दलित राजनीति की बेताज मल्लिका मायावती की पकड़ अब अपने कोर वोट बैंक पर कम होती जा रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट न पाने वाली बसपा को 2019 के लोकसभा चुनावों से खासी उम्मीद थी। मीडिया भी मायावती को किंगमेकर कहने लगा था लेकिन मोदी की आंधी ने सपा-बसपा गठबंधन को मानो फूंक मार उड़ा दिया। बसपा को मात्र दस सीटें हासिल हो पाई।
राज्यसभा में भी उसके चार सदस्य रह गए हैं। इन चारों में से भी दो भाजपा संग जाने के लिए आतुर बताए जा रहे हैं। भाजपा ने मायावती के कोर दलित वोट में सेंध लगा बहिन जी का राष्ट्रीय राजनीति के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी जलवा खासा कम कर दिया है। अपनी हनक के लिए कुख्यात मायावती के इन दिनों तेवर कम होने की खबर है। खबर यह भी है कि उनके एक बेहद खास नेता की इन दिनों भाजपा संग नजदीकी खासी बढ़ रही है। यदि इन नेता ने पार्टी छोड़ी तो मायावती को भारी झटका लगना तय है।