उत्तराखंड और तिब्बत ( चीन ) सीमा से लगे सुमना क्षेत्र में नीति घाटी के पास आई आपदा ने 12 लोगों को लील लिया है। जबकि अभी कई मजदूर लापता बताए जा रहे हैं। कई लोगों की तलाश जारी है। इस दौरान दर्जनों लोग घायल बताए जा रहे हैं ।
उधर, देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इस मामले का तुरंत संज्ञान लेकर मदद का आश्वासन दिया है। बहरहाल, भारत चीन सीमा पर सुमना के पास ग्लेशियर टूटने के बाद मलबा मलारी सुमना सड़क पर जमा हो गया है। इसी क्षेत्र में बीआरओ ( सीमा सड़क संगठन ) के मजदूर सड़क निर्माण कार्यों में जुटे थे। फिलहाल यहां एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आइटीबीपी के जवान और जिला प्रशासन राहत कार्यों में जुटे हुए हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एनटीपीसी और अन्य परियोजनाओं को रात में काम करने पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो सके । पिछले 4 दिनों से यहां हिमस्खलन हो रही थी। जिससे सड़क पर काम कर रहे मजदूर इसकी चपेट में आ गए। मरने वाले मजदूरों में अधिक संख्या झारखंड के लोगों की है।
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉक्टर काला चांद साईं का कहना है कि पिछले कई दिनों से यहां बर्फबारी से उच्च हिमालई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बर्फ जमा हो गई थी। जिससे स्नो एवलांच की स्थिति बन गई थी। स्नो एवलांच की संभावना उन पहाड़ियों पर अधिक होती है जिनका ढलान बहुत अधिक होता है।
याद रहे कि शुक्रवार को सुमना के पास ग्लेशियर टूटने से चमोली क्षेत्र में यह आपदा आई थी । जिसमें मौके पर ही 7 लोग की मौत हो गई थी। जबकि 384 मजदूर सुरक्षित बचा लिए गए थे। हालांकि अभी भी कई मजदूर लापता बता रहे हैं जा रहे हैं। गौरतलब है कि वर्ष 1991 में भी सुनना में ऐसी ही एक बर्फबारी हुई थी। जिसकी चपेट में आकर 11 आईटीबीपी के जवान शहीद हो गए थे।