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आए दिन देश भर से कोई न कोई घटना सामने आती रहती है। जिसका समाधान कोट कचहरी के चक्कर लगाने से ही निकल पाता है। लेकिन बिहार में एक ऐसा गांव है जहां आजादी के बाद से ही गांव का कोई मामला थाने तक नहीं पहुँचा।

जहानाबाद के गांव धौताल बिगहा में एक भी इंसान ने अपने आपसी विवाद को लेकर थाने में कभी कोई मामला दर्ज नहीं कराया है। खबरों के मुताबिक यहां के लोग बिना कोर्ट- कचहरी, थाने का चक्कर लगाए अपने मामलों का निपटारा आपस में ही कर लेते हैं। इसके चलते माना जा रहा है कि 800 की आबादी वाले इस गांव के लोगों ने मिसाल कायम की है। इस मिसाल के संदर्भ में गांव के सबसे बुजुर्ग जगदीश यादव, नंदकिशोर प्रसाद, संजय कुमार ने कहा कि यहां लोग एकता के सूत्र में बंधे हैं। यहां पंचायत चुनाव में भी वार्ड और सरपंच पद पर निर्विरोध निर्वाचन होता है। उनके मुताबिक अगर गांव में किसी बात को लेकर विवाद होता भी है , तो उसे आपस में ही बात करके निपटा लिया जाता है।

गांव के छोटे-मोटे विवादों को गांव के बड़े बुजुर्ग द्वारा ही निपटारा किया जाता रहा है। दरअसल गांव के कुछ बुजुर्ग लोगों द्वारा गांव के मामलों में हस्तक्षेप किया जाता है। आपस में विवाद होने पर तुरंत दोनों पक्षों से बात करके समझा-बुझाकर सुलह करा दी जाती है। पंचायत के मुखिया विजय साव के कहने अनुसार यह किसी भी गांव के लिए एक बेहद अच्छी परंपरा है। उनके मुताबिक दूसरे गांवों के लोगों को भी इसी तरह किसी भी विवाद को आपस में सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। गौरतलब है कि ये पहला ऐसा गांव नहीं है, जो अपने आप में सभी फैसले कर लेता है।

 

 

हिमाचल प्रदेश का मलाणा गांव भी कुछ इसी तरह की अपनी अनोखी पहचान बनाता है। इस पूरे गांव के प्रशासन को एक ग्राम परिषद के जरिये ऋषि जमूल के नियमों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस ग्राम परिषद में 11 सदस्य होते है जिन्हे ऋषि जमूल के प्रतिनिधियों के रूप में जाना जाता है। यहां भी ग्राम परिषद् द्वारा लिया गया फैसला ही सबके लिए अंतिम फैसला होता है। बाहर का कोई नियम इस गांव में लागू नहीं किया जाता। ये गांव अपनी लोकतंत्र व्यस्था के कारण जाना जाता है।

 

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