सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वह दो सप्ताह के भीतर ही जवाब दे कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेहंत सिंह हत्याकांड में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने के लिए वह राष्ट्रति को कब प्रस्ताव भेजेगी। गौरतलब है कि राजोआना पिछले 25 वर्षों से जेल में है। उसने खुद तो अपनी सजा के खिलाफ अपील नहीं की है, मगर इस संबंध में दया याचिका दायर की गई है।
संविधान ने अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को कतिपय मामलों में माफी देने, सजा निलंबित करने या इसके कम करने का अधिकार प्राप्त है। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल सात सितंबर को पंजाब के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा
दया याचिका पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त साॅलीसिटर जनरल के एम नटराजन से जानना चाहा कि आखिर राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजे जाने में विलंब क्यों हुआ? बताएं कि संबंधित प्राधिकारी संविधान के अनुच्छेद 72 के अनुसार राष्ट्रपति को इस संबंध में कब प्रस्ताव भेजा जायेगा। संविधान ने अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को कतिपय मामलों में माफी देने, सजा निलंबित करने या इसके कम करने का अधिकार प्राप्त है। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल सात सितंबर को पंजाब के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
पीठ ने केन्द्र के तरफ से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह यह बताएं कि यह अभी तक क्यों नहीं भेजा गया है। शीर्ष अदालत राजोआना की मौत की सजा माफ करने के बारे में उसकी याचिका का शीघ्र निस्तारण करने का गृह मंत्रालय को निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पंजाब पुलिस के पूर्व सिपाही राजोआना को 1995 में पंजाब सचिवालय के बाहर हुए बम विस्फोट में संलिप्त होने के जुर्म का दोषी पाया गया था। इस विस्फोट में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य व्यक्ति मारे गये थे।