अभी तक लोग हरियाणा के पांच बार के सीएम रह चुके ओम प्रकाश चौटाला के मिशन तीसरा मोर्चे को गंभीरता से नहीं ले रहे थे। लेकिन जैसे ही मित्रता दिवस के दिन बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार के घर चौटाला पहुंचे और डिनर किया, उससे चौटाला के मिशन तीसरा मोर्चा को मजबूती मिलती दिखाई दे रही है। दूसरी तरफ चौटाला और नीतीश कुमार के मिलन से भाजपा सहमी हुई है । क्योंकि अभी तक नीतीश कुमार भाजपा के संग है। लेकिन अगर वह तीसरा मोर्चा की तरफ रुख करते हैं तो स्वाभाविक है कि भाजपा से उनका नाता टूट जाएगा।
फिलहाल, इनेलो नेता ओम प्रकाश चौटाला जेल से आने के बाद तीसरे मोर्चे की कवायद में जुट गए हैं। बहरहाल, वह नीतीश कुमार को तीसरे मोर्चे का संयोजक बनाना चाहते हैं। इससे चौटाला एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं । पहला यह कि नीतीश कुमार भाजपा से अलग होंगे। जबकि उनका दूसरा निशाना मिशन थर्ड फ्रंट मजबूत होगा।
गौरतलब है कि 1989 में ओमप्रकाश चौटाला के पिता ताऊ देवीलाल ने एक तीसरा मोर्चा बनाया था। उन्होंने इस तीसरे मोर्चे के बल पर तब सत्ता में सबसे बड़े दल के रूप में आई कांग्रेस को भी शिकस्त दे डाली थी। देवीलाल की ही बदौलत 1989 में वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे। तब देश में पहली बार तीसरा मोर्चा का फार्मूला हिट हुआ था। एक बार फिर पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला देश में तीसरा मोर्चा की संभावनाएं तलाश रहे हैं। ताऊ देवीलाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला चाहते हैं कि यह तीसरा मोर्चा सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में उतर कर मजबूत विकल्प के तौर पर सामने आए।
2 दिन पहले ओम प्रकाश चौटाला उस समय चर्चा में आए थे जब किसान आंदोलन में जींद में धरना प्रदर्शन चल रहा था। उस समय उनके हाथ से माइक छीन लिया गया तथा उन्हें बोलने नहीं दिया गया। हालांकि किसान संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि यह समिति का नियम है। जिसके तहत नेताओं को मंच पर बोलने की स्वीकृति नहीं दी जा सकती। हालांकि इसके बाद इनेलो नेता ओमप्रकाश चौटाला जींद के धरना स्थल से नाराज होकर चले आए थे। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 साल की जेल काटने के बाद बाहर आए हैं। तब से वह राजनीति में काफी सक्रिय है। फिलहाल वह अपने पिता ताऊ देवीलाल के पद चिन्हों पर चलकर 1989 का भारत बनाने का सपना देख रहे हैं ।
गौरतलब है कि 1989 में लोकसभा चुनाव होने से पहले देश में राजीव गांधी की सरकार थी। राजीव गांधी की सरकार में वीपी सिंह गृहमंत्री थे। तब वीपी सिंह ने राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स घोटाला खोलकर अपने ही सरकार के खिलाफ घेराबंदी कर दी थी। इसके बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वीपी सिंह से गृह मंत्रालय छीनकर उन्हें रक्षा मंत्रालय दे दिया था। बाद में वी पी सिंह को कांग्रेस छोड़नी पड़ी। इसके बाद ताऊ देवीलाल की राष्ट्रीय राजनीति में जबरदस्त एंट्री हुई । उन्होंने कई दलों का गठजोड़ कर तीसरा विकल्प तैयार किया। देवीलाल ने 11 अक्टूबर 1988 को जन मोर्चा, जनता पार्टी, लोकदल और कांग्रेस (एस) के विलय से जनता दल की स्थापना कराई। जिससे कि सभी दल एकसाथ मिलकर राजीव गांधी सरकार का विरोध करें। इसके चलते ही द्रमुक, तेदेपा और अगप सहित कई क्षेत्रीय दल जनता दल से मिल गए और तीसरे मोर्चे की की स्थापना की गई। 1989 में पांच पार्टियों वाला फ्रंट, भारतीय जनता पार्टी और दो कम्युनिस्ट पार्टियों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सीपीआई-एम) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के साथ मिलकर 1989 के चुनाव मैदान में तीसरे मोर्चे के रूप में मैदान में उतरा।
सर्वविदित है कि 1989 के लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई थी । तब कांग्रेस को 197 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। जबकि दूसरे नंबर पर जनता दल रही थी। जनता दल को इस चुनाव में 143 सीट मिली। जबकि भाजपा का 2 सीटों से बढ़कर 85 सीटों का जबरदस्त इजाफा हुआ था। इस दौरान देश में जनता दल की सरकार बनाने के लिए भाजपा और अन्य पार्टियों ने जनता दल को समर्थन दिया। जिसके चलते देश के दसवें प्रधानमंत्री वीपी सिंह बने। तब पहली बार देश में उप प्रधान मंत्री ताऊ देवीलाल बने।
आज उन्हीं देवीलाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला देश में तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर तैयारी से मैदान में उतरे हुए हैं। जनता दल यू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी उनसे इस मुद्दे पर घर आकर मिल चुके हैं।