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भाजपा से संभल नहीं पा रहे अपने नेता , टीएमसी में जाने का सिलसिला जारी 

पश्चिम बंगाल में भाजपा चुनाव से पहले बेशक तृणमूल कांग्रेस को तोड़ने में सफल रही हो , लेकिन आज यही स्थिति उसके लिए उल्टी पड़ रही है। पार्टी से अपने नेता संभाले नहीं पा रहे हैं। टीएमसी के पुराने नेता घर वापसी को आतुर हैं। विधायकों के टीएमसी में लौटने की आशंका इसी बात से लगाई जा सकती है कि हाल में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी बीते 14 जून  को राज्यपाल  जगदीप धनखड़ से मिलने पहुंचे तो उनके साथ 74 में से सिर्फ 50 विधायक ही राजभवन पहुंचे। इस पूरे मामले  के बाद से सूबे में भाजपा में बगावत को लेकर अटकलों का बाजार और ज्यादा गरमा  गया है। कई नेताओं के बागी होने की भी ख़बरें आई और कई भाजपा का दामन छोड़ टीएमसी में शामिल हो गए। बंगाल में हार के बाद उपजे हालात भाजपा के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहे हैं। इन हालात को संभालने के लिए अब भाजपा यहां कुछ बड़े कदम उठाने की तैयारी में है।

बताया जा रहा है कि असंतुष्टों में बड़ी संख्या उनकी है जो चुनाव जीतने के बाद कुछ पाने की आस में भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन विधानसभा चुनाव में हार के बाद उनकी मंशा पूरी होती नहीं दिख रही तो माहौल खराब करने मे जुटे हैं। इसलिए विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी असंतुष्टों और चुनाव से पहले शामिल होने वाले कुछ नेताओं पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। इसके साथ ही साथ व्यापक संगठनात्मक फेरबदल करने की भी संभावना है। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि पार्टी अनुशासन से ऊपर कोई नहीं है।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रदेश भाजपा अन्य दलों के नेताओं को शामिल करने के लिए एक निगरानी अवधि बनाने की तैयारी में है। साथ ही तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उप-राष्ट्रवाद से मुकाबले के लिए अपनी अखिल भारतीय नीति के साथ बंगाल को लेकर विशिष्ट राजनीतिक लाइन अपनाने पर विचार कर रही है। भाजपा ने पार्टी के कुशल कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुरस्कृत करके संगठन को नया रूप देने और स्थानीय और जिला स्तर के कई दलबदलुओं को हटाने का फैसला किया है। पार्टी ने दोतरफा दृष्टिकोण के साथ असंतोष पर लगाम लगाने का भी फैसला किया है।

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चुनाव में हार, बढ़ती अंदरूनी कलह और नेताओं-कार्यकर्ताओं के पार्टी छोड़ने के मद्देनजर ये कदम उठाए जाएंगे। हाल में मुकुल रॉय भाजपा छोड़कर वापस तृणमूल कांग्रेस में चले गए थे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि मई में विधानसभा चुनावों में हार के बाद प्रदेश भाजपा में असंतोष बढ़ गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच अनबन जारी है, जो एक-दूसरे को विफलता के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के मुताबिक संगठन के विभिन्न स्तरों पर कुछ बदलावों के लिए चर्चा चल रही है। कुछ मुद्दे हैं। इस तरह की बातें नहीं होतीं तो ज्यादा अच्छा होता। उन्होंने कहा कि पार्टी अनुशासन से ऊपर कोई नहीं है।

भाजपा
राजीब बनर्जी और सौमित्र खान

 

उन्होंने कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भाजपा के सत्ता में आने पर कुछ पाने की उम्मीद में पार्टी में शामिल हुए थे। लेकिन अब, जैसा कि हम असफल रहे हैं, वे एक अलग स्वर में बोल रहे हैं। हम सभी को पार्टी के नियमों और अनुशासन का पालन करना होगा। पार्टी सूत्रों ने कहा कि टीएमसी से आए राजीब बनर्जी और सौमित्र खान जैसे नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण नाराजगी बढ़ रही है। वहीं, सोनाली गुहा, सरला मुर्मू, दीपेंदु विश्वास और बच्चू हंसदा जैसे कई अन्य नेताओं ने टीएमसी में लौटने की इच्छा व्यक्त की है। विधानसभा चुनाव की गलतियों से सीखते हुए भाजपा ने एक ‘स्क्रीनिंग टीम’ (जांच दल) बनाने का फैसला किया है, जिसकी मंजूरी पार्टी में शामिल होने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए अनिवार्य होगी।

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