856 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। साझी की गई सीमा पर लगभग 67 किमी का बाड़ लगाना बाकी है।

 

 

 

 

 

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