बैंगलोर एआई कंपनी की सीईओ सूचना सेठ का नाम दो दिनों से सोशल मीडिया पर काफी तेजी से सामने आ रहा है। सूचना सेठ वह नाम है जिसने अपने 4 साल के मासूम बेटे को केवल इसलिए जान से मार डाला ताकि उसका एक्स हस्बैंड अपने बेटे से न मिल सके। देश और दुनिया से लगातार सामने आ रही ऐसी वारदातें इस बात का सुबूत देती हैं कि किस तरह मनुष्य में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। एक मां अपने गुस्से और प्रतिशोध के लिए अपने बच्चे की जान कैसे ले सकती है ? इस वारदात ने मां और बच्चे के रिश्ते पर काफी सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हत्याकांड में हत्या की वजह जान कर हर कोई अचंभित है। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।
यह मर्डर केस एक फिल्म या सीरीज की तरह लगता है। एक मां ने अपने चार साल के मासूम बेटे का कत्ल किया। उसकी लाश को एक बैग में पैक किया। एक कैब में वो लाश वाला बैग रखकर वो साढ़े पांच सौ किलोमीटर के सफर पर निकल पड़ती है, लेकिन इससे पहले कि वो अपनी मंजिल तक पहुंच पाती, कैब ड्राइवर अचानक गाड़ी को एक पुलिस स्टेशन पर ले जाता है। और महिला पकड़ी जाती है। ये कहानी जितनी बैचेन करने वाली है, इससे ज्यादा मां के मर्डर करने की वजह परेशान कर रही है। जिस वजह के लिए एक मां ने अपने प्रतिशोध के लिए अपने मासूम बच्चे को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।
कौन हैं सूचना सेठ?
सूचना सेठ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एथिक्स एक्सपर्ट, डेटा साइंटिस्ट और स्टार्टअप कंपनी माइंडफुल एआई लैब की फाउंडर और सीईओ हैं। इनकी उम्र 39 साल है। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस यानी एआई के एथिक्स के बारे में वो घूम-घूम कर लेक्चर यानी ज्ञान देती है। एआई की अच्छाई और बुराई के बारे में बताती हैं। सूचना के पास डेटा साइंस और एआई में काम करने का 12 साल का एक्सपीरियंस है। बाद में उसने बेंगलुरु में एक स्टार्टअप कंपनी की शुरुआत की, माइंडफुल एआई लैब नाम की इस कंपनी की वो फाउंडर और सीईओ है। सूचना सेठ अपने चार साल के बेटे के साथ 6 जनवरी को बेंगलुरू से गोवा आयीं, गोवा एयरपोर्ट पर उतने के बाद वो वहां से सीधे कैंडोलिम इलाके के मौजूद इसी सोल बनयान ग्रैंड होटल में ठहरीं। होटल के बुकिंग सूचना ने पहले से ही करा रखी थी। रिसेप्शन पर बाक़ायदा वो अपना आईडी कार्ड भी देती है। 6, 7 और 8 जनवरी को सूचना अपने बेटे के साथ गोवा के अलग-अलग इलाकों में घूमती हैं। 8 जनवरी के बाद शुरू होती है वारदात।
8 जनवरी की रात करीब दस बजे सूचना होटल के रिसेप्शन पर फोन कर बेंगलुरु के लिए एक कैब बुक कराने को कहती है। होटल के ट्रैवल डेस्क को सूचना की ये बात बड़ी अजीब भी लगती है। ट्रैवल डेस्क पर मौजूद शख्स सूचना को मशवरा देता है कि कैब से बेंगलुरु जाने की बजाय फ्लाइट से जाना कहीं ज्यादा सस्ता पड़ेगा और वक्त भी बचेगा, लेकिन सूचना कैब से ही बेंगलुरु जाने की बात दोहराते हुए उसे उसके लिए उसी वक्त एक कैब बुक करने के लिए कहती है। साथ ही ये भी कहती है कि पैसे की चिंता ना करे, जो भी किराया होगा, वो दे देंगी।
रात का वक़्त गुजरा और 8 जनवरी से 9 जनवरी हो गई। रात के करीब 1 बजे थे, एक इनोवा कार होटल पहुंच चुकी थी। सूचना ने रिसेप्शन पर चुकाया और चेकआउट कर एक बैग लिए अब वो होटल से बाहर निकलती है, और बाहर खड़ी इनोवा कार में बैठ जाती है। कार अब गोवा से बेंगलुरु के लिए रवाना हो चुकी थी, लेकिन सूचना के जाने में एक अजीब बात थी। होटल वो अपने चार साल के बेटे के साथ आई थी, लेकिन चेकआउट के बाद जब वो होटल छोड़ रही थी, तब उसके पास सिर्फ एक बैग था, बेटा नहीं था।
