इन दिनों केंद्रीय जांच एजेंसी की कार्यशैली खासी विवादित हो चली है। देश के तमाम विपक्षी दल एक सुर में एजेंसियों के दुरुप्रयोग का आरोप लगा रहे है। जिस किसी राज्य में केंद्रीय सत्ता दल से गठबंधन टूटती है। वहां ईडी, सीबीआई और इन्कमटैक्स डिपार्टमेंट खासा सक्रिय हो जाते हैं। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक की गिरफ्तारी को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। जिस पर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं। महाराष्ट्र सरकार से लेकर विपक्षी दलों तक, सभी का आरोप है कि मलिक को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम नारायण राणे और देवेन्द्र फडणवीस की शह पर गिरफ्तार किया गया है। इस आरोप के बाद महाराष्ट्र में सत्ता दल और विपक्षी पार्टियां आमने सामने हो गए हैं।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कुछ अर्सा पहले ही दावा कर डाला था कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन के चार बड़े नेताओं पर ईडी की कारवाई होने वाली है। उनके इस बयान के बाद ईडी द्वारा नवाब मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे विपक्षी दलों के आरोपों को खासा बल मिला है। सवाल उठ रहे हैं कि एक जांच एजेंसी की कार्यवाही का पुख्ता जानकारी नारायण राणे के पास कहां से आई और कैसे? महाराष्ट्र के सत्ता गलियारों में खबर गर्म है कि अब ईडी का अगला निशाना शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत होने जा रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पूरा ‘खेला’ महाराष्ट्र सरकार को गिराने के लिए रचा जा रहा है। इस सबके बीच उद्धव ठाकरे सरकार ने भी भाजपा नेताओं पर अपनी जांच एजेंसियों का शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी के तहत नारायण राणे और उनके बेटे पर दिशा सालियान मामले में कार्यवाही शुरू कर दी है।
Maharashtra | Union Minister Narayan Rane and his MLA son Nitesh Rane appeared before Mumbai Police at Malawani PS in connection with the case of allegedly making defamatory remarks against late actor Sushant Singh Rajput’s former manager Disha Salian
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— ANI (@ANI) March 5, 2022
#UPDATE | Union Minister Narayan Rane along with his MLA son Nitesh Rane came out of Malvani police station after 9 hours of interrogation, in connection with the Disha Salian death case. pic.twitter.com/RDaY1yQM08
— ANI (@ANI) March 5, 2022
5 मार्च को मुंबई पुलिस ने केंद्रीय मंत्री राणे और उनके विधायक पुत्र नीतेश राणे को मलवाणी थाने में बुला 9 घंटे तक पूछताछ की। पुलिस की पूछताछ से पहले 4 मार्च को मुंबई की एक अदालत ने पिता-पुत्र को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
क्या है दिशा सालियान मामला
कुछ दिन पहले दिवंगत बाॅलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिवंगत दिशा सालियान के परिवार के सदस्यों को विभिन्न मीडिया मंचों पर बदनाम करने के आरोप में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और उनके विधायक बेटे नीतेश राणे पर एक एफआईआर दर्ज कराई है। जानकारी के मुताबिक, दिशा की मां वसंती सालियान की शिकायत पर राणे पिता-पुत्र के खिलाफ मुंबई के मलवाणी थाने में एफआईआर दर्ज की गई। वसंती सालियान ने महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (एमएसडब्ल्यूसी) से संपर्क किया था और सालियान परिवार को विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर बदनाम करने के लिए नारायण राणे, नीतेश राणे और भाजपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। राणे ने दिशा की मौत के संबंध में कई दावे किए थे।
दिशा सालियान के परिजनों की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने पुलिस से दिशा की मौत के बारे में गलत जानकारी फैलाने वाले सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लाॅक करने और इस संबंध में नारायण राणे और नीतेश दोनों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दे डाले। आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने कई ट्वीट करके कहा कि मालवाणी पुलिस के अनुसार सालियान की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके साथ बलात्कार नहीं हुआ था और वह गर्भवती नहीं थीं। दिशा सालियान के माता-पिता ने आयोग से बेटी की मौत के बाद उसके चरित्र के हो रहे कथित हनन को लेकर शिकायत की थी। सालियन के परिजनों द्वारा राजनेताओं से उनकी मृत्यु के आस-पास की परिस्थितियों पर सवाल उठाकर उनके नाम को बदनाम करने से परहेज करने की भावनात्मक अपील के बावजूद इस मुद्दे पर दावे और प्रति-दावे किए जा रहे हैं।
