विश्व में एक बार फिर कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है। दुनिया भर के कई देशों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण को जरुरी कर दिया गया है। कोरोना के खिलाफ भारत और अमेरिका सहित कई देशों ने टीके विकसित किए हैं। भारत के अपने टीके कोवैक्सीन को भले ही कई देशों और डब्लूएचओ द्वारा मान्यता मिलने में काफी समय और मशक्क्त लगी। लेकिन अब दुनिया के तमाम देश धीरे-धीरे भारत में बनी वैक्सीन का लोहा मान रहे हैं। वर्तमान में भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन कोरोना के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभावी रही है। मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित हुई स्टडी से इस बात की जानकारी मिली है। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड के बाद कोवैक्सीन का ही इस्तेमाल किया जा रहा है।
वैज्ञानिक पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित परीक्षण के तीसरे चरण के एक अंतरिम विश्लेषण में सामने आया है कि भारतीय कोरोना वैक्सीन की दो खुराक, को वैक्सीन कोरोना से 77.8% सुरक्षा प्रदान करती है और कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पैदा करती है।
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन एक निष्क्रिय वायरल वैक्सीन है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए टीके के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दे दी है। अध्ययन में कहा गया है कि कोवैक्सीन सक्षम एंटीबॉडी के प्रति प्रतिक्रिया करती है और इस टीके से लोगों में कोई गंभीर दुष्प्रभाव या मौत की सूचना नहीं मिली है।
हल्के दुष्प्रभाव
टीके के कारण होने वाले अधिकांश दुष्प्रभाव, जिनमें सिरदर्द, थकान, बुखार और इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द शामिल हैं। ये संकेत टीकाकरण के सात दिनों के भीतर दिखाई दिए। टीका हर 28 दिनों में दो खुराक में दिया जाता है। टीके को दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर संग्रहीत और ले जाया जा सकता है। टीके लगाए गए समूह में 8,471 लोगों में से 24 ने सकारात्मक परीक्षण किया, जबकि 8,502 प्लेसीबो टीकाकरण में, 106 ने सकारात्मक परीक्षण किया, जिससे वैक्सीन को 77.8 प्रतिशत प्रभावशीलता मिली।