[gtranslate]
Country Latest news

एक वैज्ञानिक जिसने उपराष्ट्रपति पद को भी ठुकराया

 

वैसे तो भारत से नोबेल पुरस्कार कई महानुभावों को मिला है लेकिन उन सभी में भौतिक के नोबेल के लिए मशहूर सीवी रमन की बात ही जुदा है। आज 21 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि है।  विज्ञान की दृष्टि से भी प्राचीनतम भारत ने कई उपलब्धियां हासिल की है। जैसे शून्य और दशमलव प्रणाली की खोज, पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने की खोज तथा आयुर्वेद के फॉर्मुले आदि की खोज।  

 
वे विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय होने के साथ-साथ पहले अश्वेत भी थे। भारत सरकार की ओर से सन 1952 में उनके पास भारत का उपराष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव आया। इस पद के लिए सभी राजनितिक दलों ने उनका साथ दिया। ऐसे में उनको निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुना जाना लगभग तय था। लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और विज्ञान के क्षेत्र में अपना कार्य जारी रखा।  चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर में 7 नवम्बर 1888 को हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रशेखर अय्यर व माता का नाम पार्वती अम्मा था।     
                                                                         
भारत सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया। साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी उन्हें प्रतिष्ठित ‘लेनिन शांति पुरस्कार’ से उन्हें सम्मानित किया। भारत में विज्ञान को नई ऊंचाइयां प्रदान करने में उनका बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने स्वाधीन भारत में विज्ञान के अध्ययन और शोध को जबरदस्त प्रोत्साहन दिया।  
‘ऑप्टिकस’ के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 1924 में रमन को लन्दन की ‘रॉयल सोसाइटी’ का सदस्य बनाया गया और यह किसी भी वैज्ञानिक के लिये बहुत सम्मान की बात थी। 
वेंकट रमन ने वर्ष 1929 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस की अध्यक्षता भी की। वर्ष 1930 में प्रकाश के प्रकीर्णन और रमण प्रभाव की खोज के लिए उन्हें भौतिकी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
उनका स्वर्गवास 21 नवम्बर 1970 को बैंगलोर में हो गया था। 

You may also like

MERA DDDD DDD DD