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आखिरकार 75 वर्षों बाद अपने घर पहुंची दादी 

 

आजादी के 75 वर्षों बाद आखिरकार 90 वर्षीय महिला ‘रीना वर्मा’ भारत के पुणे से अपने पुश्तैनी घर पाकिस्तान के रावलपिंडी पहुंच गई है। वहां के स्थानीय लोगों ने ढोल – नगाड़ों और फूलों की वर्षा के साथ पाकिस्तान में उनका स्वागत किया। वर्ष 1947 में बटवारे के समय वे अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से भारत आई गई थीं । तब उनकी उम्र महज 15 साल थी। लेकिन अपने पुश्तैनी घर से विशेष लगाव होने के कारण ये हमेशा से अपने घर पाकिस्तान लौटने का सपना लिए हुए थी जो अब जाकर पूरा हुआ है।

हालांकि कई बार इन्होने अपने वीजा के लिए आवेदन किया लेकिन हर बार इसे अस्वीकार कर दिया गया। बंटवारे के लगभग 18 साल बाद 1965 में इनके वीजा को युद्ध के चलते अस्वीकार कर दिया गया। हाल ही में इन्होंने फिर वीजा के लिए आवेदन किया जिसे अस्वीकार कर लिया गया। इसके बाद इन्होने पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री ‘हिना रब्बानी खा’ को टैग करते हुए अपनी स्थिति बताई जिसके बाद रीना को पाकिस्तान आने की इजाजद दे दी गई। कुछ समय पहले इन्होंने एक वीडियो पोस्ट की जिसमें इन्होंने कहा कि “बंटवारे से पहले हिंदू-मुस्लिम जैसा कोई मुद्दा नहीं था। यह सब विभाजन के बाद हुआ। भारत का बंटवारा यकीनन गलत था, लेकिन यह हो चुका है, इसलिए दोनों देशों की सरकारों को वीजा प्रतिबंधों में ढील देने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए।” “हमारी संस्कृति एक जैसी है. हमारे पास एक जैसी चीजें हैं। हम सभी प्यार और शांति के साथ रहना चाहते हैं। ” इस खुशखबरी की घटना को देखते हुए इस बात की और ध्यान देना भी आवश्यक है कि आजादी के बंटवारे के समय लोगों की क्या स्थिति थी कि उन्हें इस प्रकार अपने ही घरों को छोड़ कर भागने पर मजबूर होना पड़ा ।

 

भारत-पाकिस्तान बंटवारा और आम नागरिक

वर्ष 1947, वह दौर रातों रात भारत को दो भागों में बाँट दिया गया भारत और पाकिस्तान। भारत वह हिस्सा जहाँ हिन्दुओं की संख्या अधिक थी और वे बहुसंख्यक मात्रा में थे और पाकिस्तान वह भाग जहां हिंदुओं बहुसंख्यक मात्रा में थे। इसके बाद हिन्दू बहुल क्षेत्रों ने मुस्लिमों और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों ने हिंदुओं पर हिंसात्मक हमला करना शुरू कर दिया। जिसके बाद बड़ी मात्रा में लोग स्थान्तरित हुए। कुछ समय बाद मुस्लिमों में रहने की भारत आजादी दे दीगई। लेकिन दोनों क्षेत्रों में हो रहे नरसंहार को देखते हुए आम नागरिक अभी भी पलायन कर रहे थे। पाया भी इस प्रकार ट्रेनों में भरकर व कई लोगों ने पाई पैदल ही भारत से पाकिस्तान तक का रास्ता तय किया।

विभाजन में लाखों लोगों नेअपने घर संपत्ति आदि खो दिए जिसे वापस देखना कई लोगों का सिर्फ ख्वाब ही रह गया क्यूंकि लड़ाई के समय अपना देश अपना घर छोड़ कर जाते वक्त वे इस उम्मीद के साथ जा रहे थे कि लड़ाई ख़त्म हो जाने के बाद वे दोबारा यहीं आ जायेंगे। रीना वर्मा उन लोगों में से हैं जिन्होंने अपने इस ख्वाब को पूरा किया।

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