पिछले कई सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में सीधे-साधे लोगों को मोबाइल टावर के नाम पर लूटने वाला एक गैंग सक्रिय है । इस गैंग के व्यक्ति पहले अखबारों में विज्ञापन देते हैं और एक क्षेत्र विशेष का नाम लिखकर कहते हैं कि यहां हमारी कंपनी मोबाइल टावर लगाएगी ।जिस व्यक्ति के घर में मोबाइल टावर लगेंगे उसको इसकी एवज में ना केवल मोटी कीमत दी जाएगी बल्कि मोबाइल टावर का प्रत्येक महीना किराया और दो लोगों को नौकरी दी जाएगी । तीन साल पहले ऐसा ही अखबार में विज्ञापन ग्रेटर नोएडा के घोड़ी बछेड़ा गांव निवासी सतेंद्र कुमार रावल ने देखा । उसके बाद उन्होंने मोबाइल के विज्ञापन दिए गए नंबर पर फोन किया और टावर अपने घर के छत पर लगवाने की बात कही । लेकिन उन्हें पता नहीं था कि वह जिस लालच में आकर मोबाइल टावर लगवाने के लिए कंपनी के संचालकों को फोन कर रहे हैं वह किसी कंपनी के संचालक नहीं बल्कि ठग है । ऐसे ठगों के द्वारा सत्येंद्र कुमार रावल ठगे गए और अपने जीवन की गाढ़ी कमाई के 42 लाख रुपया गवा बैठे । पिछले 3 सालों से ना तो उनके घर में मोबाइल टावर नहीं लगा है और ना ही उनके 42 लाख रुपए मिल पाए हैं । अपने साथ हुए अन्याय की बदौलत वह अब बहुत गंभीर फैसला ले चुके हैं । रावल ने कहा है कि वह अब पुलिस और प्रशासन से निराश हो चुके हैं और आत्मदाह करने जा रहे हैं ।आत्मदाह की यह खबर जब सतेंद्र कुमार रावल ने सोशल मीडिया पर जारी की तो दि संडे पोस्ट टीम उनके पास पहुंची ।उसके बाद उन्होंने जो बताया वह चौकाने वाला है । जो सतेंद्र कुमार रावल के साथ हुआ उस ठगी का शिकार कोई और ना हो ।सतेंद्र रावल बताते हैं कि सबसे पहले उन्होंने हैदराबाद की टावर वीजन कंपनी के विज्ञापन दिए गए नंबर पर फोन किया और टॉवर अपने घर लगवाने की बात कही
सत्येंद्र कुमार रावल बताते हैं की सबसे पहले चार लोग उनके पास आए और पैसा लेने की शुरुआत 18 सौ रुपए से की । उन्होंने कहा कि 1800 का रजिस्ट्रेशन होना है । इसके बाद उन्होंने बताया कि उनका एक वकील इस मामले को देखता है । नितिष अग्रवाल नामक वह वकील बताया गया और उसके खाते में सत्येंद्र कुमार रावल के पैसे डाले जाते रहे । कभी इंश्योरेंस कराने के नाम पर तो कभी वेरिफिकेशन कराने के नाम पर कंपनी के संचालक बार-बार सत्येंद्र कुमार रावल से अपने खाते में पैसा डलवाते रहे और सतेंद्र कुमार रावल इस उम्मीद से कि शायद इस बार वह अंतिम बार पैसा दे रहे हैं और उनके घर पर अब मोबाइल लग जाएगा ।
रावल बताते हैं कि जब उन्होंने मोबाइल टावर लगाने की बात कही थी तो तब कहा था कि वह 90 लाख रुपया एकमुश्त देंगे और 70 हजार प्रत्येक महीने मोबाइल टावर लगाने का किराया देंगे । यही नहीं बल्कि उन्होंने रावल को यह भी आश्वासन दिया कि उनके दो व्यक्तियों को मोबाइल टावर के देखरेख और रखरखाव के लिए नौकरियों पर रखा जाएगा । तब रावल ने सोचा था कि उनकी तो लॉटरी लग गई ।लेकिन यह लॉटरी नहीं लगी थी बल्कि लालच के जरिए उनके घर में ठग के डेरे लगे थे। कुछ दिनों बाद सतेंद्र कुमार रावल के 42 लाख रुपए मोबाइल टावर लगाने वाली कंपनी के खाते में जा चुके थे । तब उन्हें होश आया कि उनके घर में मोबाइल टावर नहीं लग पाएगा ,बल्कि उनकी मेहनत की कमाई 42 लाख भी चला गया । तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