गोवा से बेंगलुरु तक की दूरी 550 किलोमीटर से भी ज्यादा है। सड़क के रास्ते इस सफर को पूरा करने में लगभग 10 घंटे लगते हैं, उधर….. सूचना कार में बेंगलुरु की तरफ बढ़ रही थी। इधर, गोवा में नई सुबह ने दस्तक दे दी थी। सुबह होते ही होटल के स्टाफ ने तमाम कमरों के साथ-साथ सूचना के कमरे की भी सफाई करनी शुरू करि। तभी एक स्टाफ की नजर सूचना के कमरे में मौजूद खून के कुछ बूंदों पर पड़ी, खून देखते ही वो घबरा गया। उसने फौरन होटल मैनेजर को इसकी खबर दी।
इसके बाद मैनेजर ने फौरन कलिंगुट पुलिस स्टेशन को इसकी सूचना दी। तब घड़ी में सुबह के 8 बजे थे। सूचना मिलते ही पुलिस फौरन होटल के उस कमरे में पहुंचीं। खून के निशान देख कर उसे अंदाजा हो जाता है कि यहां कुछ तो हुआ है। अब पुलिस कमरे में ठहरे गेस्ट के बारे में पूछताछ करती है। तब पता चलता है कि इस कमरे में रात एक बजे बेंगलुरु से सूचना सेठ नाम की एक महिला ने चेकआउट किया है। गोवा पुलिस अब सूचना के बारे में पूरी जानकारी लेती है, और होटल के सीसीटीवी फुटेज को भी खंगालती है।
और तभी पुलिस को सूचना के चार साल के अपने बच्चे के साथ बेंगलुरु से गोवा आने और रात 1 बजे कैब से बेंगलुरु वापस जाने के बारे में पता चलता है। पुलिस भी फ्लाइट की बजाय कैब से बेंगलुरु जाने के सूचना के फैसले को जानकर हैरान रह जाती है। होटल के स्टाफ और सीसीटीवी कैमरे से ये पता चलता है कि वो आई तो एक बच्चे के साथ थी, लेकिन लौटी अकेली।
पुलिस ने फौरन अपना दिमाग लगाया और होटल के ट्रैवल डेस्क से उस ट्रैवल एजेंसी का नंबर लिया, जिसने सूचना के लिए इनोवा कार भेजी गई थी। अब कार के ड्राइवर का नंबर गोवा पुलिस को मिल चूका था। गोवा पुलिस ने कार ड्राइवर को फोन मिलाया। फोन मिलाते ही उससे कहा कि वो कार में बैठी मैडम से उसकी बात कराए। मैडम यानी सूचना के लाइन पर आते ही पुलिस ने उससे पूछा कि क्या आपका बेटा कहां है? वो आपके साथ वापस क्यों नहीं गया? सूचना ने बेखौफ जवाब दिया कि वो गोवा में ही एक रिश्तेदार के पास है। कुछ दिन बाद वापस आ जायेगा।
उसने बाकायदा गोवा के अपने उस रिश्तेदार का पता भी पुलिस को दे दिया। गोवा पुलिस को लगा कि शायद वो गलत शक कर रही है। फिर भी पुलिस ने सूचना के दिए पते पर पुलिस की एक टीम भेज कर, वो पूरा इलाका छाना लेकिन वह पता कहीं न मिला। जिसका पता सूचना ने दिया था। यानी सूचना का दिया पता फर्जी था, अब गोवा पुलिस को लगा कि मामला गड़बड़ है।
लिहाज़ा तुरंत पुलिस ने दोबारा उस कैब ड्राइवर को फोन किया, जिसमें सूचना बैठी थी। पुलिस ने धीमे से ड्राइवर से कहा कि जैसे ही तुम्हें अपने करीब कोई पुलिस स्टेशन दिखाई दे, फौरन गाड़ी को वहीं ले जाना, और वापस फोन करना। तब कैब बेंगलुरु से 200 किलोमीटर पहले कर्नाटक के ही चित्रदुर्ग इलाके से गुजर रही होती है। तभी ड्राइवर की नजर चित्रदुर्ग में ही मौजूद आईमंगला पुलिस स्टेशन पर पड़ती है। वह फ़ौरन गाडी को पुलिस स्टेशन ले जाता है।
इससे पहले कि सूचना कुछ समझ पाती, ड्राइवर ने गोवा पुलिस की बात आई मंगला पुलिस स्टेशन में मौजूद पुलिस वालों को बताई और फोन मिला कर गोवा पुलिस से उनकी बात करा दी। गोवा पुलिस ने आईमंगला पुलिस को सारी बात बताते हुए सूचना और उसके सामान की तलाशी लेने की रिक्वेस्ट की। अब कर्नाटक पुलिस इनोवा कार में मौजूद उस बड़े बैग की तलाशी लेती है। तलाशी में ऊपरी कपड़े के नीचे एक बच्चे की लाश मिलती है। सूचना को फौरन हिरासत में ले लिया जाता है। गोवा पुलिस को इसकी खबर दे दी जाती है। अब गोवा पुलिस की एक टीम आईमंगला पुलिस स्टेशन के लिए रवाना हो जाती है।
