पूरे देश में कोरोना आपदा के कारण लॉकडाउन जारी है। शायद इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा जब लोगों को अपने घरों में पूरी कैद कर दिया गया है। www.covid19india.org के मुताबिक, अब तक 774 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि 6577 लोग अभी भी संक्रमित हैं। पिछले 24 घंटों में देश भर में 871 लोग संक्रमित हुए। कल शाम तक 7598 मामलों की पुष्टि हुई थी। जबकि 246 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ती तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घण्टे में 33 लोगों की मौत हुई है। जबकि 678 नए मामले सामने आए हैं। अब देश में कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 6,761 हो गई है। इसमें 6,588 सक्रिय मामले हैं। जबकि, 714 डिस्चार्ज हो चुके हैं।
ऐसे हालात में जहां देश एकजुट है। वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर कुछ लोगों के द्वारा हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाई जा रही है। तब्लीगी जमात के जरिए पूरे इस्लामिक समुदाय को घेरा जा रहा है। कोरोना जिहाद, जैसे शब्दों से एक विशेष समुदाय पर लगातार प्रहार किया जा रहा है। तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। झूठी खबरें चलाई जा रही है। पुलिस इन झूठी खबरों पर ध्यान न देने और मीडिया के इस व्यवहार को लेकर लोगों को आगाह करती आ रही है। देश के कई हिस्सों में मॉब लीचिंग भी शुरू हो चुकी है।
नफरत की इस राजनीति पर कर्नाटक के धरवाड़ की एक महिला अफसर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में वो कह रही हैं कि भारत की एकता को तोड़ा जा रहा है। हिंदू मुस्लिम सब एक हैं। मैं आज आपके सामने एक मुसलमान की वजह से ही जिंदा हूं। कर्नाटक में नव नियुक्त धारवाड़ सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अनुषा 2014 बैच की पासआउट हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म यानी फेसबुक, व्हाट्सएप, टिक टॉक के साम्प्रदायिक वीडियोज और कंटेट को देखी तो लोगों पर भड़क गई।
उन्होंने बताया कि कैसे साल 2002 के गुजरात दंगें में एक मुस्लिम डॉक्टर ने उनकी जान बचाई थी। एसीपी अनुषा ने गुजरात में गोधरा की घटना के बाद 2002 में सांप्रदायिक दंगें के बाद की घटना को याद करते हुए कहा, “पूरे राज्य में दंगे फैल गए थे। उस समय एक छोटी बच्ची अचानक बीमार पड़ गई थी। उसकी हालात गंभीर थी। आस पड़ोस में सब कुछ बंद था डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे। तब एक मुस्लिम डॉक्टर आगे आए उस बच्ची का इलाज किया और उसकी जान बचाई। वो छोटी बच्ची मैं हूं। मुझे जन्म मेरी मां ने दिया है। लेकिन दूसरा जीवन एक मुस्लिम डॉक्टर ने। आज वो इस दुनिया में नहीं हैं भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।” अनुषा ने डॉक्टर का नाम सईद सादिक बताया।
एसीपी अनुषा ने नेताओं को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज भेजने वालों पर लगाम कसने की बात कही। उन्होंने कहा, “ऐसे लोग हैं जो नफरत फैलाते हैं और समुदाय को विभाजित करते हैं और शांति को बाधित करते हैं, लेकिन मैं धारवाड़ में ऐसा नहीं होने दूंगी।” अनुषा ने कहा कि मुसलमानों को कोरोना वायरस से जोड़कर या उन्हें आतंकवादी के रूप में ब्रांडिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
उन्होंने आश्वासन दिलाया कि देश की एकता को टूटने नहीं देना है बल्कि मिलकर नफरती चिंटुओं से लड़ना है। अनुषा साल 2014 बैच की अधिकारी रही हैं। बता दें अनुषा ने लॉकडाउन लागू होने के बाद प्रदेश में पुलिस को लाठी चार्ज न करने के आदेश दे रखे हैं। अनुषा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई अधिकारी और लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं।