‘परिवर्तन प्रकृति का नियम है’, ये लोकोक्ति यूपी कांग्रेस पर लगभग फिट होती नजर आ रही है। आज प्रियंका गांधी के लखनऊ आगमन से यूपीसीसी का माहौल ठीक वैसा ही नजर आ रहा है जैसा कभी दो-ढाई दशक पहले नजर आया करता था। यूपीसीसी बिल्डिंग से लेकर कांग्रेसी तक के खादी कपडे़ ही नहीं चमक रहे बल्कि उनके चेहरे भी खुशी से दमक रहे हैं। ऐसा इसलिए कि चर्चा है कि प्रियंका गांधी लखनऊ आगमन पर न सिर्फ चुनावी रणनीति तय करेंगी बल्कि कुछ प्रत्याशियों के टिकट भी आज ही पक्के होने हैं।
कब्रिस्तान जैसे सन्नाटे में दिन गुजारने वाले यूपी कांग्रेस कार्यालय में आज उत्सव जैसा माहौल है। हर किसी के चेहरे पर किसी खास परिवर्तन की उम्मीदें आसानी से देखी जा सकती हैं। यह उम्मीद बनी है कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव और गांधी परिवार की एक और विरासत प्रियंका गांधी के लखनऊ आगमन से। खुशी से दमक रहे यूपी कांग्रेसियों के चेहरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे आज भी गांधी परिवार के प्रति कितने आशान्वित है। ऐसा लग रहा है मानों गांधी परिवार के इस सदस्य के आगमन की सूचना मात्र से ही उन्हें नया जीवनदान मिल गया हो। चहल-कदमी के दौरान हमारे कुछ पुराने कांग्रेस पहचान वाले नेतागण मिल गए। चहक कर बोले, भाई कहां रहते हो आजकल दिखायी नहीं देते, मालूम तो होगा ही कि आज प्रियंका जी आने वाली हैं? मैंने मुस्कुराते हुए हामी भरी और धीरे से चुटकी ली, ‘क्यों भाई प्रियंका गांधी के आने से अब कौन सा बदलाव आ जायेगा। कांग्रेसी पहले भी एक-दूसरे की टांग खींचकर विपक्षी दलों को आगे निकलने का मौका देते रहे हैं और भविष्य में भी ऐसा ही होने वाला है। जब आप लोग अपने प्रदेश अध्यक्ष से ही खुश नहीं हो और उन्हें कम से कम इस चुनाव में बदले जाने की संभावना प्रतीत नहीं होती ऐसे में चन्द दिनों के लिए आयी प्रियंका गांधी की मौजूदगी से क्या बदलने वाला है।’ हमारे कांग्रेसी मित्र शायद इसके लिए पहले से ही मानो तैयार बैठे हों, बोले, ‘देख लीजिएगा पत्रकार महोदय, जो लोग थाली में छेद करते रहे हैं वे चन्द दिनों में पार्टी कार्यालय के इर्द-गिर्द चक्कर न लगाने लगें तो कहिएगा और रही बात प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर जी की तो अब यूपी कांग्रेस के पदाधिकारियों ने अपना पूरा फोकस अपनी महासचिव प्रियंका गांधी पर केन्द्रित कर रखा है। अब उन्हीं के आदेशों का पालन होगा। इस बार का लोकसभा चुनाव परिणाम भी बता देगा कि कांग्रेसियों में कितनी जान बाकी है।’ कांग्रेस के इस नेता की बातें सुनकर मानो ऐसा लगा जैसे सचमुच में यूपी कांग्रेस एक बार फिर से तरोताजा होकर विपक्षियों का मुकाबला करने के लिए तैयार हो जायेगी।
खैर, प्रियंका गांधी के राजनीति की मुख्य धारा में उतर आने और यूपी की अर्धकमान संभालने के बाद यूपी कांग्रेस नेताओं के चेहरे ऐसे खिले हुए हैं मानों किसी कोपल से अभी-अभी पंखुड़ियांे ने अंगड़ाई ली हो।
प्रियंका के लखनऊ आगमन पर यूपीसीसी कांग्रेस को दुल्हन की तरह सजाया गया है, साथ ही जिन रास्तों से प्रियंका गुजरीं उन रास्तों को भी जगह-जगह समर्थकों ने फूलों से सजाया रखा था।
अब बात करते हैं प्रियंका के लखनऊ आगमन पर नेताओं की जुबानी चुनावी रणनीति पर। यूपीसीसी कांग्रेस के कुछ पुराने नेताओं का कहना है कि इस बार की चुनावी रणनीति, खासतौर से वेस्ट यूपी की सीटों पर चुनावी रणनीति की बागडोर प्रियंका गांधी के साथ ही ज्यातिरादित्य सिंधिया पर होगी। इन्हीं दोनों नेताओं के दिशा-निर्देशों पर इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ा जायेगा। रणनीति को धार देने के वास्ते पूर्वी यूपी के जिलों समेत पश्चिम यूपी से गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, बागपत, मेरठ समेत कई जिलों के पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री, विधायक, जिलाध्यक्ष, शहर अध्यक्षों और फ्रंटल अध्यक्षों को लखनऊ बुलाया गया है। आज स्वागत कार्यक्रम के पश्चात कल यूपी के दोनों प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर इन पदाधिकारियों के साथ बैठक में हिस्सा लेंगे और चुनावी रणनीति पर चर्चा करेंगे। यूपीसीसी नेता यह भी मानते हैं कि राहुल गांधी के पश्चित यूपी में जनसभाएं शुरू करने से पहले यह संगठन के स्तर की सबसे अहम बैठक है। पार्टी पदाधिकारियों के मुताबिक प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया आज के स्वागत कार्यक्रम के बाद जिला स्तर के पदाधिकारियों और पूर्व विधायक, एमएलसी और सांसदों के साथ बैठक कर लोकसभा चुनाव की रणनीति का खाका तैयार करेंगे।
चर्चा यह भी है कि आज की बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए संभावित प्रत्याशियों के नामों पर भी चर्चा भी होगी। यही वजह है कि यूपीसीसी में आज वे चेहरे भी नजर आ रहे हैं जो वर्षों से लुप्त हो चुके थे।
फिलहाल प्रियंका गांधी के लखनऊ आगमन और चुनाव की रणनीति से कांग्रेस को कितना फायदा होगा? यह तो चुनाव परिणाम ही तय करेंगे लेकिन इतना जरूर तय है कि यदि यूपी से कांग्रेस अपनी पुरानी दो सीटों (अमेठी-रायबरेली) के अलावा कुछ अन्य सीटों पर हाथ मार ले जाती है तो निश्चित तौर पर अगला विधानसभा और अगला लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की धमक को कोई नजरअंदाज नहीं कर पायेगा।