दाताराम चमोली
नई दिल्ली। राज्य सभा की सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव में कांग्रेस- भाजपा दोनों पार्टियां एक -दूसरे को मात देने की हर संभव कोशिशें कर रही हैं। गुजरात में भाजपा ने दो सीटें जीतने की कांग्रेसी उम्मीदों पर पानी फेर दिया तो कांग्रेस भी मौका मिलते ही कर्नाटक में उससे हिसाब चुकता करने की रणनीति में है।
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के 68, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के 2 और एनसीपी का एक विधायक है। कांग्रेस यह मानकर चल रही थी कि इन 71 विधायकों के बूते वह आसानी से 2 सीटें जीत लेगी, लेकिन उसके विधायकों ने ही गणित बिगाड़ दिया है। पार्टी के कुछ विधायकों ने ऐन मौके पर पार्टी का हाथ छोड़ दिया। बताया जाता है कि इन विधायकों ने ऐसा भाजपा की रणनीति के तहत किया। इसके कारण कांग्रेस का गणित गड़बड़ा गया और अब यहां पार्टी को सिर्फ एक सीट जीतकर ही संतोष करना पड़ेगा।
गुजरात के मैदान में मात खा गई कांग्रेस के लिए कर्नाटक एक अच्छा अवसर लेकर आया है। यहां भाजपा के खाते में एक अतिरिक्त सीट को जाने से रोकने के लिए कांग्रेस जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा को राज्यसभा सीट पर समर्थन देने के मूड में है। कांग्रेस को लगता है कि राज्य में उसके विधायकों की इतनी संख्या है कि पार्टी उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे आसानी से सीट निकाल देंगे। इसके बाद भी कांग्रेस के पास 14 वोट और होंगे क्यों न इनका इस्तेमाल कर भाजपा को पटकनी दी जाए। यही वजह है कि राज्य में जेडीएस के साथ गठबंधन सरकार ज्यादा दिनों तक न चलने के बावजूद कांग्रेस जेडीएस सुप्रीमो को उच्च सदन भेजने के मूड में है। ऐसा कर वह भाजपा को यह तो अहसास करा ही देगी कि गुजरात में उसने जो चाल चली उसका जवाब कांग्रेस ने कर्नाटक में दे दिया है।