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चोरी के शक में 14 साल के दलित लड़के को खंभे से बांधकर पीटा

भारत में दलितों को दमन से बचाने के लिए कानून तो बहुत हैं,इसके बावजूद दलितों के साथ अत्याचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर में एक 14 साल के दलित लड़के को बिजली के खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा गया है,क्योंकि लड़के पर कान की बलि चोरी करने का आरोप था।

 

दरअसल, यह घटना कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर में 29 सितंबर की रात करीब 9:30 बजे हुई है ,जब “उच्च जाति” के लोगों के एक समूह ने लड़के के साथ मारपीट की है। एनडीटीवी के एक रिपोर्ट के मुताबिक, लड़के की माँ ने कहा है कि जिन लोगों ने मेरे बेटे को पीटा, उन्होंने आरोप लगाया कि उसने दूसरे लड़कों और लड़कियों के साथ खेलते हुए एक बाली चुरा ली थी। इसी आरोप में उसकी पिटाई की गई हैउन्होंने तो यहां तक ​​कहा कि हमारी जाति का सफाया कर देना चाहिए।मां, बेटे को बचाने के लिए दौड़ी तो उसकी भी पिटाई की गई। मां और बेटे दोनों का अब चिक्कबल्लापुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।

इस मामले पर एक पुलिस अधिकारी ने प्रकाशन को कहा कि,स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि लड़के ने चार साल की बच्ची की बाली चुरा ली थी। जांच चल रही है।पुलिस ने अब 10 लोगों पर आईपीसी की धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 354 (शील भंग करने के इरादे से महिला पर हमला), 355 (हमला) के तहत मामला दर्ज किया गया है। व्यक्ति का अपमान करना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 448 (झूठे निशान के लिए सजा), 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान करना), 506 (आपराधिक धमकी) और 149 (सामान्य उद्देश्य का मुकदमा) और धारा 3(1) के तहत (आर), 3(1)(एस) और 3(1)(जेड) एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम 2015 के तहत मामला दर्ज किया है।

एफआईआर में जहां 10 लोगों के नाम हैं, वहीं तीन को अब तक गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।हालांकि यह इस तरह की पहली घटना नहीं है। अगस्त में, एक और दलित लड़का, जो 14 साल का था, को भी इसी तरह बिजली के खंभे से बांध दिया गया था और चोरी के संदेह में उत्तर प्रदेश में पीटा गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, लड़के पर शाहजहांपुर जिले के कलां में एक किराने की दुकान से 600 रुपये चोरी करने का आरोप लगाया गया था।

गौरतलब है कि,देश में दलितों पर अत्याचार की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के औरैया में 15 वर्षीय निखित दोहरे की शिक्षक द्वारा पिटाई की गई थी, जिसके कारण दस दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। इससे पहले, राजस्थान में, 9 वर्षीय इंद्रजीत मेघवाल को भी उसके शिक्षक ने कथित तौर पर बेरहमी से पीटा था। इन दोनों मामलों में सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत दर्ज कर परिवार के लिए सुरक्षा और आयोग की निगरानी, ​​दोनों जांचों को अभियोजन का दर्जा देने का आग्रह किया है,लेकिन यह समस्या सामाजिक मूल्यों की है। आजादी के 75 साल बाद भी समाज के ”तथाकथित लोग” दलितों को बरवारी का दर्जा देने के लिए तैयार ही नहीं है। इसमें कुछ हद तक परिवर्तन भी हो रहा है लेकिन वो बहुत धीमा है।

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