इसके बाद सतेंद्र कुमार रावल में 15 सितंबर 2016 को थाना दादरी में रिपोर्ट दर्ज कराई । जिसमें पूरा वाक्या उनके सामने रखा । थाना दादरी पुलिस में एक के बाद एक चार जांच अधिकारी नियुक्त किए । लेकिन कोई भी अधिकारी आरोपियों तक नहीं पहुंच पाया । एक जांच अधिकारी गजेंद्र सिंह बमुश्किल 16 सितंबर 2016 को आरोपी नितिष अग्रवाल के पते दिल्ली के शाहदरा स्थित विश्वास नगर में पहुंचे थे । लेकिन उन्होंने बाद में अपनी जीडी डायरी में लिख दिया कि आरोपी वहां नहीं पाया गया ।ऐसे ही चारों जांच अधिकारी आरोपियों को पकड़ने के नाम पर औपचारिकताएं करते रहे और अंत में राधेश्याम मिश्रा जो इस मामले के अंतिम जांच अधिकारी थे उन्होंने यह लिखकर इतिश्री कर दिया कि इस मामले के वादी सत्येंद्र कुमार रावल इस केस में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं ।बहरहाल इस मामले को बंद किया जाता है । इसके साथ ही अक्टूबर 2017 में इस मामले की एफआर ( फाइनल रिपोर्ट ) लगा दी गई ।
इसके बाद पिछले दिनों जब सतेंद्र कुमार रावल ने सोशल मीडिया पर आत्महत्या करने की मार्मिक अपील की तो दी संडे पोस्ट की टीम ने इन्वेस्टिगेशन की । जिसमें टीम दिल्ली के राधेपुरी के पीएनबी बैंक में पहुंची । जहां सतेंद्र कुमार रावल से 42 लाख रुपए ठगने वाले मुख्य आरोपी नितिष अग्रवाल का खाता है ।जबकि पुलिस नितिष अग्रवाल के खाते में जानकारी लेने के बजाय यह कहकर पीछे हट गई की उसका फर्जी अकाउंट खुला हुआ है । इसके बाद दि संडे पोस्ट टीम दिल्ली के शाहदरा स्थित विश्वास नगर में भी पहुंची । जहां पुलिस यह कह चुकी थी कि यहा मुख्य आरोपी नितिष अग्रवाल नहीं रहता है । टीम ने उस इलेक्ट्रॉनिक दुकान का भी पता लगा लिया जिस पर नितिष अग्रवाल अक्सर आता जाता रहता था । इसी के साथ ही जैसे ही टीम उस दुकान से नितिष अग्रवाल के बारे में पूछ कर आती है तो कुछ देर बाद सतेद्र कुमार रावल के फोन पर नितिष अग्रवाल का फोन आता है । वह कहता है कि मेरी इतनी पूछताछ क्यों कर रहे हो । ऐसा नहीं है कि नितिष अग्रवाल का सतेंद्र कुमार रावल के फोन पर पहली बार फोन आया हो बल्कि इससे पहले भी वह रावल के बराबर संपर्क में रहा है । यही नहीं बल्कि पिछले 3 सालों में उसने करीब 8 बार मोबाइल नंबर बदले और 8 बार सतेंद्र कुमार रावल को अपने नंबर दिए । रावल नंबरों के जरिए फोन करता रहा और बार-बार कहता रहा कि मेरा मोबाइल टावर लगवा दीजिए या मेरे पैसे दे दीजिए । लेकिन हर बार वह बहाना भर देते। नितिष अग्रवाल और सतेंद्र कुमार रावल की बातचीत इस बात की पुष्टि करती है । हमारे पास मौजूद बकायदा ऑडियो फुटेज में नितिष अग्रवाल यह भी कहता है कि वह तुम्हारे पैसे जरूर देगा । इसके साथ ही वे चार और आरोपी लोगों के नंबर और पते भी बताता रहता है । फोन पर वह यह भी दावा करता है की जब चाहे तब वह उन्हें हरियाणा से उठवा सकता है
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लेकिन पुलिस ने इस मामले में सतेद्र कुमार रावल की कोई सहायता नहीं की । 2016 से लेकर 2017 के बीच 11 महीने तक मामला चला और चारों जांच अधिकारी जांच के नाम पर औपचारिकताएं करते रहे । लेकिन किसी ने भी सतेद्र कुमार रावल के मामले पर गंभीरता नहीं दिखाई । अगर शायद थोड़ी सी भी गंभीरता दिखाई दे होती तो आज आरोपी सलाखों के पीछे होते और सतेंद्र कुमार रावल को उनका लूटा गया पैसा वापस मिल गया होता।
हालांकि सतेंद्र कुमार रावल को अब उम्मीद जगी है । 2 दिन पूर्व दि संडे पोस्ट टीम के साथ रावल गौतम बुध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण के कार्यालय पहुंचे । जहां टीम ने पुलिस के सीनियर ऑफिसर को पूरी स्थिति से अवगत कराया ।साथ ही यह भी बताया कि इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है और फिलहाल मामला न्यायालय के विचाराधीन है । इस पर जिला गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कप्तान ने स्वविवेक पर फैसला लेते हुए कहा है कि वह इस मामले को दोबारा रिओपन कराएंगे और सक्षम अधिकारी से जांच कराएंगे । अब देखना यह बाकी है कि गौतम बुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण इस मामले की जांच करा पाते हैं या नहीं ?