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दिल्ली में 16 लाख नौनिहालो को नहीं मिला मिड डे मील, हाईकोर्ट की फटकार

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों, के लगभग 16 लाख बच्चों को मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत राशन तथा भोजन पकाने की धनराशि का भुगतान किये जाने के मामले को लेकर महिला एकता मंच व सोसायटी फॉर एनवायरनमेंट एंड रेगुलेशन द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में आज पुनः सुनवाई की गयी।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा न्यायालय को बताया गया कि उसे मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत बच्चों को 69 करोड़ रुपये का भुगतान करना है परन्तु केंद्र ने अभी तक पैसा जारी नहीं किया है। जिस कारण बच्चों को इस राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है।

केंद्र सरकार के वकील ने न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 27 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को मिड-डे-मील योजना के लिए जारी किए जा चुके हैं तथा उसे राशन की सप्लाई भी की जा चुकी है।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए सभी बच्चों को मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत किए जाने भुगतान की धनराशी का तीन सप्ताह के अंदर भुगतान करने का आदेश दिया है तथा इस हेतु दिल्ली सरकार को न्यायालय में पुनः शपथ पत्र दाखिल करने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास संसाधन विकास मंत्रालय ने 20 मार्च व अप्रैल में अधिसूचना जारी कर सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि गर्मियों की छुट्टी व लाक डाउन के दौरानकक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को मिड-डे-मील अथवा कच्चा राशन व खाने बनाने की लागत उपलब्ध कराई जाए।

जिसके तहत कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को सौ ग्राम गेहूं या चावल तथा 4.97 रूपये प्रतिदिन नकद व कक्षा6 छह से आठ तक के बच्चों को एक सौ पचास ग्राम राशन तथा 7.45 रूपये नकद दिए जाने के निर्देश दिए गये हैं।

दिल्ली सरकार ने आज न्यायालय को दिये गए शपथपत्र में बताया है कि वह लॉक डाउन व गर्मियों की छुट्टियों का बच्चों को अप्रैल,मई व जून का मिलाकर कुल 69 दिन के मिड-डे-मिल की राशि का भुगतान करेगी जबकि इन तीन माह में कुल दिनों की संख्या मिलाकर 91 दिन है।

केजरीवाल सरकार ने अपने शपथ पत्र में कहा कि वह बच्चों को चावल देने के बदले उन्हें चावल बाजार से खरीदने के लिए नकद धनराशि का भुगतान करेगी।इसके तहत वह बच्चों को सौ ग्राम चावल के लिए एक दिन का 25 पैसे की दर से भुगतान किया जायेगा।

इस समय चावल की दर खुले बाजार में लगभग तीस रूपया प्रति किलोग्राम है और बच्चा यदि सौ ग्राम चावल बाजार में लेने जायेगा तो उसे सौ ग्राम चावल के तीन रुपये चुकाने होंगे। दिल्ली सरकार को केन्द्र से 16 लाख बच्चों को तीन महीने के लिए _1.34 लाख कुंतल_ चावल प्राप्त होना है। जिसका बाजार मूल्य लगभग 40 करोड़ रुपये है।

परन्तु केजरीवाल सरकार द्वारा न्यायालय में दाखिल किए गए शपथ पत्र के अनुसार वह 16 लाख बच्चों को 40 करोड़ रुपये मूल्य के चावल का वितरण करने की जगह मात्र लगभग 3.30 करोड़ रुपये की धनराशि का ही भुगतान करेगी। इस तरह केंद्र से मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत प्राप्त चावल के मामले में केजरीवाल सरकार की अनियमितताएँ खुलकर सामने आ गयी है।

बच्चों के लिए केंद्र से मिड-डे-मील के लिए प्राप्त हुआ चावल कहाँ चला गया केजरीवाल सरकार बच्चों को चावल देने की जगह नकद धनराशि के रूप में इतना कम पैसा क्यों दे रही है, इस बात का जवाब दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार मांगना चाहती है।

नियमानुसार केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार को कुल 90 प्रतिशत धनराशि यानी कि लगभग 62 करोड़ रुपये का भुगतान करना है परंतु उसने मात्र 27 करोड़ रुपया ही दिल्ली सरकार को भुगतान किये हैं।

तीस जून को लॉक डाउन के बाद गर्मियों की छुट्टियां समाप्त हो रही हैं परन्तु दिल्ली के 16 लाख बच्चों को न तो अभी तक अनाज का एक भी दाना मिला है और न ही कोई फूटी कौड़ी उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की गई है।

दिल्ली की केन्द्र व राज्य सरकारें गरीब बच्चों के पेट पर लात मार रही हैं। न्यायालय में इस जनहित याचिका की पैरवी दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता कमलेश कुमार द्वारा की जा रही है।

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