सबसे पहले गोवा पुलिस सूचना को चित्रदुर्ग की एक अदालत में पेश कर उसका ट्रांजिट रिमांड लेती है। फिर बेटे का शव पोस्टमार्टम के लिए चित्रदुर्ग के ही सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर में रखवा दिया जाता है। मौत की वजह पता की जा सके, इसके बाद अदालत की इजाजत से गोवा पुलिस अब सूचना को लेकर एक बार फिर गोवा के लिए निकल पड़ती है। आधी कहानी तो वापसी के सफर में ही सूचना सुना चुकी थी। बाकी का सच गोवा पहुंचने के बाद उसने पुलिस के सामने उगल दिया, अब गोवा पुलिस के पास सारे सवालों के जवाब थे।
39 साल पहले सूचना सेठ का जन्म कोलकाता में हुआ था, एक अच्छे परिवार से आने वाली सूचना बचपन से ही पढ़ने लिखने में बेहद तेज़ थी। कई भाषाओं पर उसका कमांड और फिजिक्स ऑनर्स में टॉप रैंक के साथ ग्रैजुएशन तथा संस्कृत में पोस्ट ग्रैजुएशन करी थी। फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई में भी महारत हासिल की, दुनिया की कई नामचीन यूनिवर्सिटी से जुड़ी।
क्या थी वजह
वर्ष 2010 में सूचना की मुलाकात बेंगलुरु में ही केरल के रहनेवाले वेंकटरमण से हुई। दोनों में प्यार हुआ, दोनों ने शादी कर ली। वेंकट भी एक अच्छे और पढ़े लिखे परिवार से है। शादी के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन शादी के 9 साल बाद यानी वर्ष 2019 में दोनों को एक बेटा हुआ। तब भी सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन फिर 2020 में कोरोना आते ही मियां बीवी के रिश्ते में कड़वाहट आनी शुरू हो गई। दोनों में झगड़ा इस कदर बढ़ा कि दोनों अलग-अलग रहने लगे, लेकिन बेटा मां के पास था। इस अलगाव के बावजूद वेकंटरमन अक्सर अपने बेटे से मिलने सूचना के पास आता था, लेकिन सूचना उसे बेटे से मिलने नहीं देती थी।
अलगाव का ये मामला अब अदालत तक पहुंच चुका था। दोनों ने तलाक की अर्जी डाल दी थी। दोनों ही बेटे की कस्टडी चाहते थे, वेंकटरमन ने कोर्ट में कई बार ये शिकायत की कि सूचना उसे उसके बेटे से मिलने नहीं देती है। आखिरकार 2023 के खत्म होते होते बेंगलुरु की जिला कोर्ट ने दोनों के अलगाव पर अपना फैसला सुनाया। कानूनी तौर पर दोनों का तलाक हो गया, लेकिन इसके साथ ही अदालत ने एक और फैसला दिया। फैसला यह कि बेटा अपनी मां यानी सूचना के पास ही रहेगा। लेकिन वेंकटरमन महीने में चार बार हर संडे अपने बेटे से मिल सकेगा। बस कोर्ट का यही फैसला सूचना को नागवार गुजरा। वो अपने पति से इस कदर नफरत करती थी कि उसके हिस्से खुशी का कोई पल आए, ये उसे बर्दाश्त नहीं था। वेंकटरमन अपने बेटे से मिल कर हमेशा खुश हो जाता था।
सूचना सेठ अब इसी उधेड़बुन में लग गई कि कैसे वो अपने पति की खुशियों को छीन ले। लेकिन इस खुशी के रास्ते में कोई और नहीं उसका अपना बेटा आ रहा था। सूचना को अपने पति और खुशियों से इस कदर नफरत थी कि नफरत की आग में उसकी ममता तक को जला डाला। अब वो मौके की तलाश में थी ही के इत्तेफाक से नए साल ने उसे ये मौका भी दे दिया। संडे की मुलाकात के कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार वेंकटरमन काम के सिलसिले में विदेश चला गया। यानी सात जनवरी को पड़ने वाले संडे को वो अपने बेटे से नहीं मिल सकता था। सूचना इस संडे को खोना नहीं चाहती थी।
गोवा पुलिस ने भी इस मामले में बेहद समझदारी से काम लिया। जिसने इस सूचना के मिलते ही फौरन गोवा से लेकर चित्रदुर्ग तक अपना जाल बिछाया। जिसने सूचना के फर्जी पते का सच निकाला। जिसने बेहद कम वक्त में कर्नाटक पुलिस के साथ मिल कर गोवा में बैठे-बैठे सूचना को हिरासत में ले लिया। होटल स्टाफ और गोवा पुलिस के अलावा तारीफ के काबिल वो कैब ड्राइवर भी है, जिसने पूरे रास्ते गोवा पुलिस को कैब में बैठी सूचना के बारे में पल-पल की जानकारी दी, अपना रूट बताया और गोवा पुलिस के कहने पर अपनी अकल का इस्तेमाल करते हुए आईमंगला पुलिस स्टेशन तक गाड़ी ले गया, लेकिन इस पूरी कहानी का सबसे अफसोसनाक पहलू ये है नफरत की इंतेहा के आगे सूचना ने मां और मां की ममता दोनों को रुसवा कर दिया।