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भारत में काम करने वाले 72% लोग स्क्रीन के सामने 9 घंटे से अधिक समय बिताते हैं: सर्वे 

भारत
भारत के लोगों ने पिछले डेढ़ साल का ज्यादातर समय कोरोना के चलते लॉकडाउन में बिताया है। इस दौरान ज्यादातर ट्रांजैक्शन घर से ही करने पड़ते थे। वर्क फ्रॉम होम और कई कामों के लिए ऑनलाइन मीडिया, इंटरनेट, कंप्यूटर का बहुत उपयोग किया गया है। इसने नागरिकों में इंटरनेट की लत को भी बढ़ाया है। हाल ही में गोदरेज इंटेरियो कंपनी की एक रिपोर्ट इस तथ्य को रेखांकित करती है और कहती है कि कोरोना काल में स्क्रीन पर रहने वाले भारतीयों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
गोदरेज समूह की एक प्रमुख कंपनी गोदरेज एंड बॉयस ने अपनी व्यावसायिक शाखा, गोदरेज इंटेरियो द्वारा किए गए एक अध्ययन के निष्कर्षों को जारी किया है। गोदरेज इंटेरियो भारत के अग्रणी फर्नीचर ब्रांड में से एक है। रिपोर्ट का शीर्षक ‘द रियल वर्ल्ड रिपेरक्यूशन ऑफ वर्चुअल फैटिग’ है। गोदरेज इंटेरियो के कार्यक्षेत्र और एर्गोनॉमिक्स अनुसंधान विभाग ने कर्मचारियों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने और समाधान सुझाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक शोध अध्ययन किया है। शोध में कुल 235 कार्यालय कर्मचारियों ने भाग लिया। 68% कर्मचारी 26-40 आयु वर्ग के थे। उनमें से ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

समस्याओं के कारण क्या हैं?

सर्वे के मुताबिक वर्चुअल थकान की परिभाषा वर्चुअल कॉल्स को बढ़ाकर अनुभव की जाने वाली थकान है। आभासी थकान में निरंतर स्क्रीन के कारण होने वाली दृश्य थकान, कानों द्वारा महसूस की जाने वाली थकान, समग्र शारीरिक थकान और मानसिक थकान शामिल हैं। वर्चुअल मीटिंग में अनियमित भागीदारी से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहने से भी दर्द बढ़ रहा है। यह आभासी थकान का परिणाम है। वर्चुअल कॉल के दौरान स्थिर बैठना या आगे की ओर झुकना जैसे वर्कआउट करना, समग्र शारीरिक थकान का कारण बनता है।

क्या कहता है अध्ययन?

एक शोध अध्ययन के मुताबिक, पिछले साल से करीब 46 फीसदी कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं। महामारी की शुरुआत से ही लैपटॉप और मोबाइल फोन की भूमिका हमारी व्यावसायिक जिम्मेदारियों को निभाने में बहुत महत्वपूर्ण रही है। इसलिए स्क्रीन के सामने समय बहुत बढ़ गया है। अध्ययन से पता चला कि भारत में लगभग 72% कामकाजी लोग काम की समय सीमा को पूरा करने के लिए दिन में 9 घंटे से अधिक कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बिताते हैं। इसके अलावा, 35% उत्तरदाताओं ने नियमित कार्यदिवस पर लगातार 20 से अधिक वर्चुअल कॉल में भाग लेने की बात स्वीकार की। इससे भी आगे, 41% कर्मचारियों ने लंबे समय तक वर्चुअल कॉल के बाद मध्यम से गंभीर आंखों में जलन की सूचना दी। 19% उत्तरदाताओं ने लंबी वीडियो कॉल के बाद धुंधली दृष्टि की सूचना दी। अध्ययन में यह भी पाया गया कि 86% कर्मचारी पीठ दर्द से पीड़ित हैं और महिला कर्मचारी अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में अधिक पीड़ित हैं। 26 से 40 साल के बीच के कर्मचारियों को दर्द की शिकायत ज्यादा होती है।

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