राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद धरती टकराव पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध पुनर्विचार याचिका पर विचार कर रहे सुन्नी वक्फ बोर्ड ने निर्णय के विरूद्ध अपील नहीं करने का फैसला लिया है।सुन्नी वक्फ बोर्ड के मेम्बर अब्दुल रज्जाक ने बोला कि पुर्नविचार याचिका दाखिल करने के निर्णय पर बहुमत से फैसला लिया गया है कि अयोध्या केस में पुर्नविचार याचिका दाखिल नहीं की जानी चाहिए ।
बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहे यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की मंगलवार (26 नवंबर, 2019) को हुई. मीटिंग में उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल में दिए गए निर्णय को चुनौती ना देने का आम राय से निर्णय हुआ ।
बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने मीटिंग के बाद बताया कि मीटिंग में बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने भाग लिया । उनमें से छह ने अयोध्या मुद्दे में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को चुनौती ना देने के प्रस्ताव का समर्थन किया । हालांकि मीटिंग में एक मेम्बर इमरान माबूद खां किन्हीं कारणों से शामिल नहीं हो सके. फारूकी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सरकार को दिए गए आदेश के मुताबिक अयोध्या में कहीं व मस्जिद बनाने के लिए जमीन लेने के मुद्दे पर फैसला लेने के लिए बोर्ड के सदस्यों ने कुछ व समय मांगा ।
उन्होंने बताया कि बोर्ड के सदस्यों की राय थी कि वह जमीन लेने से जुड़े तमाम शरई पहलुओं पर विचार करना चाहते हैं, लिहाजा उन्हें कुछ व समय दिया जाए । बताते चलें कि पिछले सप्ताह भी लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड की मीटिंग हुई थी । इस मीटिंग में एक मत से निर्णय लिया गया था कि अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध पुर्नविचार याचिका दाखिल की जानी चाहिए ।
बैठक में यह भी तय किया गया कि बोर्ड की तरफ से अयोध्या मुद्दे में मीडिया में बात करने का अधिकार सिर्फ बोर्ड अध्यक्ष फारूकी को ही होगा । हालांकि अयोध्या मुद्दे में मुस्लिम पक्ष का संरक्षण कर रहे आल इंडिया मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड ने गत 17 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय के फैसला पर पुर्निवचार याचिका दाखिल करने व मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में जमीन न लेने का निर्णय किया था ।