इससे पहले राज्य महिला आयोग ने मुंबई पुलिस को सालियान की कथित आत्महत्या के संबंध में भी नोटिस जारी किया था और उन्हें जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। तब राणे ने दावा किया था कि दिशा के साथ बलात्कार कर उनकी हत्या की गई थी। नारायण राणे ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने दिशा सालियान की मौत को लेकर फिर कुछ दावे किए। महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने भी दावा किया था कि उसकी मौत के पीछे की सच्चाई का खुलासा 7 मार्च के बाद होगा।
दिशा सालियन ने उपनगरीय मलाड स्थित एक बहुमंजिला इमारत से 8 जून, 2020 को कथित तौर पर कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इसके छह दिन बाद 14 जून, 2020 को 34 वर्षीय सुशांत सिंह राजपूत उपनगरीय बांद्रा स्थित अपने अपार्टमेंट में फंदे से लटके पाए गए थे।
पुलिस के मुताबिक, महिला आयोग ने 4 मार्च को मालवाणी पुलिस को पत्र लिखकर नारायण राणे, नीतेश और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। नारायण राणे और उनके बेटे पर की भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज की गई है, जिसमें धारा 211, 500 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 शामिल हैं।
इतना ही नहीं नारायण राणे के जुहू स्थित निजी बंगले में कथित रूप से हुए अवैध निर्माण को ढहाने की तैयारी भी महाराष्ट्र सरकार कर रही है। इसके अलावा पूर्व सीएम देवेन्द्र फडणवीस के समय हुए कुछ बड़े घोटालों की जांच में भी तेजी आ चुकी है। खबर यह भी आ रही है कि नवाब मलिक की गिरफ्तारी का जवाब उद्धव ठाकरे सरकार भाजपा के कुछ बड़े नेताओं को कानूनी शिकंजे में ले जल्द लेने जा रही है।
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शिव सेना से भाजपा तक का सफर
गौरतलब है कि नारायण राणे के राजनीतिक जीवन की शुरुआत शिवसेना से हुई। एक समय वे शिवसेना के प्रमुख बाल केशव ठाकरे के खास माने जाते थे। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना लगभग 25 वर्षों तक सहयोगी पार्टी रहे हैं। अब दोनों दल एक दूसरे से अलग हैं। ठीक उसी तरह से नारायण राणे लंबे समय तक शिवसेना में रहे फिर शिवसेना से बाहर हुए। राणे के शिवसेना से बाहर होने का कारण उद्धव ठाकरे हैं। ऐसा माना जाता है। उद्धव और राणे एक दूसरे को फूंटी आंखों नहीं देखना चाहते हैं।
महाराष्ट्र के ताजा सियासी बवाल की पृष्ठभूमि को देखें तो उद्धव और राणे के बीच तल्खी सबसे पहले 2003 में देखने को मिली थी। बात उन दिनों की है जब बाल ठाकरे धीरे-धीरे अपने पुत्र उद्धव ठाकरे को पार्टी की कमान सौंपने की तैयारी करने लगे थे। उद्धव ने 2002 में राजनीति में प्रवेश किया। तब उन्हें विधानसभा चुनाव प्रभारी बनाया गया था। नारायण राणे को यह नागवार गुजरा और वे सार्वजनिक रूप से बाला साहब ठाकरे के निर्णय को चुनौती देने लगे। इसकी शुरुआती झलक 2003 में तब देखने मिली जब महाबलेश्वर की एक सभा में शिवसेना ने उद्धव को ‘कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया था। राणे ने इसका खुलकर विरोध किया था, वे उद्धव के नेतृत्व के खिलाफ थे। साल भर बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राणे ने आरोप लगाया कि पद और टिकट बेचे जा रहे हैं।उसके बाद शिवसेना विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा देकर राणे ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। 2005 में राणे ने मालवण विधानसभा सीट से हुए उपचुनाव में अपने ‘अपमान’ का बदला ले लिया। उस चुनाव में बाला साहब ठाकरे की भावुक अपील कोई काम नहीं आई। राणे के आगे शिवसेना उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई थी।
नारायण राणे ने शिवसेना में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत चेंबूर में स्थानीय स्तर पर ‘शाखा प्रमुख’ के पद से शुरू की थी। तेज-तर्रार राणे बड़ी तेजी से सियासत की सीढ़ियां चढ़ते गए। जल्द ही राणे मुंबई नगर पालिका के काॅरपोरेटर बन गए, फिर बिजली सप्लाई वाली कमेटी के चेयरमैन बने। राणे का सूरज इतनी तेजी से चढ़ा कि 1999 में वह मनोहर जोशी की जगह कुछ महीने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे। शिवसेना के दिनों में राणे की गिनती उन चुनिंदा लोगों में होती थी जो मुंबई की सड़कों पर शिवसेना की हर बात लागू कराते थे।
राणे ने न सिर्फ बीएमसी में शिवसेना को मजबूत किया, बल्कि कोंकण क्षेत्र में पार्टी को खड़ा करने वाले नेताओं में से भी एक रहे हैं। राणे का कोंकण क्षेत्र में अच्छा जनाधार है। उनके जनाधार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2005 के उपचुनाव में बाला साहब ठाकरे की अपील भी काम नहीं आई थी और राणे कांग्रेस के टिकट पर मालवाण विधानसभा सीट भारी मतों से जीत गए थे।
शिवसेना से बाहर होने के बाद भी राणे की उद्धव ठाकरे परिवार से तल्खी कम नहीं हुई। वे ठाकरे परिवार पर तीखे हमले करते रहे हैं। पिछले कुछ सालों से राणे के निशाने पर उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे और बेटा आदित्य ठाकरे भी आ गए हैं।