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उत्तर भारत के 35℅ मुसलमानों को डिस्क्रिमिनेशन सामना करना पड़ता है : THE PEW REPORT

भारत

अभी हाल ही में एक कहानी पढ़ी, ’11 से 13 के बीच’, इस कहानी की लेखक विभा रानी हैं। इस कहानी में देश के मुस्लिम वर्ग के लोगों की वो पीड़ा है जिसपर लिखना, बोलना और आवाज़ उठाना बेहद ज़रूरी है। पीड़ा अपने ही देश में रहकर पराये की तरह जीने की, पीड़ा, ‘मुल्ला’,’कटुआ’,’आतंकवादी’, ‘देशद्रोही’ कहलाने की, पीड़ा अपनों के बीच रहकर ख़ुद को बार-बार साबित करने की।

लेकिन इन दिनों शायद कोई विकल्प नहीं बचा है।भारतीय मुस्लिम अब जानते हैं कि हिंदुत्व(hindutva) आज की सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति है, अब वो इसी अपना वजूद बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। उत्तर भारत के 35% मुसलमानों को पिछले एक वर्ष में धार्मिक भेदभाव का सामना करना पड़ा है, उन्हें एहसास हो गया है कि मुस्लिम विरोधी हिंदुत्ववाद की रवायत अब हावी हो गई है।

वाशिंगटन डी सी बेस्ड थिंक टैंक(think tank) की रिपोर्ट हैरान करने वाली है

थिंक टैंक के इस रिपोर्ट को ‘The pew report’ कहा जाता है। हाल ही में प्यू की एक सर्वे रिपोर्ट में धर्म के नाम पर भेदभाव को लेकर मुसलमानों के जो विचार सामने आए हैं वे इसके सबसे विवादास्पद निष्कर्षों के रूप में झकझोर के रख देने वाले हैं। टिप्पणीकारों का एक वर्ग कहता है कि,’ इस सर्वे में हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता के प्रचलित रूप और मुस्लिम(Muslim) मानस पर उसके असर को अच्छी तरह प्रस्तुत किया गया है।’

Pew report को मुस्लिम व्यक्तियों के अनुभवजनित विवरणों के बरक्स रखकर यह निराशावादी निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत में मुसलमानों के लिए अब कुछ नहीं बचा रह गया है।

धार्मिक भेदभाव के बारे में कुछ विश्लेषण के साथ सर्वे (survey) की रिपोर्ट के निष्कर्षों के बीच तुलना बेहद भ्रामक है। सर्वे के निष्कर्ष मुस्लिम(muslim) वजूद की एक बड़ी तस्वीर पेश करते हैं, जबकि कुछ अनुभव पर आधारित विश्लेषण सांप्रदायिकता से मुसलमानों की रोज-रोज की जटिल मुठभेड़ से हमारा परिचय कराती हैं। दोनों बातें सच हैं इसे ठुकराया नहीं जा सकता है।इसलिए, धार्मिक भेदभाव के व्यक्ति केंद्रित प्रकरणों को लेकर जो मुस्लिम (muslim) सोच है उसके व्यापक विश्लेषण को पढ़ना जरूरी है।

उधर जबसे सीएए लागू हुआ है तबसे मुस्लिम समुदाय को डर है कि उन्हें हर सूरत में अपने काग़ज़ात, जन्म प्रमाण पत्र, स्थान प्रमाण पत्र तैयार रखने होंगे।वे अपने प्रमाण पत्र(certificate) तो जुटा ही रहे हैं और साथ ही अपने बड़े-बुज़ुर्गों, पुरखों और बच्चों के भी प्रमाण पत्र जमा कर रहे हैं।जैसा कि स्कूल छोड़ने के काग़ज में जगह का नाम…वो हर छोटे से छोटा दस्तावेज़ जमा कर लेना चाहते हैं, वे जन्म प्रमाण पत्र पाने के लिए लगे हुए हैं।

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