देश में पिछले कुछ वर्षों से फेक न्यूज़ का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। जिसे रोकने के लिए कई बार प्रयास किये गए हैं। लेकिन अभी भी कई ऐसे फेक एकाउंट्स से फेक न्यूज़ प्रसारित की जा रही हैं। जिन्हें हाल ही में सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है। जिसके तहत सरकार ने फेक न्यूज़ फ़ैलाने 94 यूट्यूब चैनल ,19 सोशल मीडिया अकाउंट और 747 वेबसाइटों पर ‘सूचना तकनीक एक्ट 2000 की धारा 69ए’ के तहत बैन लगाया है। जो केंद्र सरकार को ये अधिकार देता है कि वह किसी भी साइबर अपराधी को गिरफ्तार कर सकती है और अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया या किसी अन्य तकनीकी माध्यम का प्रयोग किसी गलत उद्देश्य से कर रहा है तो सरकार उनके अकाउंट को बैन कर सकती है।
फेक न्यूज़ के इस बढ़ते ग्राफ को देखते हुए यूनाइटेड किंगडम ने एक रिपोर्ट पेश की थी। जिसके अनुसार फेक न्यूज़ फ़ैलाने का सबसे बड़ा जरिया सोशल मीडिया हैं। क्योंकि वर्तमान की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपडेट रहना चाहता है। आजकल अधिकतर लोग ऐसे हैं जो सोशल मीडिया एकाउंट्स व अन्य प्रकार की वेबसाइट्स का प्रयोग देश दुनिया की फर्जी ख़बरों को लोगों तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं। क्योंकि समय की कमी के कारण अधिकतर व्यक्तियों के पास टीवी देखने या अखबार पढ़ने का समय नहीं होत। लोग इन्ही के माध्यम से देश की जानकारी एकत्र करना सरल समझते हैं और कई व्यक्ति व समूह इसी बात का फायदा उठाते हुए ऐसे न्यूज़ वाइरल करते हैं जिनका उद्देश्य केवल दंगे भड़काना व अशांति पैदा करना ही होता है औरयह कोई नया मामला नहीं है इससे पहले भी कई बार सोशल मीडिया द्वारा फैलाये जाने वाली फर्जी खबरों के चलते कई सोशल मीडिया एकाउंट्स बैन किये जा चुके हैं।
सोशल मीडिया पर भरोसा लोग
ब्रिटेन की Ofcom की रिपोर्ट के अनुसार आज का सबसे बड़ा युवा वर्ग शामिल हैं। जो इंस्टाग्राम, फेसबुक , टिकटॉक आदि के न्यूज़ देखना पसंद करते हैं और उसपर ही भरोसा करते हैं। लेकिन इन प्लेटफॉर्मों पर आने वाली फेक न्यूज़ लोगों को गलत जानकारियां प्रदान करती हैं। जो समाज के सामने एक बड़ी चुनौती है।