अपना दल का राजग में भले ही कोई महत्वपूर्ण भूमिका न हो लेकिन भाजपा पिछड़ों को साधकर रखने के लिए अपना दल से रिश्ता खराब नहीं करना चाहती, यही वजह है कि अब तक अपना दल की तरफ से अनेको बार यूपी भाजपा के चाल-चरित्र पर उंगली उठायी जा चुकी है लेकिन पार्टी हाईकमान जल्दबाजी में कोई फैसला लेकर मुसीबत खड़ी करना नहीं चाहता। अभी हाल ही की बात है कि केन्द्रीय नेतृत्व से वार्ता के पश्चात अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने यह साफ कर दिया था कि चाहें जो हो जाए कम से कम लोकसभा चुनाव तक अपना दल ऐसा कोई फैसला नहीं लेगी जिससे राजग को किसी तरह का नुकसान हो। इधर भाजपा भी नहीं चाहती है कि ऐन चुनाव तैयारियों के बीच पिछड़ी जाति की राजनीति करने वाली प्रमुख पार्टी उससे नाराज होकर सपा-बसपा गठबन्धन की गोद में जा गिरे।
बताते चलंे कि अपना दल की घोषणा को अभी दो माह भी नहीं बीते होंगे कि पिछले दिनों अपना दल के नेता एक बार फिर से हत्थे से उखड़ गए। उसे फिर से अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की चिंता सताने लगी है। अपना दल नेताओं का कहना है कि यूपी भाजपा पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ अपने बर्ताव में कोई तब्दीली नहीं कर रही। तमाम शिकायतों के बावजूद यूपी भाजपा के नेता पिछड़ी जातियों की उपेक्षा करते चले आ रहे हैं। अपना दल की नाराजगी का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने पार्टी की कार्यकर्ता बैठक में स्पष्ट कह दिया है कि यदि भाजपा का प्रादेशिक नेतृत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और उसने अपने व्यवहार में सुधार नहीं किया तो अपना दल राजग से किनारा करने के बारे में गंभीरता से सोंच सकता है। आशीष पटेल ने यह भी कहा कि केन्द्रीय मंत्री मंत्री अनुप्रिया पटेल भाजपा से गठबन्धन को लेकर जो फैसला करेंगी, पार्टी उस फैसले को मानेगी।
अपना दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने लखनऊ में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में यह भी कहा कि उनकी पार्टी वर्ष 2014 से बीजेपी के साथ गठबंधन में है और इसका धर्म पूरी ईमानदारी से निभा रही है। विधानसभा चुनाव-2017 में भी उसने गठबन्धन धर्म का पालन किया। आशीष पटेल का आरोप है कि उत्तर प्रदेश में अपना दल को बीजेपी की ओर से वह सम्मान नहीं मिल रहा है, जिसकी हकदार उनकी पार्टी है।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने भाजपा हाई कमान को इंगित करते हुए यह भी कहा कि यह शेर आपके पीछे चल रहा है, इसे जगाकर हिंसक मत बनाइए। हमारी नेता जो भी निर्णय लेंगी, पूरी पार्टी उसका समर्थन करेगी। अगले ही पल शायद आशीष पटेल को इस बात का अहसास हो गया था कि उन्होंने क्या कहा लिहाजा उन्होंने बात को संभालते हुए कहा, ‘हम किसी को धमकी नहीं दे रहे हैं, बल्कि अनुरोध कर रहे हैं। हमारी मांग है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार दलितों और पिछड़ों में फैली निराशा को खत्म करे। यह काम कैसे होगा, इसे वह बखूबी जानते हैं।’
कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान आशीष पटेल ने एक और रहस्योद्घाटन किया। यह रहस्योद्घाटन केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल से सम्बन्धित था। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल कहते हैं कि उनकी पार्टी की नेता और केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भले ही केन्द्र सरकार में मंत्री हों लेकिन मंत्रालय के कार्यक्रमों में उन्हें नहीं बुलाया जाता।
आशीष पटेल ने भाजपा के अन्दरूनी कलह का भी खुलासा किया। उन्होंने यह कहकर सबको चैंका दिया कि भाजपा का एक धड़ा नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाह रहा था। हालांकि पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने टालते हुए यह कहा, ‘आप लोग पत्रकार हैं, यह पता लगाना आपका काम है।’ बताते चलें कि ये वह आशीष पटेल हैं जिन्होंने हाल ही में बसपा प्रमुख मायावती के कार्यकाल को सर्वश्रेष्ठ कार्यकाल बताकर यूपी की राजनीति पर कलम चलाने वालों को सोंचने पर विवश कर दिया था।
अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल के इस बयान के बाद से कयास लगाए जाने लगे हैं कि कहीं ऐन वक्त अपना दल राजग का साथ छोड़कर सपा-बसपा महागठबन्धन में न शामिल हो जाए। बताते चलें कि मौजूदा समय में अपना दल के दो सांसद और 8 विधायक हैं। इस संख्या बल से वह भले ही राजग को कोई नुकसान न पहुंचा पाए, यदि उसने ऐन वक्त पर राजग से नाता तोड़कर गठबन्धन से समझौता किया तो निश्चित तौर पर यूपी में भाजपा का पिछड़ा वोट बैंक काफी नुकसान कर सकता है।
फिलहाल अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल के इस बयान के बाद से यूपी भाजपा के कई बडे़ नेताओं से उनकी वार्ता हो चुकी है। कहा जा रहा है कि भाजपा नेताओं ने उन्हें चेताया है कि वे भविष्य में इस तरह की बयानबाजी से बचें अन्यथा हाई कमान किसी भी प्रकार का फैसला लेकर उनके समक्ष मुश्किलें खड़ी कर सकता है।