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फेक न्यूज के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल किये जा रहे 750 फर्जी संस्थान, ईयू डिसइन्फोलैब का खुलासा

फेक न्यूज आज हमारे समाज का हिस्सा बन गई है। आज के युग में सही न्यूज कम और फेक न्यूज ज्यादा जल्दी लोगों को तक पहुंचती है। फेक न्यूज को लेकर हाल ही में यूरोपियन यूनियन में फेक न्यूज पर कार्य करने वाली अंतराष्ट्रीय संस्था ‘ईयू डिसइन्फोलैब’ ने इंडियन क्रोनिक्लस पर  रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले 15 सालों से अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा संगठन काम कर रहा है जिसका मकसद अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत के हितों को लाभ पहुंचाना और पाकिस्तान को बदनाम करना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके लिए 750 फर्जी मीडिया संस्थानों का प्रयोग किया जा रहा है। पंरतु अभी तक इस बात को लेकर जानकारी सामने नहीं आई कि क्या इन फर्जी मीडिया संस्थानों का भारत सरकार के साथ संपर्क है या नही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संगठन का उदेश्य संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार काउंसिल और यूरोपियन संसद के फैसले को प्रभावित करना है। ताकि अंतराष्ट्रीय स्तर पाकिस्तान को बदनाम किया जा सकें। इस रिपोर्ट में दो सबसे बड़े ग्रुप का नाम सामने आया है दोनों ही ग्रुप भारत से जुडे हुए हैं। पहला एएनआई यानि एशियन न्यूज एजेंसी, यह मीडिया के क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी है। भारत के ज्यादातर न्यूज चैनल, वेब पोर्टल और टीवी चैनल इसी पर निर्भर करते है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि 65 देशों में भारत का समर्थन करने वाली 265 वेबसाइट है। जब इन वेबसाइट के बारें में सर्च किया तो पता चला कि इनके संबंध भारत की राजधानी दिल्ली स्थित एक भारतीय कंपनी श्रीवास्तव ग्रुप से हैं। श्रीवास्तव ग्रुप का यह जाल 116 देशों तक फैला हुआ है। श्रीवास्तव ग्रुप की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के अस्तिव में आने के बाद साल 2005 में हुई थी। इस फेक न्यूज अभियान को अजांम देने वालों ने दूसरों के नाम पर ईयू ऑब्जरवर जैसी दिखने वाली मीडिया वेबसाइट बनाई, यूरोपियन संसद के लेटरहेड का इस्तेमाल किया, गलत फोन नंबर इस्तेमाल करके फर्जी वेबसाइट बनाई, फर्जी पते दिए, इतना ही नहीं दुनिया के थिंक टैंक कहे जाने वाले लोगों की किताबें प्रकाशित करने के लिए फर्जी पब्लिश कंपनियां बनाई। जाँच पड़ताल के महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक ये है कि इसमें श्रीवास्तव ग्रूप और संयुक्त राष्ट्र मान्यता प्राप्त कम से कम दस संगठनों समेत कई और संगठनों के बीच सीधे संपर्क को स्थापित किया गया है, जिनका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की आलोचना करने और भारत के हितों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता रहा है।

 

कौन है श्रीवास्तव ग्रुप।
यह ग्रुप स्वच्छ ऊर्जा, हवाई क्षेत्र, परामर्श सेवाओं, हेल्थकेयर, प्रिंट मीडिया और प्रकाशन में हितों के साथ देश में सबसे तेजी से बढ़ते व्यापार घरानों में से एक है। इसके भारत के अलावा विदेशों में भी मुख्यालय हैं। स्विजरलैंड, कनाडा और बैल्जियम में भी इस ग्रुप के मुख्यालय हैं। मीडिया के क्षेत्र में इनके तीन और ग्रुप है। दिल्ली में श्रीवास्तव ग्रूप के दफ्तर के बाहर, गेट पर इंडियन इंस्टीट्यूट फ़ॉर नॉन-अलाइंड स्टडीज और न्यू दिल्ली टाइम्स का नेमप्लेट लगा है। दोनों कंपनियां ही श्रीवास्तव ग्रुप से जुड़ी हैं।

श्रीवास्तव ग्रुप की जब जांच की तो अंकित श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति का नाम सामने आया। शोधकर्ताओं के अनुसार उनके निजी ईमेल एड्रेस और उनके संगठनों से जुड़े ईमेल एड्रेस के नाम पर 400 से अधिक वेबसाइट रजिस्टर हैं। अंकुर श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति ने 2017 में प्रतिष्ठित मैगजीन फोर्ब्स को इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि वह केवल भारतीय खुफिया एजेंसियों को ही अपने उत्पाद देती है। अब अंकुर श्रीवास्तव और अंकित श्रीवास्तव का एक-दूसरे से क्या रिश्ता-नाता है इसको लेकर अभी तक कोई पुष्टि नहीं हो पाई है।

समाचार एजेंसी एएनआई ने इन आरोपों से इनकार किया था कि वह पाकिस्तान के खिलाफ यूरोपीय संघ के सांसदों को प्रभावित करने के लिए ऑपरेशन चला रही है। एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश ने कहा कि एशियन न्यूज इंटरनेशनल के खिलाफ दुष्प्रचार के पीछे पाकिस्तान और उसके प्रॉक्सी का हाथ है। स्मिता प्रकाश ने ट्वीट किया, “पाकिस्तान और उसके परदे के बाहर से फर्जी खबरों के जंगली आरोप उछालकर एएनआई की विश्वसनीयता को आहत करने का प्रयास किया गया है । उन्होंने कहा कि साझेदार और ग्राहक इस सब के पीछे की राजनीति को पूरी तरह से समझते हैं, और अपने कवरेज की गहराई तक पहुंच और विश्वसनीयता में विश्वास को फिर से खड़ा करते रहते हैं।”

अब इस मामले में विदेश मंत्रालय भी कूद पड़ा है। विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा “कि एक जिम्मेदार लोकतंत्र के रूप में भारत दुष्प्रचार अभियानों का अभ्यास नहीं करता है । वास्तव में, यदि आप दुष्प्रचार को देख रहे हैं, तो सबसे अच्छा उदाहरण देश अगला दरवाजा है जो काल्पनिक और मनगढ़ंत डोजियर घूम रहा है और फर्जी समाचारों की एक नियमित धारा को शुद्ध करता है।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आगे कहा कि “विशेष रूप से उन लोगों द्वारा दुष्प्रचार किया जाता है जिनके पास ओसामा बिन लादेन सहित अंतरराष्ट्रीय वांछित आतंकवादियों को पनाह देने जैसे रिकॉर्ड हैं, और 26/11 मुंबई हमले जैसे अपने पटरियों को कवर करने के लिए असफल रूप से चाहते हैं।”

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