कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लगा है। आज लॉकडाउन का 7वां दिन है। इसी बीच कल सोमवार को बिहार में लाए गए करीब 50 हजार प्रवासी अपने-अपने गांव पहुंच गए हैं। कल चैती छठ का त्यौहार भी था। ऐसे में परदेस से आने वाले लोगों को देखकर रिश्तेदार खुश हो जाते हैं। पर इस बार ऐसा नहीं हुआ। वहां पहुंचे लोगों को इस बार ऐसा शक के नज़र से देखा जा रहा था।
दरअसल, बिहार सरकार की ओर से प्रवासियों क बॉर्डर के पास बने कैंपो में 14 दिन तक रखा जाना था। पर वहां के लोगों के भारी हंगामे के वजह से उस निर्णय को बिहार सरकार को वापस लेना पड़ गया जिसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने यह निर्णय लिया कि प्रवासियों के गांव के पास नजदीकी स्कूल में उन्हें आइसोलेट के लिए रखा जाएगा। लेकिन उन लोगों में अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों से मिलने की उत्सुकता इतनी थी कि वो वहां भी रुकने से मना कर दिए। तो वहीं कुछ लोगो ने यह बात मानी पर उनकी संख्या बहुत कम है।
अब यह प्रवासियों ने मानने से मना कर दिया है वह अब पूरे गांव में घूमेंगे। यहीं कारण है कि सरकार के बनाए आइसोलेशन सेंटर खाली पड़े हैं। जो परदेसी आए हैं, वो ये भूल रहे हैं कि इतनी भीड़ और इतना लंबा सफर तय करने के बाद कहीं वो अपने साथ कोरोना वायरस तो लेकर नहीं आ गए हैं। प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन करने के समय भी और उसके बाद भी मोदी ने मन की बात में भी जिक्र किया था कि जो जहांं है वो वहीं रहे पर इसको न मानते हुए कुछ लोग पैदल ही घर के लिए निकल पड़े।
लॉकडाउन का पालन करने में उत्तरप्रदेश, दिल्ली और अब बिहार भी इस सूची में आ गया है। प्रदेश में स्वास्थ्य से जुड़े संसाधनों की कमी है। ऐसे में प्रदेश के लिए भी कोरोना से लड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का रास्ता बचा था। लेकिन प्रवासियों की बड़ी तादाद में घर वापसी से यह भी समाप्त होता नजर आ रहा है। अभी तक कोरोना वायरस की हालात के मुताबिक, अब तक संक्रमितों की संख्या 1251 हो गई है। इनमें 1117 एक्टिव केस हैं, जबकि 35 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि, 102 लोग डिस्चार्ज हो गए हैं।