देश में चल रही किसान राजनीति के बीच एक ट्विस्ट आ गया है। वह यह कि अब किसान बिल कानून पास करने वाली भाजपा के पूर्व मंत्री अपनी ही पार्टी के विरोध में उतर गए है। हालाँकि पूर्व मंत्री ने इसकी अभी खुले रूप से आधिकारिक घोषणा नहीं की है। लेकिन जिस तरह से उन्होंने किसानों के पक्ष में बयान दिया है और अपने संगठन सर छोटू राम विचार मंच को किसानों के पक्ष में उतारा है। यह संगठन आज हरियाणा में किसान बिलों के विरोध में केंद्र सरकार क खिलाफ प्रदर्शन करेगा। इससे साफ़ संकेत है कि भाजपा के यह पूर्व मंत्री अब अपनी ही सरकार के विरुद्ध हो गए है।
यह पूर्व मंत्री है चौधरी वीरेंद्र सिंह। वीरेंद्र सिंह की बयानबाजी का अवलोकन करे तो अब हरियाणा में भाजपा के अंदर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह के एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में यह कहकर हलचल पैदा कर दी है कि उनके लिए पार्टी और राजनीति से बढ़कर किसानों का हित है। चौधरी ने दावा किया है कि मैं किसानों की अगुवाई करने के लिए तैयार था। फ़िलहाल अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। जिसके मद्देनजर माना जा रहा था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह किसानों के आंदोलन में शरीक हो सकते हैं।
गौरतलब है कि भाजपा के सीनियर लीडर चौधरी बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा के कैथल में कहा था कि अगर वे (किसान) मुझसे संपर्क करते, तो मैं किसानों की अगुवाई करने के लिए तैयार था। यही नहीं बल्कि उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के बारे में किसानों की शंकाओं को दूर करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि किसानों को लगता है कि कानून उनके लिए हानिकारक हैं।
याद रहे कि सर छोटू राम विचार मंच, चौधरी बीरेंद्र सिंह द्वारा प्रतिनिधित्व एक गैर सरकारी संगठन है, जो आज हरियाणा में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा। इस बाबत कल ही चौधरी बीरेंद्र सिंह ने सर छोटू राम विचार मंच के सदस्यों को स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में वह केवल किसान राजनीति करेंगे। हालाँकि चौधरी बीरेंद्र ने पुष्टि नहीं की है कि वह इस विरोध में शामिल होंगे या नहीं, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि वह विरोध में शामिल हो सकते हैं।