आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अजीत जोगी की जाति को लेकर शुरू से ही विवाद रहा है। उन पर आरोप है कि वह अनुसूचित जाति के तहत आने वाले सतनामी जाति से आते हैं। जबकि ईसाई धर्म अपना चुके अजित जोगी का दावा है कि वह अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) से हैं। जिसके चलते छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। जोगी की जाति के मामले की जांच कर रही हाई-पावर कमिटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। कमिटी ने जोगी को आदिवासी नहीं माना है। कमिटी ने यह भी साफ किया है कि अब जोगी के लिए अनसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं होगी। इस रिपोर्ट को पूर्व सीएम के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जाति प्रमाणपत्र के साथ-साथ उनके राजनीतिक करियर पर भी इसका असर पड़ना तय है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यामंत्री अजीत जोगी पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गठित हाइ पावर कमेठी ने अपनी रिपोर्ट में जोगी को एससी मानने से इनकार कर दिया है|अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई से लेकर आईपीएस,आईएएस से छत्तीसगढ़ के मुख्यामंत्री पद तक के सफर में अपनी फर्जी जाति का फायदा उठाया है।
छत्तीसगढ़ के वर्तमान सीएम भूपेश बघेल ने अजीत जोगी की जाति के बारे में एक बहुत बड़ा बयान दिया है। बघेल ने साफ़ कहा कि मेरी अजीत जोगी से कोई ख़ास दुश्मनी नही है। और ये जाति का मामला भाजपा ने उठाया है। वर्तमान सीएम ने कहा कि बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल, शिवरतन शर्मा,और अजय चंद्राकर ने उच्चतम न्यायालय में अपनी याचिका दायर की थी,इसी के आधार पर छानबीन हुई और सरकार ने इसे आगे बढ़ाया है। नियमानुसार जाति का निर्धारण छानबीन समिति करती है, जिसमे सरकार द्वारा नियम का पालन किया गया है।
राज्य के स्वस्थ मंत्री टी.एस. सिंहदे व ने भी अपने बयान में कहा है कि अजीत जोगी के पिता और सभी संबंधी सतनामी है, उनकी माता कंवर जनजाति की आदिवासी हैं| वहीं अजीत जोगी ने खुद ईसाई धर्म को अपनाया है तो ऐसे में कैसे अजीत जोगी को एससी होने का फायदा मिल सकता है।
कमेठी की रिपोर्ट ने भी कहा कि पूर्व सीएम अजीत जोगी आदिवासी नहीं हैं| इस कमेठी ने अजीत जोगी को एससी मानने से इनकार करते हुए जोगी के सभी प्रमाणपत्रो को निरस्त कर दिया है| और साथ ही यह भी कहा कि जोगी को अनुसूचित जनजाति के लाभ की कोई मान्यता नही दी जाएगी।
जोगी फिलहाल मरवाही सीट से विधायक हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस रिपोर्ट के बाद अब यह सीट भी उनके हाथ से जा सकती है। उधर, अजीत जोगी के बेटे और जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा, ‘मुझे मीडिया के जरिए यह जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ से बनाई गई एक हाई-पावर कमिटी ने कोई आदेश पारित किया है। हमारे पास अभी रिपोर्ट की कॉपी नहीं है।’ जोगी ने आगे कहा, ‘हम इस कमिटी के इरादे से भलीभांति वाकिफ हैं। यह कमिटी निष्पक्ष नहीं है। यही वजह है कि हम उनके निर्णय से आश्चर्यचकित नहीं हैं। इस आदेश की कॉपी मिलते ही हम इसे लेकर हाई कोर्ट जाएंगे।’
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी इस कमिटी के सामने 20 अगस्त को पेश हुए थे। इससे पहले बीजेपी सरकार में एक सदस्यीय हाई पावर कमिटी ने आदिवासी होने के जोगी के दावे को खारिज करते हुए उनके जाति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया था। हालांकि इसके बाद जोगी हाई कोर्ट चले गए थे। हाई कोर्ट ने तब एक अन्य कमिटी का गठन कर मामले की जांच का निर्देश दिया था। इसके बाद भूपेश बघेल सरकार ने एक डीडी सिंह के नेतृत्व में एक नई कमिटी गठित कर दी।
कुछ दिन पहले ही अजीत जोगी पर एक मर्डर का आरोप भी लगा था| यह आरोप छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रहने वाले एनसीपी नेता रामवतार जग्गी और उनके बेटे सतीश जग्गी ने अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी पर लगाया था|