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कैराना कांड के बाद यूपी में फिर बना पलायन मुद्दा,100 परिवारों ने लगाए ‘मकान बिकाऊ है’ के बोर्ड

वर्ष 2016 का कैराना कांड अभी भी लोग नहीं भूले हैं । तब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी। इस दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना में सैकड़ों हिंदू परिवारों का पलायन हुआ था। तब भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था । कहा गया था कि मुजफ्फरनगर, शामली और कैराना के सैकड़ों हिंदू परिवारों को अपने गांव छोड़ने को इसलिए मजबूर होना पड़ा कि दूसरे संप्रदाय के लोग उन्हें तंग करते थे। उनका इस कदर उत्पीड़न करते थे कि वह गांव छोड़ने को मजबूर हुए थे। तब कई गांव में ‘मकान बिकाऊ है’ के बोर्ड लग गए थे। यह मामला विधानसभा में भी गूंजा था।

फिलहाल एक बार फिर उत्तर प्रदेश में 5 साल बाद कैराना प्रकरण की पुनरावृति होती दिख रही है। इस बार कैराना प्रकरण का यह उदाहरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ही अलीगढ़ जिले के नूरपुर गांव में देखने को मिल रहा है । जहां एक समुदाय विशेष के लोग अनुसूचित जाति के लोगों को तंग कर रहे हैं। तंग इस कदर कर रहे हैं कि अनुसूचित जाति की बेटियों की बारात तक गांव में नहीं चढ़ने दे रहे हैं। इससे अलीगढ़ जिले के इस गांव में दो संप्रदायों में आपसी तनाव पैदा हो गया है। इस गांव के करीब 100 परिवार फिलहाल पलायन करने की राह पर है। जिन्होंने अपने अपने घरों के सामने ‘मकान बिकाऊ है’ के बोर्ड लगा दिए हैं।

अलीगढ़ जिले के इस गांव की इस दर्द भरी दास्तां को लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए उजागर किया है। जिसमें लोगों ने मकान बिकाऊ है वाले फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दी है । यह फोटो वायरल होते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया है। फिलहाल 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है । जबकि दूसरी तरफ भी दूसरे समुदाय के लोग मुकदमा दर्ज करा रहे थे। लेकिन पुलिस ने उनका मामला दर्ज नहीं किया है।

गांव में उस समय ज्यादा तनाव हुआ जब 26 मई को गांव के अनुसूचित जाति के व्यक्ति ओमप्रकाश की दो बेटियों की बारात आ रही थी। इस बारात को दूसरे संप्रदाय के लोगों ने गांव में घुसने से रोक दिया। यही नहीं बल्कि बारात में बज रहे डीजे और बैंड बाजे भी बंद करा दिए गए। इसके बाद मामले में तूल पकड़ लिया। भीड़ ने बरातियों और गांव के हिंदुओं पर लाठी, डंडे व राड से हमला कर दिया। इसमें डीजे वाली गाड़ी के शीशे टूट गए। गाड़ी के चालक समेत दो लोग घायल हो गए।

जिस संप्रदाय के लोगों की पिटाई हुई उन्होंने पुलिस से इसकी रिपोर्ट दर्ज करानी चाही। लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इसके बाद गांव वालों ने सरकार और पुलिस प्रशासन के विरोध में गांव में अपने घरों के सामने मकान बिकाऊ है के बोर्ड लगा दिए।

गांव वालों का कहना है कि हिंदुओं की लड़कियों की बरात चढ़त के विरोध का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी तीन घटनाएं इस प्रकार की घटित हो चुकी है। ओमप्रकाश के अनुसार पहले भी 25 अप्रैल व 9 मई को इसी तरह बारात चढ़त का विरोध किया गया था। उस दौरान भी दो संप्रदाय के लोगों में तनाव व्याप्त हो गया था। बताया जा रहा है कि इस गांव की कुल आबादी 4000 के करीब है। जिसमें 80 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है तथा यहां महज 20 प्रतिशत लोग हिंदू है।

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