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चाहकर भी भारत से लड़ने का जोखिम नहीं उठाएगा चीन

नई दिल्ली। चीन के रवैये से सीमा पर तनाव का माहौल अवश्य बना है, लेकिन आज के हालात उसके लिए बेहद प्रतिकूल हैं। ऐसी स्थितियों में वह भारत से युद्ध करने का जोखिम नहीं उठाएगा। सीमा पर अपने सैनिकों का जमावड़ा कर वह दबाव की रणनीति अवश्य बना रहा है, लेकिन यह भी बखूबी जानता है कि आज के समय में वह खुद चारों तरफ से ऐसा घिरा हुआ है कि भारत से लड़ने का मतलब अपने लिए ही आफत मोल लेने जैसा साबित होगा। यही वजह है कि लद्दाख में उसे अपने कदम पीछे हटाने पड़े हैं।

दरअसल, चीन को अहसास है कि इस समय दुनिया के तमाम मुल्क उसे कोरोना वायरस संक्रमण के लिए जिम्मेदार मानते हैं। जापान, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया और ताइवान जैसे देश उसकी विस्तारवादी नीति का भी लगातार विरोध कर रहे हैं। हॉन्ग-कॉन्ग में लंबे समय से चीनी रवैये एवं मनमानी के खिलाफ लगातार आंदोलन चल रहा है। फिर आज भारत की सैन्य क्षमता चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की स्थिति में है।

इस समय चीन की सबसे बड़ी चुनौती अपनी चरमराती अर्थव्वस्था को संभलाने की है। कोरोना के चलते उसकी अर्थव्यवस्था जबर्दस्त मंदी का सामना कर रही है। विश्व समुदाय का दबाव अलग से है। देश से कई विदेशी कंपनियां अपना कारोबार समेटनी लगी हैं, तो दूसरी तरफ निर्यात में भी कमी आई है। इससे बेरोजगारी बढ़ रही है और लोग भविष्य के संकट का अहसास कर भयभीत हैं। जानकार मानते हैं कि ऐसे में जनता का ध्यान हटाने के लिए ही वह भारतीय सीमा पर अपने सैनिकों का जमावड़ा कर रहा है। वह चाहता है कि उसकी जनता का ध्यान मूल समस्याओं से हटकर राष्ट्रवाद पर केंद्रित हो जाए। भारतीय सीमा पर उसके सैनिकों की घुसपैठ इसी रणनीति के तहत हो रही है।

– दाताराम चमोली

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