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‘आप’ का बढ़ता जनाधार

 

वर्ष 2012 में गांट्टावादी समाजसेवी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोट्टा आंदोलन से जन्मी ‘आम आदमी पार्टी’ का जनाट्टार लगातार बढ़ता ही रहा है। ‘आप’ ने कांग्रेस को पहले दिल्ली फिर पंजाब से बेदखल कर अब कई राज्यों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर डाली है। हाल ही में मध्य प्रदेश के सिंगरौली में मेयर चुनाव जीतकर पार्टी ने एक और राज्य में दस्तक दे दी है

 

देश को आजादी मिलने से भी पहले बनी कांग्रेस पार्टी मौजूदा समय में एक ओर जहां सिकुड़ती जा रही है वहीं वर्ष 2012 में गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी का जनाधार लगातार बढ़ रहा है। ‘आप’ ने कांग्रेस को पहले दिल्ली फिर पंजाब से बेदखल कर अब कई राज्यों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस से ज्यादा सक्रिय हो गई है। साल के अंत में गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने गुजरात चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं वहीं हाल ही में मध्य प्रदेश के सिंगरौली में मेयर चुनाव जीतकर पार्टी ने एक और राज्य में दस्तक दे दी है। हालांकि मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में पिछली बार की तुलना में इस बार कांग्रेस के प्रदर्शन में भी सुधार हुआ है लेकिन हैरान करने वाले नतीजे आम आदमी पार्टी के लिए रहे हैं।


आम आदमी पार्टी ने इस बार मध्य प्रदेश के निकाय चुनाव में धमाकेदार प्रदर्शन किया है। कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रदर्शन में सुधार तो किया है लेकिन कांग्रेस की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। वहीं सिंगरौली में आम आदमी की जीत ने यह साबित कर दिया है कि प्रदेश की राजनीति में तीसरे विकल्प की भरसक गुंजाइश है। ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में ‘आप’ की एंट्री से बीजेपी-कांग्रेस के लिए चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।


‘आप’ की धमाकेदार एंट्री ने दिए कई संकेत
मध्य प्रदेश के सिंगरौली से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार रानी अग्रवाल ने बीजेपी के प्रत्याशी को नौ हजार से ज्यादा वोटों की जीत के साथ बड़ी लकीर खींच दी है। इस जीत को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर तीसरे विकल्प के तौर पर भी देखा जाने लगा है। मध्य प्रदेश की राजनीति के जानकार मानते हैं कि राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से ये नतीजे भले ही कोई बड़ा परिवर्तन नहीं माने जाएं लेकिन प्रदेश की राजनीति के लिए बड़े संकेत हैं।


गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में हुए 16 नगर निकाय चुनाव में बीजेपी को इतनी कड़ी टक्कर मिली। पिछली बार सभी 16 नगर निगमों का बीजेपी का ही कब्जा था। लेकिन इस बार उसके हाथ से 7 नगर निगम चले गए। इस बार रीवा, ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा और मुरैना में कांग्रेस को जीत मिली है जबकि कटनी में निर्दलीय उम्मीदवार और पहली बार निकाय चुनाव में उतरी सिंगरौली में आप की महापौर प्रत्याशी गीता कुशवाह ने जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी के लिए यह जीत एक ब्रेक की तरह है जो यह बताता है कि लोकल मुद्दों पर उसकी पकड़ बाकी सभी दलों से अलग है।


दिल्ली में सरकार बनाने के बाद पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और अब वह पूरे देश में अपने आप को ले जा रही है। यही कारण है कि अब आम आदमी पार्टी दिल्ली से निकलकर उस मध्य प्रदेश में अपने पांव जमा रही है जहां बीजेपी और कांग्रेस के अलावा किसी तीसरे के लिए जगह नजर ही नहीं आती है। खास बात यह है कि अगले साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां आप का खास फोकस है। ऐसे में मध्य प्रदेश के निकाय चुनाव के जरिए आप 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार करने में जुटी है ताकि पार्टी को विधानसभा चुनाव में सफलता मिले।


हरियाणा कांग्रेस ने दिया ‘आप’ को मौका
हरियाणा में बीजेपी के बाद कांग्रेस पार्टी राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी है। पार्टी में लगातार अंदरूनी कलह के चलते पिछले सात-आठ सालों से कांग्रेस जमीनी स्तर पर संगठनात्मक इकाइयों का चुनाव नहीं कर पाई है। इसी वजह से कांग्रेस निकाय चुनाव में नहीं लड़ पाई। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि पार्टी ने कभी भी निकाय चुनाव नहीं लड़ा।
वहीं कांग्रेस पार्टी के इस फैसले से आम आदमी पार्टी को हरियाणा में पैर जमाने का बेहतरीन अवसर मिला। दरअसल हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव में आप को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

ऐसे में पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली जीत और कांग्रेस के ‘वाकओवर’ से हरियाणा में आम आदमी पार्टी मजबूत होने की संभावनाओं की तलाश में है। बीते मार्च में हुए पांच राज्यों, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों में जहां पंजाब में आम आदमी पार्टी का जादू मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला वहीं ‘आप’ का जादू उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश में नहीं चल सका लेकिन पंजाब के अलावा 40 सदस्यीय गोवा चुनाव में भी उसने दो सीटें जीतकर वह वहां भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफलता हासिल की। एक ओर जहां कांग्रेस, बसपा जैसे विपक्षी दलों को मतदाताओं ने कड़ा संदेश दिया है, वहीं राष्ट्रीय राजनीति में ‘आप’ को कांग्रेस के विकल्प के रूप में उभरने का मार्ग भी पंजाब के नतीजों के बाद प्रशस्त हुआ है।


इसके अलावा ‘आप’ गुजरात के सूरत नगर निगम चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी है। मौजूदा समय में पार्टी का पूरा ध्यान इसी नवंबर में होने वाले हिमाचल और गुजरात के विधानसभा चुनाव पर केंद्रित है। इसके लिए इन राज्यों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यक्रम निर्धारित किए जा रहे हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव भले ही 2023 में होने हैं लेकिन आम आदमी पार्टी ने यहां भी तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। पार्टी ने प्रदेश में सभी 200 विधानसभा सीटों पर लड़ने का एलान किया है।

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