भारतीय संस्कृति के इस पुरुष प्रधान समाज में शुरुआत से ही महिलाओं को कई अधिकारों से वंचित रखा गया है। जिसमें से एक अधिकार बच्चे को उपनाम देने का भी था।अधिकतर बच्चे का उपनाम उसके पिता के नाम के आधार पर ही तय किया जाता है जो जीवन भर बच्चे के नाम से जुड़ा रहता है। लेकिन अब धीरे – धीरे उनको उनके अधिकारों को लेकर देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कई अहम फैसले लिए हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने पति की मत्यु के बाद अगर पत्नि दूसरी शादी करने के बाद बच्चों को लेकर अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब बच्चों के उपनाम तय करने का अधिकार बच्चे की माँ के पास होगा।
गौरतलब है कि हाल ही में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में एक मामला आया था। जिसमें एक महिला के पहले पति की मृत्यु हो जाने पर जब महिला ने दूसरी शादी की तो बच्चे के सरनेम को लेकर विवाद खड़ा हो गया जिसके बाद महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिस पर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अगर किसी बच्चे के पहले पिता की मृत्यु हो गई है और महिला ने पुनर्विवाह कर लिया है तो महिला के दूसरे पति के नाम को बच्चे के सभी दस्तावेजों पर सौतेले पिता के रूप में दर्ज कराया जायेगा।
जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के इस फैसले की आलोचना कर कहा कि यह फैसला बेहद क्रूर और नासमझी पूर्ण है क्योंकि इसका सीधा असर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान पर पड़ेगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “अपने पहले पति की मृत्यु के बाद दूसरी शादी करने पर पहले पति से पैदा संतान को अपने नए परिवार में शामिल होने से नहीं रोका जा सकता है। बच्चे की एकमात्र प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते मां को उसके परिवार और उपनाम को तय करने का अधिकार है। “