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कोटा: 110 बच्चों की मौत प्रकरण, पायलट की रिपोर्ट पर किसकी चढ़ेगी बलि?

कोटा: 110 बच्चों की मौत का प्रकरण, पायलट की रिपोर्ट पर किसकी चढ़ेगी बलि?

राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट सदैव अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं। सचिन पायलट जब भी कोई बात कहते हैं तो बिना लाग-लपेट के सभी के सामने रखते हैं।

यह दूसरी बात है कि उनकी यह स्पष्ट बातें कभी-कभी नेताओं को चुभ जाती है। लेकिन सचिन पायलट की यही खासियत है कि वह सच ही बोलते हैं। कई बार उनका यह सच उनकी अपनी ही पार्टी के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो जाता है।

फिलहाल राजस्थान के कोटा में सैकड़ों बच्चों की मौत के बाद एक बार फिर कांग्रेस की स्थानीय राजनीति में खलबली मची हुई है। वजह है पायलट का स्पष्ट बोलना जिसमें उनकी अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा उनके शिक्षा मंत्री रघु शर्मा फंसते हुए नजर आ रहे हैं।

6 जनवरी को दिन भर राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बयान की चर्चा होती रही। कोटा के जेके लोन अस्पताल में 110 बच्चों की मौत पर पायलट ने अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के अब तक के बयानों के उलट बयान दिया था।

पायलट ने कहा कि  बच्चों की मौत पर सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती है। पायलट के इस बयान से गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में बेचैनी बढ़ गई है।

सूत्रों की माने तो पायलट ने 4 जनवरी को अपने कोटा दौरे की रिपोर्ट कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को भिजवा दी है। अब यदि इस रिपोर्ट पर सरकार के किसी नुमाइंदे पर गाज गिरती है तो सबसे पहले प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा निशाने पर होंगे।

4 जनवरी को अस्पताल के दौरे के समय भी रघु शर्मा और चिकित्सा विभाग ही पायलट के निशाने पर था। पायलट पहले ही कह चुके है कि बच्चों की मौत की जिम्मेदारी तय होगी।

हालात बता रहे है कि जिम्मेदारी की गाज किस पर गिरेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुरू से ही रघु शर्मा को बचाते रहे हैं, लेकिन पायलट की दखलंदाजी के बाद मुख्यमंत्री के लिए भी बचाव करना मुश्किल होगा।

अब सवाल उठता है कि क्या गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में पायलट कोई कार्यवाही करवा पाएंगे? कांग्रेस हाई कमान में गहलोत का भी दबदबा है। पायलट के मुकाबले गहलोत अपनी बात को हाईकमान के समक्ष ज्यादा प्रभावी तरीके से रख सकते हैं।

लेकिन राजनीति में यह माना जाता है कि जब किसी बड़े नेता पर मुसीबत आती है तो वह बचने के लिए छोटे नेता की बलि चढ़वा देता है। देखना होगा कि कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत के प्रकरण में किस नेता की बलि चढ़ती है। सबकी निगाहे फिलहाल प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के एक्शन पर लगी है।

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