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भारत की 99 फीसदी आबादी ले रही जहरीली हवा में सांस : रिपोर्ट

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण वर्तमान में एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। पिछले दो सालों से अधिक समय से जहां एक ओर पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है। वहीं दूसरी तरफ अब दुनियाभर में वायु प्रदूषण का संकट बढ़ता ही जा रहा है। दुनिया की करीब 99 प्रतिशत आबादी ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। दुनिया की करीब 782 करोड़ आबादी ऐसी जहरीली हवा में जी रही है जो WHO द्वारा वायु प्रदूषण के तय स्तर मानकों से भी अधिक है। इस बात का खुलासा ग्रीन पीस की एक हालिया रिपोर्ट से हुआ है। अध्ययन में पाया गया है कि भारत की 99 प्रतिशत आबादी दूषित हवा में सांस ले रही है।

‘डिफरेंट एयर अंडर वन स्काई’ शीर्षक से जारी ग्रीनपीस इंडिया ने इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘WHO द्वारा वायु प्रदूषण के तय स्तर मानकों से भी अधिक प्रदूषित वायु में भारतीय जनता सांस ले रही है।

खतरे में गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य

देश की 62 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं मौजूदा समय में सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में हैं। पूरी आबादी के हिसाब से आंकड़ा 56 प्रतिशत का है । रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक खतरे और जोखिम वाले क्षेत्र में दिल्ली एनसीआर को बताया गया है। रिपोर्ट द्वारा वृद्धों, शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को “खराब हवा के संपर्क में” आने वाले सबसे संवेदनशील समूहों के रूप में माना है।

पीएम 2.5 से आशय बेहद सूक्ष्म कणों से है, जो शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़ों तथा श्वसन मार्ग में सूजन पैदा करते हैं। इससे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली सहित हृदय और सांस संबंधी समस्याओं का खतरा होता है। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। दृश्यता का स्तर भी गिर जाता है।

भारत सबसे प्रदूषित देश

वायु प्रदूषण भारत में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। दिल्ली भारत का सबसे प्रदूषित राज्य है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है। भारत में 2020 में खराब मौसम के कारण नागरिकों की जीवन प्रत्याशा 6.9 वर्ष कम हो गई थी। नेपाल (4.1 वर्ष), पाकिस्तान (3.8 वर्ष) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में जीवन प्रत्याशा में 2.9 वर्ष की गिरावट आई है।

वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक लोग मारे जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने छह प्रमुख खतरनाक प्रदूषकों पर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं और सभी देशों से इनका पालन करने का आह्वान किया है। संगठन के अनुसार, इससे दुनिया भर के लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने छह हानिकारक प्रदूषकों पर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं: पीएम 2.5, पीएम 10, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड। इन प्रदूषकों के संबंध में 2005 में दिशानिर्देश जारी किए गए थे। अब तो और सख्त गाइडलाइंस जारी कर दी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया है कि ये दिशानिर्देश दुनिया के सभी देशों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन वायु प्रदूषण की समस्या पर काबू पाने में निश्चित रूप से उपयोगी होंगे।

पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के कारण 80% मौतों का कारण बनता है। इसलिए इन प्रदूषकों को सबसे खतरनाक माना जाता है। इससे पहले 2009 में भारत ने इन प्रदूषकों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन को दिशा-निर्देश जारी किए थे। अब नए दिशानिर्देश अगले साल 2022 तक तैयार होने की उम्मीद है। भारत का लक्ष्य 2017 की तुलना में 2024 तक देश में पीएम 2.5 के स्तर को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना है।

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