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मोदी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है 2021 , CAA के विरोध में आसू चलाएगा आंदोलन 

असम का प्रमुख संगठन ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ( आसू  ) ने घोषणा की कि वह सीएए के विरोध में पूरे पूर्वोत्तर में 11 दिसंबर को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाएगा, जो पिछले साल इसी दिन संसद द्वारा पारित किया गया था। ऐसे में अगर असम से सीएए के विरोध की शुरुआत होती है तो आशंका व्यक्त की जा रही है कि दिल्ली का शाहीन बाग़ आंदोलन भी फिर से शुरू हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल राज्य में सीएए के विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पांच लोग मारे गए थे। इसके बाद ही एक बार फिर सीएए उठा  सकता है। इससे प्रधानमंत्री मोदी के लिए 2021 मुश्किलों वाला साल बनकर आ सकता है। याद रहे कि वर्ष 1979-1985 के दौरान यह कहते हुए कि अपनी ज़मीन और अपने लोगों के लिए शहीद बनने के लिए बहुत साहस और असीम प्यार होता है, आसू-विचाराधीन विदेशियों के आंदोलन के दौरान लगभग 855 लोग मारे गए थे।

पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत आसू सभी जिला और उपखंड मुख्यालयों पर काले झंडे और बैनर प्रदर्शित करेगा। याद रहे कि कोविड  -19 महामारी के बाद सीएए के विरोध को निलंबित कर दिया गया था। कहा जा रहा है कि आसू ‘गण हुंकार’ का आयोजन करेगा, जहां पारंपरिक और लोक संगीत वाद्ययंत्रों को विरोध के निशान के रूप में बजाया जाएगा। पिछले साल राज्य में सीएए के विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पांच लोग मारे गए थे।

उधर दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने निर्माण की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए ‘भूमिपूजन’ किया। ‘स्वाहिद स्मारक और स्वाहिद उदयन’ के लिए काम करते हैं। भूमिपूजन के दौरान सोनोवाल ने कहा कि निर्माणाधीन स्मारक उन शहीदों की विरासत को संरक्षित करेगा जिन्होंने असम के उद्देश्य के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया और भविष्य की पीढ़ियों को राज्य के विकास के लिए खुद को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया।

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