[gtranslate]
Country

आज भी घरों में कैद हैं 50 प्रतिशत महिलाएं 

एक ओर जहाँ कई महिलाएं उच्च पदों पर सेवा दे, देश का नाम रोशन का रहीं हैं। लेकिन साइंस डायरेक्ट की पत्रिका ”ट्रैवल बिहेवियर एंड सोसायटी” में प्रकाशित ‘जेंडर गैप इन मोबिलिटी आउटसाइड होम इन अर्बन इंडिया’ अध्ययन के बताता है कि आज भी देश की 50 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो पूरे दिन घरों में ही कैद रहती हैं।

घरेलू कामकाज करती हैं और घरों से बाहर नहीं निकलती। इस अध्ययन के द्वारा यह बताने का ही प्रयास किया गया है कि घरेलू कार्यों में महिलाओं और पुरुषों की क्या भूमिका है और औद्योगिक और विनिर्माण के क्षेत्र में महिलाओं की क्या स्थिति है।

घरेलू कार्य में शामिल हो जाती हैं महिलाएं 

अध्ययन के अनुसार केवल 14 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 53 प्रतिशत महिलाओं ने घर से बाहर न निकलने की बात कही।  अध्ययन में पाया गया की महिलाओं की गतिशीलता, किशोरावस्था से युवावस्था आने तक तेजी से कम हो जाती है। इनमें से अधिकतर महिलाएं घरेलू गतिविधियों में शामिल हो जाती हैं जबकि अधिकतर पुरुष घर के बाहर के काम करते हैं।अध्ययन के मुताबिक महिलाएं घरों से बाहर इसलिए नहीं निकलती क्योंकि महिलाओं को अपने घरों से बाहर निकलने के लिए ठोस कारणों की आवश्यकता होती है, जो पुरुषों के लिए जरूरी नहीं है। अध्ययन के अनुसार करीब 81 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं एक दिन में घर से बाहर कम से कम एक यात्रा करती हैं। वही पुरुषों का यह आंकड़ा 92 प्रतिशत है। लेकिन ऐसी महिलाएं, जो न तो नौकरी करती हैं और न ही अब पढ़ती हैं, उनमें से केवल 30 प्रतिशत ही पूरे दिन में किसी यात्रा पर या घर से बहार जाने की बात करती हैं। इसका मतलब है कि लगभग 70 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो पूरे दिन में एक बार भी बाहर नहीं निकलती। वहीं दूसरी ओर, केवल 35 प्रतिशत ‘काम नहीं करने वाले’ पुरुष घरों में रहते हैं.

क्या है कारण

महिलाओं के घर से बाहर न निकलने का सबसे बड़ा कारण घरेलु कार्यों में व्यस्त हो जाना है। अध्ययन में बताया गया है कि जैसे-जैसे घर के कार्यों में महिलाओं का  समय बढ़ता जाता  है, वैसे-वैसे महिलाओं के घर से बाहर निकलने की संभावनाएं भी कम होने लगती है। घर के काम करने के बाद भी केवल 31 प्रतिशत महिलाएं ही बाहर जाती हैं। महिलाओं के बाहर न निकलने का एक कारण गतिशीलता की कमी भी हो सकता है। जिसके अनुसार महिलाओं को घरेलू कामकाज देखना चाहिए। फिर चाहे महिला शिक्षा दर कैसी भी हो, ये पुरानी सोच आज भी समाज में मौजूद हैं। देश की कई कई लड़कियां ऐसी हैं जिनकी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद ही शादी करा दी जाती है।  जिसके बाद उन्हें अपने ससुराल वालोंकी इच्छा से  पुराने पारंपरिक मूल्यों के अनुसार जीने के लिए मजबूर किया जाता है जिसके कारण भी वह घरों से बहार काम निकलती हैं।

You may also like

MERA DDDD DDD DD