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यूएनएचआरसी का 42वां सत्र शुरू 

आज से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) का 42वां सत्र शुरू हो गया  है।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के अनुरोध पर हो सकने वाली बहस में भारत अधिकतम समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है। 47 सदस्यीय यूएनएचआरसी का सत्र आज से जिनेवा में शुरू हो गया है। एक अंग्रेजी अखबार से पता चला है कि जिनेवा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल और केंद्र सरकार यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के कई देशों के संपर्क में यूएनएचआरसी में कश्मीर के मुद्दे पर वोटिंग के दौरान भारत गैर मौजूद सदस्य देशों की संख्या को कम से कम करना चाहता है। सूत्रों के मुताबिक  भारत को अपने समर्थन को वोटों में तब्दील करने की जरूरत है। पाकिस्तान की तुलना में भारत के पास अधिक समर्थन है, लेकिन यह वोटों के तौर पर दिखना चाहिए। इस दौरान भारत के लिए सबसे जरूरी यही होगा कि पाकिस्तान कश्मीर के मामले को लेकर यहां कोई चाल ना चले। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि पाकिस्तान इस बैठक में कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाए जाने का मुद्दा उठा सकता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इसके संकेत दिए हैं। इसे देखते हुए भारत ने भी पूरी तैयारी की है ताकि पाकिस्तान को इस मुद्दे पर किसी देश का समर्थन न मिल सके।

पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी आज 9 से 12 सितंबर तक इस सत्र में भारत के खिलाफ पाकिस्तान का नेतृत्व कर रहे हैं। यह सत्र जेनेवा में 9 से 27 सितंबर तक चलेगा।भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद्, यूरोपियन संसद और अमेरिकी कांग्रेस के साथ लगातार कूटनीतिक संपर्क में है ताकि अनुच्छेद-370 हटाए जाने के मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में किसी देश का समर्थन न जाए। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत के खिलाफ मोर्चाबंदी का अभियान छेड़ रखा है।
अनुच्छेद-370 के मुद्दे पर पाकिस्तान अगर कोई प्रस्ताव लाना चाहता है तो उसे यूएनएचआरसी की बैठक में 19 सितंबर से पहले लाना होगा।  उसकी कोशिश अन्य देशों के साथ मोर्चेबंदी पर निर्भर करेगी कि इसमें वह कितना सफल हो पाता है। हालांकि इसमें कामयाबी की गुंजाइश बहुत कम है क्योंकि लगभग सभी देशों ने उसे नकार दिया है। और अनुच्छेद 370 के मुद्दे को भारत का आंतरिक मसला बताया है।
यूएनएचआरसी के यूरोपीय सदस्यों पर भारत विशेष ध्यान दे रहा है। अफ्रीका ने इस मुद्दे पर भारत को अपना सैद्धांतिक समर्थन दिया है, लेकिन भारत इसे वोटों में बदलना चाहता है। लैटिन अमेरिका से भी समर्थन मिलने की अच्छी संभावना है। लैटिन अमेरिकी देशों के साथ पिछले कुछ वर्षों में भारत के संबंध मजबूत हुए हैं और यूएनएचआरसी में भी ये देश भारत का पक्ष ले सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवंबर में ब्रिक्स समिट के लिए ब्राजील जाएंगे। सऊदी अरब, बहरीन और कतर के साथ भी भारत संपर्क कर रहा है। हालांकि, चीन की ओर से इस मुद्दे पर भारत को समर्थन मिलना मुश्किल है। यूएनएचआरसी में बहस का चीन पक्ष ले सकता है, लेकिन किसी विशेष प्रस्ताव पर वोट देने से उसके बचने की संभावना है। भारत की बहस से पहले चीन से भी इस पर बातचीत करने की योजना है।

यूएनएचआरसी के नौ से 27 सितंबर तक चलने वाले सत्र में जम्मू और कश्मीर में भारत की ओर से मानवाधिकारों का उल्लंघन करने को लेकर पाकिस्तान बहस के लिए दबाव डालेगा। इससे पहले पाकिस्तान इस मुद्दे को पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में उठाने में नाकाम रहा था।यूएनएचआरसी में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्ट्री के एक सेक्रेटरी कर रही हैं। प्रतिनिधिमंडल की सहायता अजय बिसारिया करेंगे, जो हाल तक पाकिस्तान में भारत के राजदूत थे।

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