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कांग्रेस में लेटरबाज नेताओं के खिलाफ कार्यवाई शुरु 

कांग्रेस में बगावती तेवर अपनाने वाले और  सोनिया गांधी को चिठ्ठी भेजने वाले  लेटरबाज नेताओं के खिलाफ पार्टी ने एक तरह से कार्रवाई शुरू कर दी है। कांग्रेस कार्यकारिणी (सीडब्लूसी ) की हंगामेदार बैठक के बाद पार्टी ने सख्त कदम उठाते हुए चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को पार्टी हित के अहम फैसलों से दरकिनार कर दिया है। इस बीच संसद में पार्टी को नेतृत्व देने के लिए नई टीम भी बनाई जाने लगी है। इसमें युवाओं  नेताओं को आगे किया जा रहा है।
 अभी तक लोकसभा में पार्टी की मुखर आवाज में शामिल रहे सांसद शशि थरूर और आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी की अनदेखी करते हुए युवा गौरव गोगोई को लोकसभा में डेप्युटी लीडर नियुक्त किया गया है। वहीं, रवनीत सिंह बिट्टू को पार्टी का चीफ व्हिप बनाया गया है। थरूर और तिवारी उन 23 नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने सोनिया को पत्र लिखा था।

इसके अलावा पार्टी ने संसद में आने वाले मुद्दों को लेकर दस  नेताओं का एक समूह बनाया है। इमसें सोनिया को चिट्ठी लिखने वाले गुलाम नबी आजाद  और आनंद शर्मा भी शामिल हैं। इसके अलावा सोनिया के खास सिपहसलार अहमद पटेल  जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल भी इसमें शामिल हैं। रमेश को राज्यसभा में पार्टी चीफ व्हिप नियुक्त किया गया है। इसमें लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी समेत पांच  सांसद शामिल हैं। बताया जा रहा है कि  अभी तक राज्यसभा में कांग्रेस की बात रखने वाले आजाद और शर्मा पर नियंत्रण रखने के लिए इतना बड़ा समूह बनाया गया है।

इस सब के बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर कांग्रेस वर्किंग कमेटी और संगठन के प्रमुख पदों पर चुनाव करवाने पर जोर दिया है। आजाद ने कहा, “चुने हुए लोग लीड करेंगे तो पार्टी के लिए अच्छा होगा, नहीं तो कांग्रेस अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठी रहेगी। हो सकता है कि नियुक्त (अपॉइंट) किए जाने वाले अध्यक्ष को एक प्रतिशत  लोगों का भी समर्थन नहीं हो।”

आजाद ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी समेत, राज्यों के प्रमुख, जिला अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष के पदों पर भी चुनाव करवाने पर जोर दिया। साथ ही कहा “जो लोग चुनाव करवाने का विरोध कर रहे हैं, उन्हें अपने पद खोने का डर है। जो वफादार होने का दावा कर रहे हैं, वे हकीकत में ओछी राजनीति कर रहे हैं। इससे पार्टी और देश को नुकसान होगा।”

“आंतरिक चुनाव में 51% वोट मिलने वाले की जीत होती है। इसका मतलब ये हुआ कि चुने हुए अध्यक्ष के साथ 51% लोग होते हैं। अगर कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य चुनाव से तय होंगे, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता। इस बात में परेशानी क्या है?”

इस बात से परेशानी नहीं कि राहुल गांधी अगले अध्यक्ष बनते हैं या किसी और को जिम्मेदारी मिलेगी। अगर सोनिया गांधी मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्तावित समिति में मुझे सदस्य बनाती हैं, तो खुशी होगी। नए कांग्रेस अध्यक्ष का 6 महीने इंतजार कर सकता हूं।”

आजाद का बयान कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की मीटिंग के 3 दिन बाद आया है। सीडब्ल्यूसी की सोमवार 23 अगस्त को हुई मीटिंग में रिजॉल्यूशन पास कर सोनिया गांधी से अपील की गई कि जब तक ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) का सेशन बुलाने की स्थितियां नहीं बनें, तब तक आप ही अंतरिम अध्यक्ष बनी रहें।

आजाद उन 23 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की थी। सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में यह बात सामने आई कि चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर राहुल गांधी ने भाजपा से मिलीभगत के आरोप लगा दिए। इस पर आजाद ने कहा था कि आरोप साबित हुए तो पार्टी छोड़ देंगे।

इधर यूपी की लखीमपुर जिला कांग्रेस कमेटी ने चिट्‌ठी लिखने वाले नेताओं के खिलाफ 5 प्रस्ताव पारित किए हैं। इनमें एक में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को पार्टी से निकालने की मांग की गई है।

इसके विरोध में पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कल 27 अगस्त  को ट्वीट कर कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी में कांग्रेस जितिन प्रसाद को आधिकारिक तौर पर निशाना बना रही है। पार्टी को अपने लोगों पर नहीं, बल्कि भाजपा पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की जरूरत है।’ कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी सिब्बल का ट्वीट शेयर कर लिखा- ‘भविष्यज्ञानी।’ तिवारी भी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्‌ठी लिखने वालों में शामिल हैं।

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